विश्वास सत्य पर टिकता है और घृणा झूठ से पैदा होती है
हम अपनी प्रतिदिन की चर्या में देखते हैं, कि कुछ लोग हर बात पर झूठ बोलते हैं जैसे कि उनसे किसी कुबेर के खजाने का पता पूछा जा रहा हो। धीरे—धीरे ऐसी व्यक्तियों के प्रति लोगो का व्यवहार बदलता जाता है और वे किसी के विश्वास के योग्य नही रह जाते बल्कि यदि वे किसी गंभीर बात या चर्चा में भी झूठ का सहारा लेते हैं या छोटी छोटी बातों को छुपाते हुए झूठ बोलते हैं तो वे लोगो की घृणा के शिकार हो जाते हैं। जैसे यदि आपका कोई नौकर या घर का सदस्य घर के खर्चों के बारे में पूछे जाने पर झूठ बोलता है तो वह धीरे धीरे विश्वास खोता जाता है घृणा का पात्र हो जाता है। इसी को यदि हम गंभीर विषय पर बात करें तो जो पति—पत्नि होतें हैं यदि वे आपस में झूठ का सहारा लेते हैं तो उनका वैवहिक जीवन क्लेश से भर जाता है।
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