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शनिवार, 19 मई 2012

दुखी रहने के उपाय Sad way to live

यदि हम उलटे को उलटा पलट दें तो वह सीधा हो जाता है बहुत से लोग होते हैं जो कि सीधा शब्द सुनते ही उसे न करने का मन पहले ही बना लेते हैं।  तो किसी वस्तु को यदि आपको ऐसे लोगो से सीधा करवाना हो तो उनसे कहना होगा उलटे को उलट दो। तो यही तरीका इस पोस्ट में है।

यदि आप अपने जीवन में दुखी रहना चाहते हैं तो घर से आॅफिस के लिये निकलते समय थोड़ा लापरवाही पूर्वक अपनी गाड़ी के चाबी घर पर ही छोड़कर नीचे गैराज में आकर फिर चाबी को अपनी जेब में ढंूढें और नीचे से ही चिल्लाकर अपनी पत्नी को चबी फेंकने को कहेंं। अब आप इंतेजार कर रहें होंगे और ऊपर अपकी पत्नी चाबी घर में ढंूढ रही होगी। फिर आप क्रोध में आकर वापस ऊपर की ओर जाने के लिये सीढ़ियों का रूख करते हैं। और अपनी पत्नि को मन ही मन कोसते हुये, ऊपर पहुंचकर उस पर बरस पड़ते हैँ तब पत्नि पूरा आरोप बच्चों पर लगाते हुये कहती है कि ये बच्चें भी ना पता नही कहाँ कहाँ चीजे फेंकते रहते हैँ इनके कारण कोई चीज जगह पर नही रहती। इतने में आप आपकी पत्नि को उसकी जगत में स्थिति याद दिलाते हैं जैसे की वह इस जगत में एक मूर्ख प्राणियों की श्रेणी में सबसे पहले आती है। अब जैसे तैसे आपकी चाबी मिल जाती है। तो गाड़ी से चलते हुये आफिस की ओर गमन करते हैं रास्ते में दूसरे गाड़ी चालकों को कोसते हुये जो आपके आगे निकल जाते हैं। आप अपनी निराशा पूर्ण बाते पूरे रास्ते सोचते हुये चलते हैं। जैसे आपकी किस्मत इस दुनिया में सबसे खराब है, सबसे ज्यादा मूर्ख पत्नि आपके जीवन में आई है। इसके साइट इफेक्ट ये होते हैं कि बॉस आपके त्रुटिपूर्ण कार्य के लिये आप पर अपना पूरा क्रोध बरसा देता है और आप घर जाकर पत्नि पर, पत्नि बच्चों पर और बच्चे अपने मंहगे खिलौने तोड़कर और आपस में लड़कर। नतीजा होता है कलाहपूर्ण वातावरण। उसकी रही कसी कसर आप जब खाना खाने बैठते हैं तो पत्नि चुनचुनकर पता नही कहाँ कहाँ की बाते खाने के साथ कहती चलती है उसे पता है कि यही मौका अपनी भड़ास निकालने का, पड़ोसियों की बुराई करने का, बच्चों की शिकायत करने का और अपनी मांगे पूरी कब होंगी पता करने का। बस फिर क्या आपका भी अंदर का गुब्बार बहार आता है इसका रिजल्ट क्या होता है ये तो सभी जानते हैं।
अब बात करते हैं कि कैसे आप अपने अंदर एक चिरस्थाई तनाव पाल सकते हैं या कहें कि स्वयं को तनाव रूपी दीमक लगा सकते हैं जो आपकी जड़ो को निश्चित ही खोखला कर देगी और एक हवा का झोंका ही बहुत होगा आपके अस्तित्व को धराशाई करने के लिये, जो आपकी जिन्दगी को नर्क बना देगा आप रात-दिन एक ही रिकार्ड अपने दिमाग में प्ले करते रहेंगे। आप सोचते हैं कि कैसे और कौन से सफल शॉर्टकट को अपनाया जाये कि बची जिन्दगी सुख और शांति पूर्वक गुजरे। आप अपने रिश्तेदारों की वित्तीय और सामाजिक प्रगति से उनके प्रति ईर्ष्या पाल लेते हैं। फिर आप उनसे दूरी बनाये जाने के कारण ढंूढते हैं जैसे कि वह तो घमंडी है ऐसे लोगों से हम व्यवहार नही रखते आदि। अपने पड़ोसी की बढ़ती हुई बिल्डिंग आपका रात दिन का शुकुन छीन लेती है उससे काम्पटीशन करने के चक्कर में आप आपना पैसा ऐसी जगह उदाहरण के लिये शेयर मार्केट में इंवेस्ट करते हैं जहाँ आप पूरी पूंजी गंवा कर स्वयं को कोसते हैं वह बिल्डिंग बनाना तो दूर अब आपको अपने खर्चे चलाना भी मुश्किल प्रतीत होने लगता है। फिर पर्सनल लोन, के्रडिट कार्ड पर लोन लेकर उस लोन से मिले पैसे को फिर गंवा कर एक लम्बे समय तक जैसे 3-4 साल आप एक कुंए के मेंढ़क का सा जीवन जीते हो जिसका जीवन होता है कमाना और बैंक की ईएमआई चुकाना।
एक और तरीका है यदि आप किसी का अपमान वाणी के संयम को गंवाते हुए कर देते हैं तो वह व्यक्ति चाहे किसी भी प्रवृति का हो आपके द्वारा किये अपमान को पूरी जिन्दगी याद करता है। हाँ यदि वह दुर्याेधन जैसा हुआ तो आपको अपने जीवन में एक महाभारत की लड़ाई का सामना करने के लिये तैयार रहना होगा और यदि वह द्रोपदी जैसी कोई पर्सनालिटी हुई जिसका की आपने मर्यादा खोते हुये अपमान किया तो वह अपने कैश तभी बांधेगी जब तक आपकी जंघा न तोड़ दी जाये और आपकी छाती से खून से अपने कैश को न धोये। इतने बड़े उदाहरण इसलिये यहाँ दिये जा रहे हैं कि इन दोनो की उत्पत्ति मात्र एक हँसी थी जो दूसरे का अपमान साबित हुई और उस हँसी का बदला लेने के लिये भरी सभा में चीरहरण हुआ। और उस चीरहरण के अपमान का बदला महाभारत की लड़ाई में सामने आया। या फिर उस रावण की तरह जो अपनी बहन द्वारा झूठी शिकायत के चक्कर में आ गया और बिना किसी जाँच या सच का पता करने के राम को शत्रु समझ कर किस तरह उसका अहित करना है का चिंतन करने लगा और अपने परिवार का ही नाश कर बैठा।
एक और उपाय देररात जब नींद आने को होती है टीवी में ओल्ड इज गोल्ड वाले गाने सुनों और पुरानी यादों में खो जाओ और उन पुरानी यादों में अच्छे लोगों को इग्नोर या दरकिनार करते हुये उन बुरे लोगों के कृत्य याद करते चले जाओ जिन के कारण आपके जीवन में टर्निंग पाइंट आये। आपके अनुसार आपकी जिन्दगी ऐसे ही लोगो के कारण नर्क में बदल गई। उन को कोसो और उनका बुरा सोचो, अपना खून जलाओ, सरदर्द   को आमंत्रण दो और फिर घोर निराशा में आंचल में सो जाओ। कोई काम पूर्ण करने के लिये या करवाने के लिये मंदिरों के चक्कर लगाओ, उपवास करो और जब काम पूरा न हो तो फिर उसे कोसो जिसके लिये आपने तेल की बॉटल और मिठाईयों के डब्बे, फूलों के हार और न जाने क्या खरीदने में पैसा झोंका। कुल मिलाकर ये जो मनुष्य देह हमको दी गई है परमात्मा और स्वयं को जानने के लिये जो कि  देवताओं को भी नही मिलती आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिये, आनंद पूर्वक परमात्मा के बनाये संसार को भोगने के लिये , भवसागर से पार करने के लिये इस शरीर और मनुष्य रूपी नौका को  क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, चिंता रूपी छिद्रों से युक्त करना है ताकि हम स्वयं को दुख के सागर में लीन कर हर पल, हर दिन, बचे हुये जीवन को मृत्यु से पहले ही नर्क का अनुभव करा दें।
एक और उपाय जिसे कि अपनाने की आवश्यकता नही पड़ती स्वयं की आप अंदर उसे ढंूढ सकते हैं जो कि मृगतृष्णा के समान होती है इंद्रियों के सुखों की तलाश में पूरा जीवन बीत जाता है लेकिन ये इंद्रियाँ संतुष्ट नही होतीं क्योकि इंद्रियों को हर बार कुछ नया आकर्षित करता है। रसगुल्ला खाओ तो गुलाब जामुन और इनसे भी पेट भर जाये तो फिर कुछ चटपटा और उसके बाद भी कुछ ठंडा या गर्म और अंत में वहीं पुराना मीठा। यह सर्कल पूरे जीवन भर चलता है। शरीर बूढ़ा हो जाता है इंद्रियाँ निस्तेज हो जातीं है लेकिन प्यास बनी रहती है। और उसे पाने की इच्छा बनी रहती है भले ही मँुह में दाँत, आँखों में रोशनी, हाथ पैरों में दम न हो लेकिन फिर भी मन भटकता है और दुखी होता रहता है। बचपन और युवास्था के दिन याद आते हैं और स्वयं को ही दोषी मानते हैं कि पूरा जीवन यंू ही निकाल दिया। इस उम्र में भले ही शरीर के किसी हिस्से में ताकत न बची हो जवान या जीभ में बहुत ताकत होती है जो रात दिन दूसरो को कोसती है और फिर उसका रियेक्शन आता है तो हम स्वयं को दुखों से घिरा पाते हैं। अपने पराये से प्रतीत होते हैं अब अपने ही बच्चे दूसरे से कहते हैं माता पिता हमारे साथ रहते हैं और आपको वो जमाना याद आता है जब आप कहते थे कि हमारे बच्चे हमारे साथ रहते हैं। इस उम्र में जब माया का पर्दा लगभग हट ही जाता है तब समझ आता है कि आपने मनुष्य जीवन ऐसे ही खो दिया वह तो किया ही नही जिसे करने के लिये आपने जन्म लिया था और फिर वही निराश और परिणाम दुख।
दुखी रहने के और भी कलयुगी उदाहरण है लेकिन उनका यहाँ वर्णन करना ऐसे ही है जैसे किसी रक्तबीज नामक दैत्य को घायल करना जिससे रक्तबीज तो नही मरेगा उल्टे और रक्तबीज उत्पन्न होंगे जो कि उनकी उत्पत्ना में एक बीज का कार्य करेंगें और इसलिये भी यहाँ वर्णन करना निरर्थक है कि वे अपने जीवन में सुधार के पूरे दरवाजे बंद कर बैठे हैं जिसके लिये बातों या अक्षरों से काम नही चलने वाला उन्हें तो एक लम्बे और सुधार अभ्यास की आवश्यकता है किसी संत पुरूष या किसी ट्रेनर के मार्गदर्शन में कठोर अनुशासन द्वारा।  हमें अपनी काल कोठरी में  किसी तरह अनंत आकाश की एक झलक के लिये स्वयं ही प्रयास करना होगा जिसका नतीजा होगा एक सूर्य की रोशनी के दर्शन जो  ऐसे ही जैसे किसी सागर की एक बंूद से ही सागर के पानी का स्वाद पता पड़ जाता है। हमें स्वयं को एक माचिस की तीली से एक दिये में बदलना होगा जो कि दूसरों के भले और दूसरे दीये के नीचे के अंधकार को दूर कर देता है बिना स्वयं को जलाकर नष्ट करने के जैसे माचिस की तीली जलती तो है लेकिन स्वयं भी नष्ट हो जाती है। उसका सर तो होता है लेकिन समझ का अता पता नही होता। जरा से क्रोध और तनाव रूपी रगड़ से उत्पन्न चिंगारी से वह स्वयं ही नष्ट हो जाती है। लेकिन एक दीया दूसरे दीये का और अपने आसपास के लोगों का अंधकार दूर कर देता है। इस कालकोठरी में एक छेद आप कर सकते हैं जो आपको सूर्य की रोशनी और अनंत आकाश का दर्शन कराने में एक सफल प्रयास हो सकता है वह है ध्यानयोग और नाम जप लेकिन किसी सतगुरू के मार्गदर्शन और प्रतिदिन के सत्संग द्वारा। और स्वाध्याय द्वारा ज्ञानयोग यानी आध्यात्मिक ज्ञान। ये तरीका भगवान ने स्वयं गीता में बताया है। उस परमात्मा की ओर कर्मकरते हुए एक यात्रा प्रारंभ करनी है जो हिन्दी, इंग्लिश, गुजराती, मराठी, उड़िया, जर्मन, रूसी, चीनी, जपानी और जितनी भी भाषाएँ इस संसार में बोली जाती है सब समझता है। और इन सब भाषाओं का सार जो कि प्रेम है जिसे प्रकट करने के लिये किसी भाषा की आवश्यकता नही पड़ती पहले समझ जाता है। वहीं है जिसने चीनी, अमेरिकी, और साउथ अफ्रीकी लोगों को बनाया हम इन लोगा में फर्क नही कर पाते लेकिन वही एक परमात्मा है जिनसे अपनी कारीगरी द्वारा संसार के हर व्यक्ति को एक यूनिक पहचान देकर भेजा है जिसे हम डीएनए और अन्य पहचान जैसे आँखों की पुतली, फिंगर प्रिंट और ना जाने क्या नाम देते हैं, वही है जो उस तापमान में जब पूरी वादी वर्फ में आगोश में रहती है, पूरा रेगिस्तानी इलाका भयंकर गर्मी से जल रहा होता हैअपने बनाये हुये प्राणियों के जीवन का ध्यान रखता है। वही है जिसने इतने तारे बनाये हैं कि उसे गिनने में हमारी उम्र ही कम पड़ जाये। वही है जो ब्राह्मांड को रात दिन, लाखों वर्षों से निरंतर घुमा रहा है। वही है जिसने हजारों लाखों प्रकार के   फूल बनाये जिनमें से ऐसी मनमोहक सुगंध निकलती है जो हमारे दिमाग और मन को एक शुकुन महसूस करा देती है। जो किसी फैक्ट्री में नही बनाई जा सकती है। वही हैं जिसने न जाने कितने तरह के फल बनाये सबका अलग अलग स्वाद जिनको देखते ही जी ललचा जाता है। कभी संतरे और अनार के अंदर की पैकिंग को ध्यान से देखें क्या कमाल की पैकिंग की उस परमात्मा ने जबकि वह चाहता तो एक डब्बे में रस भर कर पेड पर टांग देता। वही है जिसने घने छायादार वृक्ष बनाये जिनमे छोटे छोटे फल लगते है और वही है जिसने उस कोमल लताओं और वेलों को बनाया जो बड़े बड़े फलों का भार सहन कर लेती हैं। हरि अनंत हरि कथा अनंता।

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2 टिप्‍पणियां:

  1. मनुष्य तो सदैव दुख ही खोजता फिरता है।

    अच्छा है आपने व्यस्तताओं में उपाय उप्लब्ध करवा दिए

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