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सोमवार, 30 अप्रैल 2012

एक हिन्दी फोन्ट को दूसरे हिन्दी फॉन्ट में कन्वर्ट करें बिना यूनिकोड किये convert hindi font to another hindi font or unicode in all india languages

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कभी कभी हमारे हाथ एक ऐसी फाईल या टेक्सट फाइल आ जाती है जो कि दूसरी प्रेस के विशेष फॉन्ट में होती है। जिसको कि हमें अपने फॉन्ट में कन्वर्ट करना होता है। अधिकतर पहले हम उस फॉन्ट को यूनिकोड में कन्वर्ट करते हैं फिर अपने फॉन्ट में। लेकिन उस विशेष फॉन्ट का यूनिकोड कंवर्टर नेट पर सर्च करना पड़ता है यदि नही मिला तो फिर दूबारा टाईप करो। यहाँ में जिस साफ्टवेयर के विषय में बताने जा रहा हँू इसमें ये सुविधा है कि आप सभी प्रचलित फॉन्ट को आपस में कंवर्ट कर सकते हैं, भले ही सोर्स फॉन्ट मतलब जिस फॉन्ट से आप अपने फॉन्ट में कंवर्ट करना चाहते हैं,  आपके सिस्टम में न हो तो भी। भारत की सभी भाषाओं के फॉन्ट में। यदि आपको जिस फॉन्ट में कंवर्ट करना है यदि वह फॉट उस लिस्ट में न हो तो उसे यूनिकोड में कंवर्ट कर ले और फिर उस यूनिकोड को अपने फॉन्ट में नेट पर मौजूद आॅनलाइन कंवर्टर से।

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

गर्व से कहो हम नेट जीवी है, एक जबाब उन लोगों को जो हमें आलसी कहते हैं

The power of social networking sites
पुराने जमाने में होता ये था कि एक बेचारा या बेचारी पर सरेराह जुल्म ढाये जाते थे और जुल्म केवल चार लोग ही ढाते थे बाकी जिसे जनता कहते हैं जिनकी संख्या उन चार जुल्मी से दस गुनी चालीस होती थी केवल तमाशा देखते थे और कर कुछ नही पाते थे केवल अपने अंदर एक भय पैदा कर चुपचाप रहते थे। लेकिन अब इस तरह के चार  लोग जब दु:साहस कर लोगों पर जुल्म ढाहाते हैं तब वे चालीस के चालीस बोलते तो कुछ नही लेकिन उनकी अंगुलिया अपने मोबाईल के की-पेड पर एक्टिव रहती है फेसबुक, टयूटर पर और उनके मोबाईल के कैमरे भी लगातार उस दरिंदगी को रिकार्ड करते रहते हैं और एक ब्लॉगर होता है जो घर आकर अपने लेपटॉप या डेक्सटॉप पर जो पूरी स्टोरी जो उसके दिमाग में फीड होती है को अपने ब्लॉग के माध्यम से और न्यूज बेव साईटों पर शेयर करता है। तब वे चार जुल्मी को लपेटे में आते ही है उनके  जैसे चालीस जो उनके ही विरादरी के होते हैं वे भी नही बच पाते। जब किसी का कच्चा चिठ्ठा एक बार नेट पर आ जाये तो हम सभी जानते हैं उसकी यात्रा अनंत होती है प्लेग की बीमारी से भी उसकी स्पीड फैलने के मामले में तेज होती है यूट्यूब और जाने कौन कौन सी साइटे एक सर्च में सामने आती हैं कर दो जहाँ चाहो लोड विडियो। अब बताईये हम कहाँ आलसी है हाँ हमें उन लोगो ने बदनाम कर रखा है जो केवल नेट पर अपोजिट सेक्स के वक्षस्थल, नितम्ब और न जाने क्या-क्या क्रीया कलापों में व्यस्त रह कर जो परिश्रमी नेटजीवी है उन्हें बदनाम करते हैं। कुछ तो, कुछ सिखाना ही नही चाहते बाबा आदम के जमाने के गेम आॅनलाइन खेलने में अमूल्य समय बर्बाद करते हैं। कुछ हैं जो केवल एक लालची की तरह सोचते हैं कि जितनी   संख्या में लड़कियों और अपना अंग प्रदर्शन करने वाली नकली या फेक प्रोफाईल वाली महिलाओं और नवयौवनाओं को अपनी फें्रड लिस्ट में एड करें उतना रूतबा बडे। किसी किसी नवयौवना वाली फोटो प्रोफाइल में फेंड्स की संख्या तो 5000 की करीब तक होती है उसके लिये तो अपनी एक दिन की वॉल पोस्ट पढ़ने में साल के 365 दिन भी कम पडें। और तो और कुछ होतीं है बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम उनकी जब फोटो एल्बम का निरिक्षण करो तो पता चलता है उन्होंने ओल्ड ऐज होते हुए भी किसी बॉलीबुड अभिनेत्री की फोटो अपने प्रोफाइल पर चिपका रखी है, ये ऐसे ही होता है जैसे किसी मंूगफली को छिलने में एक सड़ा दाना निकले। अब आप ही सोचिये ऐसे लोग जिनकी फें्रड लिस्ट में हजारों की संख्या में लोग मौजूद हों वे क्या करते होंगे फेसबुक पर। कुछ लोग तो दिनभर चेटिंग और चिटिंग में ही मजे लेते हैं ऐसे ऐसे इंग्लिश के वर्ड यूस करते हैं कि उनकी तो नए सिरे से डिक्शनरी छापनी पड़े ऐसे लोग जब आगे चलकर अपने बच्चों को यदि इंग्लिश पढ़ायेंगे तो उन्हें बहुत से शब्दों की ठीक स्पेलिंग ही याद नही आयेगी। कथा तो अनंत है आप अपने कमेंट्स के माध्यम से और बतायें कि कैसे हम परिश्रमी, ईमानदार लोग लगे रहते हैं। और लोग हमें आलसी कहते हैं। कुछ देशों की तानाशाह सरकारें ऐसी है जो हम जैसे अपने देशवासी ईमानदार, परिश्रमी नेटजीवियों से तंग आ चुकी हैं जो अपने देश में इन साइटों को ब्लॉक करके भी शुकुन महसूस नही कर पातीं।



जिसका रखवाला है राम, उसका कौन बिगाड़े काम

Child Adoption

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श्रद्धा आती है और पता नही कहाँ खो जाती है

Faith
हम लोग टीवी में भजन सुनते हैँ मै टीवी का उदाहरण इसलिये दे रहा हँू क्योंकि वहाँ आजकल ऐसे ऐसे भजन आते हंै जो  इमोशनली लोगों को भगवान को पूजने पर जोर देते हैं कोई कहता है कहाँ है तू प्रकट हो भगवान, तूझे प्रकट होना ही पड़ेगा। और पता नही क्या बोल मुझे अभी याद नही आ रहे। इन भजनों में एक सीरियल की तरह दिखाया जाता है कि कैसे भगवान के सामने नाचने गाने , आंसू बहाने से भगवान मुरादें पूरी कर देते हैं। लोग भी इन्ही भजनों का अनुसरण करते हैं और पहुंच जाते हैं बन-ठन के भगवान के मंदिर। अपने शहर के ऐसे मंदिर को चुनते हैं जो कि फेमस हो जहाँ बहुत भीडृ होती हो । और वहाँ ढेर सारी आगरबत्ती जला कर, नारियल चढ़ा कर तेल आदि से आरती पूजा अर्चना कर भगवान से कहते हैं, जिसे मानता कहते हैं कि भगवान अगर मेरा फलां काम हो गया तो आपको इतने किलो लड्डू चढ़ावा चढ़ाऊंगा या एक चुनरी या फिर अपने सर के बाल मुड़ा दूंगा आदि। इन सब कर्मकांडों से ये तो सिद्ध होता है कि हम भगवान को नही चाहते भगवान से बहुत कुछ चाहते हैं। जबकि जो हम मांग रहें हैं छोड़कर यही जाना है खाली हाथ।

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

बहुत ही सरल है गूगल ड्राइव

How to use Google Drive
यदि आपने गूगल ड्राइव पर रजिस्टर कर लिया और आपके पास गूगल ड्राइव का बधाईपूर्ण संदेश आ गया है कि आपका गूगल ड्राइव पर स्वागत है तो आगे कैसे इसे सरलता पूर्वक उपयोग किया जा सकता है कृपया समझें-
सबसे पहले तो आप गूगल ड्राइव में लॉगइन  करें
अब चित्र 1 के अनुसार डाउनलोड गूगल ड्राइव टू पीसी पर क्लिक करें अब स्टेप वाय स्टेप ओके या नेक्स्ट करतें हुये इस इंस्टाल करें। बीच में एक स्टेप पर आपको यह ध्यान देना होगा कि आपके कम्प्यूटर पर कहाँ गूगल ड्राइव नाम का फोल्डर बनाया जा रहा है या आप एडवांस आप्शन में जाकर अपने कम्प्यूटर में कहाँ आपको गूगल ड्राइव नाम का फोल्डर स्थापित करना है चुन लें। स्टे-साइनइन का आप्शन  भी चुन लें ताकि बार-बार आपको गूगल ड्राइव नाम के फोल्डर में फाइल्स पेस्ट करते समय लॉग इन न करना पड़े


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अब चित्र 2 के अनुसार जो भी आपकी काम की फाइलें हैं जिनकी आवश्यता आपको अपने इस कम्प्यूटर के अलावा अन्यत्र कहीं आवश्यकता पड़ सकती है उन्हें गूगल ड्राइव फोल्डर में पेस्ट कर दें।

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अब गूगल ड्राइव में आॅनलाइन जाकर देंखें कि आपकी फाइल्स या फोल्डर लिस्ट में शो कर रहा है या नही
चाहें तो आप गूगल ड्राइव को आॅनलाइन मतलब बिना अपने कम्प्यूटर पर इंस्टाल किये भी उपयोग कर सकते हैं जैसे आप अन्य फाइल शेयरिंग साइट्स का उपयोग करते हैं फाइलों को अपलोड कर ।

दुर्जनों का विरोध और दुर्जनों से मुक्ति जरूरी है

Develop your Initiative.
एक बार दो उदण्ड बच्चे एक सरोवर किराने गये और एक मेढ़क को पकड़कर उसकी पिछली टांग में धागा बांधकर  उसे सताने लगे। इस पर मेढ़क ने उन दोनों से कहा कि मुझ कमजोर को सताते हो यदि दम है तो इसी सरोवर में जो साँप है उसकी पूंछ में धागा बांधकर सताकर दिखाओं तो जानूं। हमारे आस पास या ये कहें कि हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में भी हम स्वयं को भी ऐसे ही पाते हैं। हम कोई देवता या शक्तिमान तो हैं नही जो किसी को सबक सीखा सकें। कुछ लोग तो दुर्जनों की दुष्टतापूर्ण बातों को ये कहकर टाल देते हैं या अपने मन को समझा लेते हैं की भगवान तुम्हे जरूर सजा देगा। ऐसे लोग चुपचाप लोगों की बातें सुन कर 1 प्रतिशत भी विरोध नही करते ऐसा करके वे उस दुर्जनता को बढ़ावा देते हैं। और ये दुष्ट ऐसे ही कमजोर और बिना विरोध सहन कर सकने वाले लोगों को लगातार अपना निशाना बनाते हैं। ऐसे विरोध नही करने वाले लोगों को सोचना चाहिये भगवान तो सजा देता है और देगा ही लेकिन आपका भी तो कर्तव्य है कि कम से कम उस दुर्जन का विरोध तो करो या उसने मुक्ति का एक विधि पूर्ण उपाय निकालो अन्यथा वह आपके दिमाग की शांति को भंग कर देगा। और आप रात दिन उसका बुरा सोचने में ही अपना अमूल्य समय और ऊर्जा नष्ट करेंगे।

मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

बडे काम का गूगल डॉक्स google docs

गूगल डॉक google docs file sharing
हम सभी ने ये अनुभव किया है कि यदि हम कोई फाइल जैसे कोई पुस्तक की पीडीएफ फाईल नेट से डाउनलोड करते हैं तो हम एक समय बाद उसे भूल जाते हैं कि हमारे कम्प्यूटर की हार्डडिस्क में एक मूल्यवान किताब सेब है लेकिन हमें उसे पढ़ने की याद नही रहती। लेकिन यही बुक हम डाउनलोड करने के बाद अपने गूगल डॉक में अपलोड कर लें तो जब भी हम गूगल डॉक खोलेगें हमें यह पुस्तक दिखाई दे जायेगी और हम समय निकाल कर किश्तों में इसे पढ़ भी सकते हैं। यदि आप चाहे कि यही बुक आपका कोई मित्र या फेसबुक फेंड्स भी पढ़लें वो भी बिना डाउनलोड किये । तो सबसे पहले आप जब इस पीडीएफ को अपलोड करते हैं तो फाइल नेम के सामने शेयर लिखा होता है उस पर आप अपने अनुसार शेयर टू पब्लिक या शेयर बाय लिंक कर उस लिंक को कॉपी कर अपने ईमेल के द्वारा अपने मित्र या फेसबुक वॉल पर पोस्ट कर शेयर कर सकते हैं। ये उन लोगों के लिये भी बड़े काम का है जो चाहते हैं कि सामने वाला केवल फाइल पढ़ ले डाउनलोड न कर पाये। अभी मै और इस गूगल डॉक की उपयोगिता के बारे में जानकारी एकत्र कर रहा हंू । जो उपयोगिता हाथ लगेगी इसी पोस्ट पर लिखूंगा। आप जैसे किसी नये सॉफ्टवेयर पर हाथ आजमाते हैं इस पर भी दिये हुये आप्शन्स को समझें। बहुत से लोग ये विश्वास करते हैं कि फ्री फाइल शेयरिंग साइट का उपयोग ठीक है लेकिन ये गलती न करें क्योंकि एक निश्चित समय बाद आपकी फाइलें उन साइटों से हटा दी जाती हैं फिर आप उन फाइलों को जरूरत पढ़ने पर ढंूढ़ते रह जाते हैं। गूगल डॉक्स पर आॅनलाईन फाइल एडिटिंग की सुविधा और सेव करने की सुविधा भी है।

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शनिवार, 14 अप्रैल 2012

डायरेक्ट गरीबों की सेवा

आज सुबह मैने प्रेस काम्पलेक्स के पास 3 छोटे बच्चों को देखा जिनमें से दो बच्चे नंगे पैर थे जो गंदगी के ढेर से चिलचिलाती धूप में सीमेन्टेड रोड पर पन्नियाँ बीन रहे थे। ये तो तय है कि वे गरीब थे लेकिन उन्हें इतनी समझ कहाँ कि चप्पलें खरीदने के पैसे कहाँ से आयें । पहले तो पेट के लिये पैसे कमालें। हम लोग भी शरीर को नजरअंदाज कर लगे हुये हैं पैसों को कमाने में। हल तो सभी को पता है लेकिन उसके लिये भी पैसा चाहिये। कुछ लोग पैसों से पैसा कमाने में लगे हुये हैं लेकिन यदि डायरेक्ट गरीबों की सेवा कर दान पुण्य कमाने में क्या हर्ज है। बड़े बड़े सेवा संस्थानों को लाखों रूपये दान करने से अच्छा है अपने आस पास की गरीबी कम करने का पुण्य कमाया जाये। याद रहे कि भिखरियों जो कि मंदिरों में और ट्रेफिक सिग्नल पर रेग्यूलर अपना ठिया जमाये रहते हैं मै उनकी बात नही कर रहा। दीन, हीन, दुखी, जीवन में छोटी मोटी आवश्यकता पूरी न होने पर पशुओं जैसे अपने शरीर को ढो रहे लोगों की ही सेवा बिना दिखावे के की जाये।  लेकिन अपने कर्म करते हुये। जरूरतमंद कोई विद्यार्थी, मध्यमवर्गी परिवार का मुखिया, कोई लाचार माँ या महिला जिनको सहायता की आवश्यकता तो है लेकिन वे दूसरों के आगे हाथ फैलाने में शर्म महसूस करते हैं।

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

स्वयं की शक्ति और अनजान भय से मुक्त्ति Power of Meditation

इस पोस्ट को पढ़ने से पहले शांत होकर ये मनन करें कि आज तक आपने कितना धन कमाया और कितना बचाया क्यों हम धन के स्थायी साधन की खोज में लगातार असफल हो रहे हैं, और जो साधन या नौकरी है उसमें हमें घुटन क्यों होती है क्यों हम स्वयं को दीन-हीन और लाचार पाते हैं जबकि जीवन जीने के लिये धन तो कमाना जरूरी है और फिर क्यों हम कुछ और कागज के टुकड़ो के लिये अपना जीवन नर्क बना रहें हैं क्या हम जीवन और अधिक धन कमाने के लिये ही जी रहें हैं या आधे-आधे करोड़ रूपये के मकान को खरीदना है और उनकी किश्तो को चुकाने को लक्ष्य बना कर ही अपना जीवन जी रहें हैं। कुछ है जिसे हम अपनी जवानी और बुढ़ापे में मिस कर रहें हैं कुछ है जिसके बिना हम अपने जीवन में शांति के लिये लगातार तनाव, क्रोध, परनिंदा, चिंता से पीछा छुड़ानें में लगे हुये हंै।