शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2015

सद्गुरू की महत्तता

आपसे कोई बोल्ट खुल नही रहा और लगें हैं किस्मत को रोने फिर आप चले ईश्वर को मनाने कर्मकांडों के चक्कर लगाने। और भले ही आप अंधविश्वासो को बढ़ाने वाले के चक्कर लगाते रहें, चाहें तो अपनी परिस्थितियों या अपनी एजूकेशन सिस्टम को कोसें फिर भी आप जो बोल्ट है कसा हुआ उसे  अभी भी बिना किसी टूल के हाथों से ही खोलने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको सद्गुरू की जरूरत है जो आपको उस ​विशेष टूल की जानकारी देगा जिससे कि उस किस्मत के बोल्ट को आप खोलने की सही जानकारी पा लेंगे जरूरत है आपके परिश्रम की और टूल की उपलब्धता अपने लिये ​सुनिश्चित करने की।
यहां बोल्ट आपकी समस्या है।

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मंगलवार, 20 जनवरी 2015

विश्वास सत्य पर टिकता है और घृणा झूठ से पैदा होती है

हम अपनी प्रतिदिन की चर्या में देखते हैं, कि कुछ लोग हर बात पर झूठ बोलते हैं जैसे कि उनसे किसी कुबेर के खजाने का पता पूछा जा रहा हो। धीरे—धीरे ऐसी व्यक्तियों के प्रति लोगो का व्यवहार बदलता जाता है और वे किसी के विश्वास के योग्य नही रह जाते ​बल्कि यदि वे किसी गंभीर बात या चर्चा में भी झूठ का सहारा लेते हैं या छोटी छोटी बातों को छुपाते हुए झूठ बोलते हैं तो वे लोगो की घृणा के शिकार हो जाते हैं। जैसे यदि आपका कोई नौकर या घर का सदस्य घर के खर्चों के बारे में पूछे जाने पर झूठ बोलता है तो वह धीरे धीरे विश्वास खोता जाता है घृणा का पात्र हो जाता है। इसी को यदि हम गंभीर विषय पर बात करें तो जो पति—पत्नि होतें हैं यदि वे आपस में झूठ का सहारा लेते हैं तो उनका वैवहिक जीवन क्लेश से भर जाता है।

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शनिवार, 18 मई 2013

हर आदमी स्वतंत्र है अपना नर्क और स्वर्ग बनाने के लिये


virtual life vs real life
एक दृश्य-पति दोपहर में हाफ-डे यानी आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर अपनी कार से आया। भीषड़ गर्मी पड़ रही है कार में एसी चल रहा है वह घर के मेन गेट पर गाड़ी खड़ी करता है हार्न बजाता है। तभी मोबाईल की घंटी बजती है वह कॉल में व्यस्त हो जाता है गाड़ी चालू है एसी भी। उधर घर में पत्नी खिड़की से देख लेती है जो कि सास बहू के सीरियल देखने में व्यस्त है। सोचती है कॉल अटेंट कर लेने दो जब तक सीरियल का मजा लिया जाये। पति का कॉल खत्म होता है वह फिर हार्न बजाता है पत्नी फिर एक नजर देखती है लेकिन सीरियल का मोह उस पर हावी है सोचती है जल्दी ब्रेक आ जाये तो जाऊं। और यहाँ पति फिर दूसरे कॉल पर व्यस्त हो जाता है। इस तरह लगभग २० मिनिट तक यंू ही सोये हुये, बेहोश लोगों का एक दूसरे के प्रति व्यवहार चलता रहता है पति सोचता है पत्नि किसी काम में व्यस्त होगी और पत्नि सोचती है अब घर आ तो गये हैं अंदर में आ जायेंगे और जायेंगे भी तो कहाँ। फिर पति थकहार कर गाड़ी से उतर कर गेट खोलता है और गाड़ी अंदर पार्क करता है फिर पत्नि उसे ऐसा करते देखती रहती है खिड़की के पर्दे से और तुरंत टीवी बंद कर गेट खोलती है और चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुये पूछती है आ गये। पति यदि इस समय यह कहे कि हार्न सुनाई नही दे रहा था क्या। तब क्या होगा सोचिये। इसलिये पति जो कि अनुभवी है तुरंत अंदर जाता है और पूछता है बच्चे कहाँ है पत्नि बताती है कि खेलने गये है अपने दोस्तो के साथ।
इस द़श्य में हमने एक बात नोटिस की, कि पति उस बड़ी चिंता या समस्या को छोड़ कर एक छोटी समस्या या चिंता के बारे में पूछता है कि बच्चे दिखाई नही दे रहे कहाँ गये। ये ऐसे ही है जैसे कोई हमसे कहे कि एक बड़ी लकीर या लाइन आपके सामने है उसे बिना छुये या बिना मिटाये छोटी करके दिखाओ तो जैसी कि बीरबल ने किया था उस पति ने भी उस बड़ी समस्या को छोड़ कर छोटी पर ध्यान दिया उसने उस बड़ी लकीर के पास ही एक छोटी लकीर खींच दी लेकिन स्वयं को भ्रमित किया कि वह बच्चों वाली समस्या बड़ी समस्या है उस समस्या के आगे। और पत्नी को लगा कि इन्होंने मेरी गलती को देखा ही नही पत्नी भी खुश और पति भी स्वयं को भ्रमित कर चुपचाप। इस तरह उसने अपना स्वर्ग कायम रखा।
हम दिन भर फेसबुक पर और दोस्तों के बीच देश की समस्याओं पर बहस करते हैं देश में ऐसा होना चाहिये, बैसा होना चाहिये लेकिन जब अपने घर की समस्याओं की बारी आती है तो चुपचाप सोचते है कि वह समस्या सुलझाई नही जा सकती यदि सुलझाने की कोशिश की तो हम अपना हम नर्क स्वयं निर्मित कर लेंगे। जरूरी नही कि ये हाल केवल पुरूषो का है यह हाल उन कामकाजी महिलाओं का भी है जो सोचती हैं जैसा चल रहा है चलने दो। बच्चें बड़े हो रहे हैं अब सुनते नही क्या करें। 
हमारी सोच ऐसी होती जा रही है कि हम केवल बड़ी समस्या को ही सुलझाने के लिये अपना दिमाग और कलम चलाएंगे छोटी छोटी समस्याओं में कौन उलझे और जैसा कि हम सबको पता है हम सब यही कर रहे हैं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कोई नेताओं की फोटोस को मिक्स कर अपनी भड़ास निकाल रहा है, कोई कविताऐं लिख कर अपनी वर्चुअल दुनिया में स्वर्ग का अनुभव कर रहा है रियल लाईफ के नर्क को भूलकर, कोई लगा हुआ है दूसरों को सिखाने अपना ध्यान छोटी छोटी समस्याओं से हटाकर। हम लोग दिन भर इतनी बड़ी बड़ी समस्याऐं अपने दिमाग में भर कर अपने घर पहुंचते हैं जैसे कि आज क्या हुआ देश में, कल क्या होगा, आज मेरी पोस्ट को कितने दोस्तों ने लाईक नही किया, उस फलां दोस्त ने अपनी फोटो डाली कल मै भी अपनी फोटो खींच कर फेसबुक पर डालूंगा। पेट्रोल के रेट क्यो बढ़ रहे हैं, देश में शेयर मार्केट आज क्यो गिरा, क्यो बढ़ा।
और इन समस्याओं को हम बढ़ा कर आंक रहें हैं ये हैं ही नही ये समय के साथ होने वाली घटनायें है जो कि आदी काल तक चलती रहेंगी। और जो मुख्य समस्या है जो हमारे घर पर हमारा इंतजार कर रही है उसे हम अनदेखा किये जाते हैं प्रतिदिन। अगर हमने इनकी ओर ध्यान दिया तो खुद भी परेशां होंगे और घर वाले अलग । लेकिन एक बात याद रखें यदि हमने दीमक को छोटी समस्या समझ कर स्वयं को भ्रमित किया तो एक दिन यह दीमक हमारे जीवन को खोखला कर देगा।
इस कहानी के माध्यम से हम समझते हैं-
एक बार मुल्ला नसरूद्दीन से किसी ने पूछा कि तुम्हारी अपनी पत्नि से लड़ाई क्यों नही होती वह तुम्हारी पूरी सेलरी मेकअप में और कपड़ो पर खर्च कर देती है। तब नसरूद्दीन ने कहा कि मेरी पत्नि से शादी से पहले ही मुझसे यह तय कर लिया था कि बड़ी समस्याऐं मै सुलझाउंगा और छोटी वह। इसलिये घर में में क्या आना है क्या नही आना है उसकी फ्रिक वह करती है मै तो केवल बड़ी समस्याओं की ओर ध्यान देता हंू कि पेट्रोल के रेट कम कैसे हों, शक्कर के भाव क्यो बढ़ रहे हैं, भ्रष्टाचार से जंग कैसे जीतें आदि। वह अपना काम करके खुश है और मै अपना काम पूरी ईमानदारी से करके खुश।

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सोमवार, 29 अप्रैल 2013

खजाने का पता

Boost your immune system with yoga
कल संडे को करीना कपूर अभिनीत हीरोइन फिल्म देखी फिल्स देखते हुऐ लग रहा था जैसे कि यह कोई सिगरेट का विज्ञापन चल रहा है जिसमें कि युवतियों को सिगरेट और मदिरा पीने के लिये उत्साहित किया जा रहा है। उस फिल्म में हीरोइन जरा कि बात पर तनाव पाल बैठती है और तनाव के पल में उसे सिगरेट और मदिरा पीते हुये दिखाया गया है और ढेर सारे मेकअप युक्त सीन और बिना मेकअप से सीन। इससे ऐसा संदेश लगा कि युवतियों को तनाव में बिना मेकअप के रहकर व्यसन पाल बैठने चाहिये और जब वह पब्लिक  में जाती है तो मेकअप कर लेना चाहिये।
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सोमवार, 4 मार्च 2013

यह लेख पढ़ मन में परमात्मा के प्रति श्रद्धा द्रवित हो उठी

यह लेख पढ़ मन में परमात्मा के प्रति श्रद्धा द्रवित हो उठी 


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4 march 2013 city bhaskar bhopal

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शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

शांति की खोज नही शांति की संगत करें start meditation in your life


गर्ल फ्रेंड का हिंदी में अर्थ शांति होना चाहिए। क्यों की जब भी आप पत्नी से या माता पिता से ये कहकर जायेंगे की शांति की तलाश में जा रहा हूँ तो कोई कुछ नहीं पूछेगा . अपने अन्दर ये बात अच्छे से बैठा ले कि जब भी उससे मिलने जाना हो तो मुंह से निकले तलाश में जा रहा हूँ 

ये तो हो गया एक जोक या कहें चुटकुला। लेकिन वो शांति जो हम ढं़ूढते हैं हमारे परिवार में, जीवन में, पूरे दिनभर उसकी बात करते हैं-
जैसे शून्य से किसी संख्या को गुणा करने पर वह संख्या अपना महत्व या मूल्य खो देती है और इन दोनों के गुणा या संगत का परिणाम होता है शून्य जैसे-0x100=0
इसी तरह यदि किसी संख्या को १०० से गुणा करे तो उस संख्या का मूल्य या महत्व बढ़ जाता है जैसे-100x10=1000
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गुरुवार, 23 अगस्त 2012

स्वयं के शोषण के लिये समझौता करने की आदत न डालें say no to compromise habit


हम सभी ने अक्सर ये अनुभव किया है कि यदि किसी बात के लिये हम कोई समझौता कर लेते हैं तो वही और उसी तरह की बात के लिये हम अपने अंदर एक आदत विकसित कर लेते हैं या कहें कि हम उस तरह की बातों को आमंत्रित करते हैं अपनी ओर क्योंकि हमें उस बात से समझौता करने की आदत लग चुकी है। इस तरह हम दूसरे के द्वारा लगातार स्वयं को शोषण का शिकार बना रहे हैं जो कि हमारे आत्मसम्मान और हमारी अन्याय न सहने की शिक्षा के विरूद्ध है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समझौता नही करते वे सोचते हैं कि उनके वगैर दुनिया नही चलेगी और ये सोचते हैं कि उनका इस समाज में या कार्यस्थल पर कार्य सुचारू रूप से चलेगा। लेकिन हमें इस स्थिति में न रह कर यह सोच विकसित करनी होगी कि हमारे बिना दुनिया चल सकती है और चल भी रही है कई महान पुरूषों और राजा महाराजाओं के जाने के बाद भी लेकिन दुनिया के वगैर हमारा जीवन दुष्कर हो जायेगा। इसलिये हमें पूर्णरूप से सामंजस्य बनाते हुये अपना जीवन व्यापन करना है हमारी जो जिम्मेदारियाँ हैं उन्हें निर्वाह करते हुये लेकिन हर जगह एक से अधिक बार समझौता करना एक तरह से अन्याय को बढ़ाना और दुष्ट प्रवृत्ति को सम्मान और विकास के अवसर प्रदान करना है। यदि जल भी समझौता कर लें अपने बहाव या अपने निरंतर आगे बढऩे के विरूद्ध तो वह एक ही जगह रूक कर सडऩे लगता है और अपनी दूसरों की प्यास बुझाने के गुण को खोकर गंदे नाले का रूप धारण कर लेता है जिससे लोग किसी तरह का स्पर्श नही करना चाहते। इसे हम एक कहानी के माध्यम से समझने की कोशिश कर सकते हैं-
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सोमवार, 20 अगस्त 2012

गहरे पानी पैठ


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मंगलवार, 31 जुलाई 2012

लव मैरिज या अरेन्ज मैरिज Love Marriage or Arranged Marriage?

मेरी इस पोस्ट का शीर्षक मै शुद्ध हिन्दी में लिखना चाहता था लेकिन मुझे अरेन्ज मैरिज की शुद्ध हिन्दी अपनी बोलचाल की भाषा में पता नही। मैने इस पोस्ट को लिखने से पहले एक सज्जन पुरूष जो कि एक अर्टिस्ट हैं से अरेन्ज और लव मैरिज के बारे के जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि अरेंज मैरिज सबसे अच्छी होती है क्योकि इसमें ससुराल के लोग अपने दामाद की बड़ी इज्जत या आदर सत्कार करते हैं, बुरे समय के वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराते हैं और तो और आपके परिवार और आपके ससुराल के पक्ष के लोग बड़े प्रेम से एक दूसरे की सहायता के लिये तत्पर रहते हैं जबकि प्रेम विवाह या लव मैरिज में इन सब बातों के अवसर बहुत ही कम मिलते हैं यदि पति पत्नि के बीच कभी कोई मनमुटाव हो जाये तो ससुराल पक्ष के लोग हमेशा आपको और अपनी बेटी को ही जिम्मेदार ठहराते हैं जबकि अरेंज मैरिज में वे ये चाहते हैं कि मनमुटाव को टाला जाये। लेकिन ये सच्चाई आये दिन न्यूज पेपर्स में जो हम खबरें पढ़ते हैं उनमें दिखाई नही देतीं। लोग एक पक्ष को दहेज के लिये प्रताडि़त करने का दोषी बताते हैं।
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शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

भगवद गीता ऑनलाइन सुनिए Listen online Bhagavad Geeta in Hindi

भगवद गीता ऑनलाइन सुनिए चार भाषाओं में  Listen online Bhagavad Geeta



http://gitopanishad.com/audio/hindi-gita/listen-hindi.html

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सोमवार, 25 जून 2012

जेन कथाएँ

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शुक्रवार, 22 जून 2012

हम स्वयं के निर्णयों के कारण दुखी हैं और कोसते भगवान को हैं। right decision with calm mind.


right decision with calm and cool mind.
शुरूआत करते हैं आम लोगों की भाषा से जो हर दूसरा व्यक्ति कहता है कि बड़ी मनहूस घड़ी थी जब मैने शादी की या उस घड़ी को कोसता हूँ जब जब मैने तुमसे शादी की या मेरी अक्ल घास चरने गई थी जब मैने फलां कम्पनी या शेयर मार्केट में ढेर सारा रूपया लगा दिया आदि। जल का कार्य होता है शीतलता प्रदान करना और प्यास बुझाना लेकिन जब वह अतिताप युक्त हो जाता है तो वह न हो शीतलता प्रदान करता है ना ही हम उससे अपनी प्यास बुझा सकते हैँ। यही हाल हमारा होता है जब हम उन्माद या क्रोध में आकर या किसी वासना या लोभ के कारण बिना सोचे विचारे केवल हसीन सपनों को देखते हुये कोई निर्णय ले लेते हैं तो हम कुछ समय बाद स्वयं को ही कोसने लगते हैं कि हमने कैसे बेहोशों की तरह निर्णय ले लिये जो आज हमारे वर्तमान जीवन को नर्क बनाये हुये हैं। जिनसे छूटकारे का कोई सरल उपाय नही सूझता। कुछ लोग तो रात दिन अपने ईष्ट देवता या कुल देवता को ही कोसते रहते हैं कि हम रात दिन आपकी पूजा करते हंै और आपने भी हमें इन गलत निर्णय लेने से नही बचाया या आपके होते हुये भी हमारा काम बिगड़ गया। और कुछ लोग तो नशे पत्ते के आदी होकर उस दुख को जो वे आज उन गलत निर्णयों की कारण भोग रहे हैं भूलाने की कोशिश में होते हैं लेकिन जब कुछ समय बाद नशा उतारता है तो वही दुख फिर उन्हें कचोटता है दुखी करता है। अब होना वही है जो होता है। वही बबूल के पेड़ वाली कहावत कि बबूल का बीज बोओगे तो अंत में कांटे ही मिलेंगे। यदि हम गहन एकांत में विचार करें तो हम स्वयं को ही गलत पायेंगे कि हमने अपने पूरे होश में ही निर्णय नही लिये किसी लालच में फंस कर निर्णय लिये।
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बुधवार, 20 जून 2012

जो केवल महसूस किया जा सकता है, जो सदैव नवीन है, ताजा है (Regular meditation)

Regular meditation
एक सिम्पल सा गणित है कि जिस संख्या के आगे 0 शून्य लगा होता है उसकी महत्ता कम होती है जबकि जिस संख्या के पीछे शून्य 0 लगा हो और 000000000000 लगते जायें तो उसकी महत्ता बढ़ती जाती है। हमने केवल पढ़ा और सुना है कि परमात्मा या भगवान के दर्शन बहुत से महात्माओं और ज्ञानी पुरूषों ने किये हैं लेकिन आज तक हमने हमारे बुजुर्गों से नही सुना कि उनके भी बुजुर्गों ने कभी परमात्मा के दर्शन किये हों। जहाँ तक हम अपने अभी तक के जीवन का विश्लेषण करें तो हम पायेंगे कि हमने केवल परमात्मा को महसूस किया है और हर विपरीत परिस्थिति में करते हैं। जबकि कुछ भावनाओं में बह जाते हैं और कह देते हैं कि जिसने उनकी कठिन समय में सहायता कि वे स्वयं भगवान थे। और कुछ तो यह कहते हैं कि हमने साक्षात् भगवान के दर्शन किये। इन बातों में सच्चाई तो है लेकिन जो ये कहते हैं कि हमने साक्षात भगवान के दर्शन किये वे वास्तव में उस रेगिस्तान में प्यासे की तरह होते हैं जिन्हे प्रचंड गर्मी में मिराज का भ्रम होता है जैसे हिरन को रेगिस्तान में होता है और उसकी मृगतृष्णा बढ़ती है कम नही होती या जो तपती दुपहरी में सड़क पर पानी का भ्रम लगता है उसे ही पानी समझ बैठते हैं। ये वैसे ही असंभव लगता है जैसे कि हम गुलाब, मोगरा, रात की रानी, चमेली आदि पुष्पों की सुगंध से अपना ध्यान उस ओर करते हैं लेकिन उस सुगंध को देख नही सकते और ना ही उस वायु या हवा के दर्शन कर सकते जो इस सुगंध की वाहक होती है जिस के कारण ही हमें अपनी ओर आती सुगंध महसूस होती है जिसका हम अनुभव कर यह तय करते हैं कि यह किस फूल की सुगंध है। भले की फूल कितने ही रंग का हो जैसे गुलाब लेकिन सुगंध वही जानी पहचानी आती है और यही फूल हम अपने गमले में सजा लें अगले दिन वह बासा हो जाता है और सुगंध कहाँ लुप्त हो जाती है पता नही पड़ता लेकिन यदि आप दोबारा ताजा गुलाब लायें तो आप वहीं सुगंध पायेंगे जो कि कभी बासी नही होती हमेशा नवीन और ताजा रहती है। भले ही हम कितने ही पुराने या नये तरीकों से उस परमात्मा को याद करे लेकिन महसूस वही होता है जो सबको होता है जिसको हम पुराणों और कथाओं में पढ़ते हैं लेकिन हम जो महसूस करते हैं उसका वर्णन शब्दों में किया जा सके असंभव लगता है केवल हम जो पुराणों और कथाओं में वर्णित है उसका समर्थन करते हैं कि हमने भी कुछ ऐसा ही महसूस किया है।
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मंगलवार, 5 जून 2012

समझ शब्दों से नहीं आती, स्वयं के अनुभव से आती है Experience from the past is a good teacher for our future.


  यदि आप किसी बच्चे को मना करें माचिस से खेलने को तो वह उसी माचिस की ओर ही आकर्षित होता है। एक बच्चा जो कि पार्क में अपने माता-पिता के साथ घूमने जाता है यदि वह किसी झूले या फव्वारे की ओर आकर्षित हो जाता है तो उसका आनंद लेकर ही मानता है। यदि बच्चा पार्क में माता पिता से खो जाये तो अधिकतर वह फव्वारे या झूले के पास ही मिलता है जिसमें कि उसे रस आता है। अब यदि पहली स्थिति की ओर ध्यान दें तो आप पायेंगे कि भले ही माता पिता माचिस से खेलने को मना करें पर जब बच्चा एक बार खेल खेल में माचिस की तीली जला कर स्वयं की अपनी अंगुलियाँ जला बैठता है तो वह पूरे जीवन में माचिस के गलत उपयोग की समझ विकसित कर लेता है और सावधान रहता है। और दूसरी स्थिति में यदि बच्चा झूले में झूलकर अजीबो गरीब स्थिति में आकर चिल्लाने लगता है तो वह उस झूले के प्रति पूरे जीवन भर की समझ विकसित कर लेता है।
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शुक्रवार, 1 जून 2012

संतुष्टि और सम्पूर्णता पाने की व्याकुलता Turn your Daily Life toward spirituality

एक बार एक गांव का होशियार शहर की ओर चल दिया, बड़ा खुश होकर। शहर पहुंचकर एक सुनार की दुकान पर गया और स्वयं को दीनहीन दिखाने का प्रयत्न करने लगा। उसने उस सुनार से कहा कि सेठ जी, गांव से पैसे लेकर निकला था लेकिन यहाँ शहर में चोरों ने मेरा पूरा धन लूट लिया अब आप यदि मेरी कुछ धन से सहायता कर दें तो मै अपने गांव लौट सकंू आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। तब उस सेठ ने कहा कि देखों भाई मैने यह दुकान दान धर्म के लिये तो नही खोली है मेरा पूरा परिवार मेरी इस दुकान के भरोसे है। हाँ यदि तुम्हारे पास कोई वस्तु हो तो मै उस वस्तु को गिरवी रख कर तुम्हे कुछ धन दे सकता हूँ। तब उस गांव के होशियार ने कहा कि सेठ जी गिरवी रखने के लिये मेरे पास कोई कीमती वस्तु तो नही है, यदि आप मेरे पास जो एक पीपे में शुद्ध घी है खरीद लें तो मेरी कुछ आप सहायता कर सकते हैं। तब उस सुनार ने मरे का माल सस्ते में खरीद लिया यानि एकदम आधे दाम में शुद्ध घी और उसने कहा कि देख भाई इतनी सुबह सुबह तो कोई ग्राहक आया नही, हाँ यदि तू कहे तो मै तुझे कुछ सोने के सिक्के और आभूषण दे सकता हूँ। तब उस किसान की लार टपकने लगी उसने झट से उस सुनार से आभूषण लिये और अपने गांव की ओर कूच कर गया। अब जब सुनार अपने घर में दोपहर के भोजन के लिये आया जो कि दुकान से ही लगा हुआ था और साथ में घी का पीपा भी लाया। तब उसने कहा कि सेठानी आज रोटी में इस पीपे से घी निकाल कर लगा कर देना।  सेठानी ने पीपा एक बर्तन में खाली किया तो देखा कि ऊपरी परत पर तो घी था बाकी नीचे पूरा गोबर ही गोबर भरा हुआ था। तब उस सेठ ने यह जानकार कोई प्रतिक्रिया नही की केवल एक हल्की सी मुक्कान उसके होठों पर तैर गई। अब जब वह गांव का होशियार अपने गांव पहुंचा तो अपनी पत्नि से उसने कहा कि लो ये आभूषण मै तुम्हारे लिये शहर से खरीद कर लाया हंू। तब उसकी पत्नि ने कहा कि पहले इन्हे अपने गांव के सुनार से जांचवा तो लो कि कहीं नकली न हों। तब उस गांव के होशियार चंद की होशियारी छू हो गई जब गांव के सुनार ने बताया कि पूरे के पूरे आभूषण और सोने के सिक्के नकली हैं।
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शनिवार, 19 मई 2012

दुखी रहने के उपाय Sad way to live

यदि हम उलटे को उलटा पलट दें तो वह सीधा हो जाता है बहुत से लोग होते हैं जो कि सीधा शब्द सुनते ही उसे न करने का मन पहले ही बना लेते हैं।  तो किसी वस्तु को यदि आपको ऐसे लोगो से सीधा करवाना हो तो उनसे कहना होगा उलटे को उलट दो। तो यही तरीका इस पोस्ट में है।
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सोमवार, 7 मई 2012

विमुख Turning Point

राकेश अपनी दीदी के यहाँ पढ़ाई के उद्देश्य से शहर आया। यहाँ उसने पढ़ाई के साथ साथ एक छोटी सी नौकरी भी कर ली। प्रात: वह अपने रूम में बैठकर पढ़ाई करता । और दिन में एक फुल टाइम जॉव करता। कुछ महीनों तो वह शहर में आकर कुछ नया और उत्साह अनुभव करता था लेकिन कुछ दिनों बाद वह शहर के माहौल से ऊब गया। हर तरफ ग्लैमर और पैसे के पीछे अंधी दौड़। लोग अपनी जीवन को जीने के लिये मल्टीप्लेक्स में कोचिंग लेते से लगते जैसे वे नई रिलीज फिल्में उन्हें बताती हो कि कैसे कपड़े पहनने हैं कैसा फास्ट फूड खाना है आदि।
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रविवार, 6 मई 2012

अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानिये, अभावों में भी आगे बढ़ते रहिये।

Identify your internal power with meditation
एक संत ने अपने अनुयायियों को एक सौ डालर का नोट दिखाकर कहा कि कौन इसे लेना चाहेगा, सभी ने अपने हाथ उठा दिये। तब उन संत ने उस नोट में थोड़ी धूल लगाई और फिर वही प्रश्न किया। फिर अधिकतर लोगों ने अपना हाथ उठा दिया। इस बार संत ने नोट को मोड़कर, गुड़ीमाड़ी कर फिर वही प्रश्न किया और वही उत्तर पाया सभी उस नोट को पाने के लिये अपने हाथ ऊपर उठाये हुये थे।
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शनिवार, 5 मई 2012

गीताप्रेस की हिंदी में अर्थसहित श्रीमद्भगवद्गीता bhagwat geeta in hindi

गीताप्रेस की हिंदी में अर्थसहित श्रीमद्भगवद्गीता
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बुधवार, 2 मई 2012

गीताप्रेस की कुछ अमूल्य किताबें ऑनलाइन पढ़ें या डाउनलोड कर पढ़ें Gita Press books online

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(इन पुस्तकोंको केवल निजी उपयोगमें लेनेकी अनुमति है ।)
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