यदि आप किसी बच्चे को मना करें माचिस से खेलने को तो वह उसी माचिस की ओर ही आकर्षित होता है। एक बच्चा जो कि पार्क में अपने माता-पिता के साथ घूमने जाता है यदि वह किसी झूले या फव्वारे की ओर आकर्षित हो जाता है तो उसका आनंद लेकर ही मानता है। यदि बच्चा पार्क में माता पिता से खो जाये तो अधिकतर वह फव्वारे या झूले के पास ही मिलता है जिसमें कि उसे रस आता है। अब यदि पहली स्थिति की ओर ध्यान दें तो आप पायेंगे कि भले ही माता पिता माचिस से खेलने को मना करें पर जब बच्चा एक बार खेल खेल में माचिस की तीली जला कर स्वयं की अपनी अंगुलियाँ जला बैठता है तो वह पूरे जीवन में माचिस के गलत उपयोग की समझ विकसित कर लेता है और सावधान रहता है। और दूसरी स्थिति में यदि बच्चा झूले में झूलकर अजीबो गरीब स्थिति में आकर चिल्लाने लगता है तो वह उस झूले के प्रति पूरे जीवन भर की समझ विकसित कर लेता है।
एक पिता और उसका बेटा घर के बाहर कुर्सी लगाकर सुबह की चाय का आनंद ले रहे थे कि अचानक घर के अंदर से एक कांच के बर्तन के टूटने की आवाज आई। पिता ने अपने बेटे से कहा कि ये सुबह सुबह किसने बर्तन गिरा दिया। तब बेटा ने झट से जबाब दिया कि पिताजी ये माँ के हाथ से कोई बर्तन टूट गया है। तब पिता ने कहा कि तुम्हे कैसे मालूम कि तुम्हारी माँ के ही हाथ से बर्तन टूटा है ये भी तो हो सकता है कि सुबह सुबह बहू ने ही गलती से बर्तन गिरा दिया हो। तब पिता ने उसे आदेश दिया कि जाओ और देखकर आओ कि किसकी गलती है। तब वह बेटा अंदर जाकर देखता है तो पाता है कि माँ के हाथ से ही कांच का बर्तन टूटा है। वह माँ से कहता है कोई बात नही माँ तुम इसे छोड़ दो तुम्हारी तुम्हारी बहू इसे साफ कर देगी। वह वापस आकर पिता को बताता है कि माँ के हाथ से ही बर्तन फिसल गया था और टूट गया। तब पिता अचंभित होकर पूछता है कि तुमने इतने आत्मविश्वास से कैसे कह दिया था कि माँ के हाथ से ही बर्तन टूटा है तब बेटा बोला कि यह मेरा अनुभव है कि यदि मेरी पत्नि और आपकी बहू के हाथ से बर्तन टूट जाता तो माँ का रिकार्ड शुरू हो जाता जो कि बड़ी मुश्किल से बंद होता। ऐसा ही एक ओर उदाहरण है कि एक बेटा शहर से आकर देखता है कि माँ ही पूरे घर का काम करती है और उसकी पत्नि केवल महारानी की तरह राज करती है। तब उसने अपनी माँ से पूछा कि माँ तुमने मेरी शादी इसलिये की थी कि काम का बोझ कम हो और तुम्हे काम में हाथ बटाने वाला कोई मिले लेकिन ये क्या तुम ही पूरा कार्य करती हो अपनी बहू से क्यो नही करातीं। तब माँ ने बेटे को समझाते हुये कहा कि बेटा बहू की रूचि घर के कार्य करने में नही है वह केवल आदेश देना ही जानती है। पढ़ी लिखी है उसे लगता है कि घर कार्य के लिये कोई अलग से होना चाहिये क्योकि इसमें समय की बर्बादी होती है। तब बेटा कहता है कि मेरे पास एक उपाय है जिससे कि उसे घर के कार्य करने के लिये उत्साहित या फोर्स किया जा सकता है। अगले दिन वह बेटा और उसकी माँ योजनानुसार इस बात पर बहस करने लगे कि झाड़ू कौन लगायेगा माँ कहती है कि वह झाडू लगायेगी और बेटा कहता है कि मै लगाऊंगा। काफी देर तक उसकी पत्नी ऊपर बालकनी से यह तमाशा देख रही थी उसने चिढ़कर कहा कि आपस में क्यो झगड़ते हो आज तुम झाडू लगा लो कल सासू माँ लगा लेंगी। आखिर में माँ ने कहा कि बेटा ये मेरा लम्बा अनुभव है इसलिये मैने तुम्हे बताया था कि बहू का मन घर के कार्य में नही है।
ये तो थे ऐसे उदाहरण जो कि हमारे जीवन को कम ही प्रभावित करते हैं लेकिन कुछ ऐसे अनुभव भी होते हैं जो कि हमारे पूरे जीवन के लिये लाईट हाउस या ये कहे कि हमारी आंखे खोल देते हैं, हमे भ्रम की स्थिति से उबार देते हैं, हमारी सोच को ही बदल देते हैं। कुछ ऐसे उदाहरण जो कि किसी पर आंखे बंद कर भरोसा या प्रेम करने की प्रवृत्ति को हमेशा के लिये रोक देते हैं-
श्याम ने अपने माता पिता की इच्छा के विरूद्ध अपनी पसंद से विवाह किया उसे लगता था कि उसकी पत्नी उसे बहुत प्यार करती है। वह अपने माता पिता की ओर ध्यान न देकर अपने ससुराल पक्ष की ओर ज्यादा ध्यान देता है। उनके अपने घर पर आने पर उनका जरूरत से ज्यादा खर्च कर स्वागत करता था। वह यह सोचता था कि उसके माता पिता से ज्यादा उसकी प्रगति के लिये उसकी सासू माँ को चिंता रहती है। ससुराल पक्ष के लोग उससे अपमान जनक व्यवहार करते तो भी वह इसमें अपनी ही गलती स्वीकार करता। माता पिता को तो यह अहसास हो ही गया था कि बेटा हाथ से गया और बेटे को भी लगता था कि माता पिता रूढ़िवादी हैं उसकी प्रगति में बाधक हैं इसलिये उसने अपने माता पिता से अलग रहने का निर्णय ले लिया और बहाना बनाया कि दूसरे शहर में नई नौकरी मिल गई है। वह एक महानगर में जाकर अपनी पत्नी सहित रहने लगा जो कि उसके ससुराल से बहुत दूर था लेकिन नौकरी भी तो करनी थी। एक बार हुआ ये कि उसकी नौकरी चली गई अब वह कर्जा लेकर किसी तरह महानगर में छोटी मोटी नौकरी कर अपना खर्चा चलाने लगा उसके ससुराल पक्ष ने भी किनारा कर लिया उसकी दरिद्र स्थिति मे। उसकी पत्नी भी उसे हर बात में ताने देने लगी वह फिर भी किसी तरह मैनेज कर अपना जीवन यापन करने लगा इसी बीच उसे एक पुत्री की प्राप्ति भी हुई। वह अपनी पुत्री को बहुत चाहता था। एक बार एक ऐसी घटना घटी कि उसके आंखो से भ्रम का पर्दा हट गया। उसके ससुराल से उसके साले के विवाह का निमंत्रण आया उसने अपनी पत्नी को कहा कि तुम चली जाओ मै नही चल सकता तुम्हारे साथ क्योकि नौकरी नई-नई है अवकाश नही मिल पायेगा। उसकी पत्नी ने भी मन में तय कर लिया कि वह उसे जरूर अपने भाई के विवाह मे आने के लिये विवश कर देगी। क्योकि यदि उसका पति विवाह मे नही आया तो सबकी निंदा और ताने सुनने पड़ेंगे। वह अपने पति की बात मान कर अपने मायके आ गई अब उसने अपनी माँ से अपने पति को विवाह में बुलाने के लिये कोई उपाय सुझाने को कहा तब उसकी माँ ने उससे कहा कि अपने पति को फोन कर यह कह दे कि बच्ची की तबीयत बहुत बिगड़ गई है। शीघ्र ही आ जाओ। उसकी पत्नी ने ऐसा ही किया। अब पति श्याम अपनी पत्नी की बातों में आ गये और किसी तरह पैसो का बंदोबस्त कर राजधानी एक्सप्रेस से जिसका किराया काफी अधिक होता है की सवारी कर अपनी बच्ची की चिंता लिये अपने ससुराल पहँुच गये। तब श्याम ने पाया कि उसकी बच्ची तो भली चंगी है, उसने राहत की सांस ली। तब उसने अपनी पत्नि से कहा कि तुमने तो कहा था कि तबीयत बहुत बिगड़ गई है बच्ची की। तब उसकी पत्नी ने कहा कि यदि ये बहाना ना बनाती तो तुम क्या यहाँ आते? उस दिन के बाद श्याम को लगा कि अभी तक तो शायद किसी स्वप्न में ही वह जी रहा था अपने ससुराल और पत्नि के प्रेम में पागल होकर। वह विवाह में शामिल तो हुआ लेकिन शीघ्र ही अपने शहर आ गया और अपने माता पिता की बात न मानने की गलती का उसे अहसास हुआ उस दिन से वह अपनी पत्नी और ससुराल पक्ष से नियंत्रित व्यवहार ही करता केवल अपनी पुत्री पर और अपनी नौकरी पर ही ध्यान देता।
एक और उदाहरण लेते हैं-एक बार एक महोदय अपनी अपने कार्यस्थल पर कार्य करने वाली एक नवयौवना के प्रेम में पागल हो गये, उन्हें अपनी पत्नी और बच्चो तक का हित भी ध्यान न रहा। उन्होंने अपनी एक माह की पूरी सेलरी अपने साथ कार्य करने वाली सुंदर युवती की बातों में आकर उसकी सहायता के लिये उसे देदी और पत्नी को बहाना बनाया कि आॅफिस से सेलरी एक माह लेट मिलेगी। जब उन्होने देखा कि वह युवती तो पैसे देने का नाम ही नही ले रही तब उन्होने संकोच करते हुये उस युवती को अपनी परेशानी बताई कि पत्नी रोज पैसों के बारे में पूछती है, बच्चों और घर के खर्च के लिये मुझे अपना जमा धन खर्च करना पड़ रहा है लेकिन वह युवती प्रतिदिन नये नये बहाने बनाती। एक दिन उन महोदय को पता पड़ा कि वह नौकरी छोड़ कर चली गई है और बॉस से ये शिकायत कर गई है कि वे महोदय उसे प्रताड़ित करते हैं। तब से उन महोदय से हमेशा कि लिये कान पकड़ लिये कि आगे से किसी सुंदर युवती की चिकनी चुपड़ी बातों में नही आयेंगे। ये तो हो गई लोगों की बातो में आकर और किसी की चाहत में आकर धन गंवाने की बात अब एक और उदाहरण के माध्यम से समझते हैं कि कैसे लोग आपकी सज्जनता और दयनीय स्थिति का कपट पूर्वक फायदा उठाते हैं-राम गांव से शहर आया पढ़ने के लिये । शहर की चमक दमक में अपना खर्च नियंत्रित नही कर पाया और अपने माता पिता को झूठ बोलता कि खर्चा चल रहा है। उसने अपने कॉलेज की फीस के लिये अपने दोस्त लक्ष्मण से सहायता के लिये आग्रह किया (मैने यहाँ लक्ष्मण शब्द का इसलिये प्रयोग किया क्योकि राम उस मित्र को अपने भाई की तरह ही मानता था) अब जो लक्ष्मण था उसने सोचा कि मै क्यो अपने पैसे से इसकी सहायता करूं उसने अपना कपटी दिमाग लगाया कि यदि इसकी सहायता नही की तो यह मुझे पढ़ाई में अपने नोट्स नही देगा आखिर क्या किया जाये उसने एक योजना बनाई उसने राम को 5 हजार की जगह 10 हजार रूपये दे दिये और कहा कि मुसीबत के समय तो मित्र ही काम आते हैं। अब जब परीक्षा खत्म हो गई तो लक्ष्मण ने राम को आइडिया दिया गांव न जाकर यही कोई नौकरी कर लें अपने बढ़ते खर्च के लिये। राम की एक शोरूम पर एकाउंटेंट की नौकरी लग गई, उस शोरूम पर कैश पेमेंट कुछ समय के लिये राम के पास ही सुरक्षित रहता था यह बात लक्ष्मण को पता चल गई। उसने अपनी योजनानुसार एक दिन बहाना बनाया कि माँ कि तबीयत बहुत ही ज्यादा खराब है गांव जाना है, माँ के इलाज के लिये कुछ पैसे कम पड़ रहे हैं, राम को उसने बताया कि उसके पास यदि 40 हजार रूपये हो तो उसे दे दे। गांव से लौटकर वह लौटा देगा। तब राम ने सोचा कि शोरूम का कैश पेमेंट तो मेरे पास ही रहता है कुछ समय तो मैनेज करा जा सकता है उसने अपने शोरूम के कैश से 40 हजार रूपये लक्ष्मण को दे दिये। एक माह बीत गया लेकिन लक्ष्मण के गांव से ना तो लक्ष्मण वापस आया ना ही उसका मोबाइल लगता। राम को पता पड़ा कि उसके गांव का एड्रेस भी गलत है। अब राम को ठगे जाने का अहसास हुआ। और कर्ज में डूबकर उसने पढ़ाई छोड़कर कर नौकरी करने का निर्णय लिया। लेकिन हमेशा के लिये तय कर लिया किसी की सहायता धन से न करने का ।
एक सुंदर लड़की में एक चालाक लोमड़ी छिपी होती है। समय रहते उस लोमड़ी की चालाकी का स्तर पता कर लेना चाहिये और किस हद तक वह अपना व्यवहार निम्न स्तर का कर सकती है यह एक लम्बे समय तक सावधानी पूर्वक स्वयं की भावनाओं को नियंत्रित कर पता कर लेना स्वयं के हित में होता है।
जानना जहर है प्रेम के लिए. और ज्ञान तो प्रेम को छीन लेता है. क्योकि प्रेम के लिए रहस्य चाहिए और ज्ञान रहस्य को छीन लेता है. ज्ञान कहता है हम जानते हैं रहस्य क्या है.- ओशो
एक और उदाहरण लेते हैं-एक बार एक महोदय अपनी अपने कार्यस्थल पर कार्य करने वाली एक नवयौवना के प्रेम में पागल हो गये, उन्हें अपनी पत्नी और बच्चो तक का हित भी ध्यान न रहा। उन्होंने अपनी एक माह की पूरी सेलरी अपने साथ कार्य करने वाली सुंदर युवती की बातों में आकर उसकी सहायता के लिये उसे देदी और पत्नी को बहाना बनाया कि आॅफिस से सेलरी एक माह लेट मिलेगी। जब उन्होने देखा कि वह युवती तो पैसे देने का नाम ही नही ले रही तब उन्होने संकोच करते हुये उस युवती को अपनी परेशानी बताई कि पत्नी रोज पैसों के बारे में पूछती है, बच्चों और घर के खर्च के लिये मुझे अपना जमा धन खर्च करना पड़ रहा है लेकिन वह युवती प्रतिदिन नये नये बहाने बनाती। एक दिन उन महोदय को पता पड़ा कि वह नौकरी छोड़ कर चली गई है और बॉस से ये शिकायत कर गई है कि वे महोदय उसे प्रताड़ित करते हैं। तब से उन महोदय से हमेशा कि लिये कान पकड़ लिये कि आगे से किसी सुंदर युवती की चिकनी चुपड़ी बातों में नही आयेंगे। ये तो हो गई लोगों की बातो में आकर और किसी की चाहत में आकर धन गंवाने की बात अब एक और उदाहरण के माध्यम से समझते हैं कि कैसे लोग आपकी सज्जनता और दयनीय स्थिति का कपट पूर्वक फायदा उठाते हैं-राम गांव से शहर आया पढ़ने के लिये । शहर की चमक दमक में अपना खर्च नियंत्रित नही कर पाया और अपने माता पिता को झूठ बोलता कि खर्चा चल रहा है। उसने अपने कॉलेज की फीस के लिये अपने दोस्त लक्ष्मण से सहायता के लिये आग्रह किया (मैने यहाँ लक्ष्मण शब्द का इसलिये प्रयोग किया क्योकि राम उस मित्र को अपने भाई की तरह ही मानता था) अब जो लक्ष्मण था उसने सोचा कि मै क्यो अपने पैसे से इसकी सहायता करूं उसने अपना कपटी दिमाग लगाया कि यदि इसकी सहायता नही की तो यह मुझे पढ़ाई में अपने नोट्स नही देगा आखिर क्या किया जाये उसने एक योजना बनाई उसने राम को 5 हजार की जगह 10 हजार रूपये दे दिये और कहा कि मुसीबत के समय तो मित्र ही काम आते हैं। अब जब परीक्षा खत्म हो गई तो लक्ष्मण ने राम को आइडिया दिया गांव न जाकर यही कोई नौकरी कर लें अपने बढ़ते खर्च के लिये। राम की एक शोरूम पर एकाउंटेंट की नौकरी लग गई, उस शोरूम पर कैश पेमेंट कुछ समय के लिये राम के पास ही सुरक्षित रहता था यह बात लक्ष्मण को पता चल गई। उसने अपनी योजनानुसार एक दिन बहाना बनाया कि माँ कि तबीयत बहुत ही ज्यादा खराब है गांव जाना है, माँ के इलाज के लिये कुछ पैसे कम पड़ रहे हैं, राम को उसने बताया कि उसके पास यदि 40 हजार रूपये हो तो उसे दे दे। गांव से लौटकर वह लौटा देगा। तब राम ने सोचा कि शोरूम का कैश पेमेंट तो मेरे पास ही रहता है कुछ समय तो मैनेज करा जा सकता है उसने अपने शोरूम के कैश से 40 हजार रूपये लक्ष्मण को दे दिये। एक माह बीत गया लेकिन लक्ष्मण के गांव से ना तो लक्ष्मण वापस आया ना ही उसका मोबाइल लगता। राम को पता पड़ा कि उसके गांव का एड्रेस भी गलत है। अब राम को ठगे जाने का अहसास हुआ। और कर्ज में डूबकर उसने पढ़ाई छोड़कर कर नौकरी करने का निर्णय लिया। लेकिन हमेशा के लिये तय कर लिया किसी की सहायता धन से न करने का ।
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