पृष्ठ

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

Convert docx to doc file

यदि आपके कंप्यूटर में MS ऑफिस का पुराना Version है और आप docx फाइल नहीं खोल पा रहे है तो इस वेबसाइट पर जाकर फाइल अपलोड कर दें और स्टेप २ में doc सलेक्ट कर अपना ईमेल स्टेप ३ में टाइप कर, स्टेप ४ में convert पर क्लिक कर दें. अगले ही पल आपके मेल पर डोक फाइल आ जायेगी जिसे आप पुराने version में खोल सकतें हैं.

नोट : इस वेबसाइट पर आप अन्य files भी convert कर सकतें हैं.

अपने फोटो को पेंटिंग में बदलें (Turn your Photo into Painting)

अपने फोटो को पेंटिंग में बदलें
मैं यहाँ कुछ लिखने की जरुरत महसूस नहीं कर रहा कृपया ये विडियो देखें और इस सॉफ्टवेर का
portable version डाउनलोड करें जिसे बिना कंप्यूटर में इन्स्टाल किये चलाया जा सकता है.



गुरुवार, 15 सितंबर 2011

एक्स्ट्रा कमाई के क्या साधन है? extra income sources in bhopal

Extra Income?????????? 
3 dec11 bhaskar bhopal
मीडियम क्लास फैमली के मुखिया के एक्स्ट्रा कमाई के क्या साधन है। इस एक्स्ट्रा कमाई के चक्कर में लोग अपना पैसा शेयर मार्केट में इंवेस्ट करते हैं लेकिन  उस फिल्ड में जानकारी न होने के कारण बहुत जल्द उनका सूपढ़ा साफ हो जाता है और वह उस समय को कोसता है जब उसने उस शेयर मार्केट में पैसा लगाया। या फिर लोग जो पेपरों में वर्गीकृत विज्ञापन में जो डाटा एंट्री, उद्योग लगाएँ पैसा कमाएँ,एमएलएम कंपनियों में अपना पैसा बर्बाद कर देते हैं और ये ठग लोग इनको बेवकूफ बनाने के लिये दूसरे नाम से फिर विज्ञापन देते हैं और ये लोग फिर ठगे जाते हैं। जिस गति से मँहगाई या कहें के पेट्रोल के दाम बढ़ रहें हैं जिससे हर वो वस्तु मँहगाई की शिकार हो रही है जिसकी माँग मार्केट में ज्यादा होती है जाहिर सी बात है वो वस्तुएँ वे हैं जिसे हम राशन पानी कहते हैं। इन सब चीजों को खरीदने में पूरी सैलरी साफ हो जाती है। ऊपर से मँहगाई हर छह महिने में बढ़ जाती है लेकिन सैलरी नही बढ़ती इसी तनाव में लोग इन ठगों में चक्कर में पड़ कर कुछ एक्स्ट्रा कमाई जिससे कि वे अपने परिवार का खर्च चला सकें अपनी सेविंग झोंक देते हैं। कुल मिलाकर मै ये कहना चाहता हूँ कि आम आदमी ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में इन ठगों का शिकार हो रहा है तो क्यो न हमारी म.प्र. की सरकार हम जैसे आम आदमी को कुछ आमदनी बढ़ाने का मौका क्यों नही देती मेरा मतलब लॉटरी से है अन्य राज्यों में लाटरी चल रही है तो वह कौन सा कारण है कि म.प्र. में लॉटरी बंद है। लॉटरी में हारने बाद आदमी केवल रातभर टेंशन लेता है लेकिन इन ठगों के चक्कर में महिनों अपने लाभ के चक्कर में अपना तनाव परिवार वालों और शराब धूम्रपान कर निकालता रहता है और लडता झगता है उस व्यक्ति से जिसने इनका पैसा हजम कर जाता है। आजकल विभिन्न कम्पनियों के चेंन सिस्टम चल रहें है जिसमें लोग अपने फायदे के लिये अपनों का पैसा इंवेस्ट करवाते हैं और खुद भी बेबकूफ बनते हैं और अपनों से बुराई होती है सो अलग।

बैंकें एफडी पर इतना कम ब्याज देतीं हैं लोगों को कि लोग हंसने लगते हैं सुनकर कि फलां महीने बाद उन्हें इतना कम ब्याज मिलेगा इसलिये लोग चिटफंड, शेयर बाजार और ब्याज खोरों के चक्कर में अपना पैसा गंवाते हैं। और इसी जमा पैसों को बैंके जब लोन के रूप में लोगों को देती हैं तो ब्याज बहुत ज्यादा होता है। बैंकंे आम आदमी से नही बडे बडे व्यापारियों से जमा चाहती हैं जो कि करोडों में होता है।

db star bhaskar bhopal 29 nov11 click for zoom

bhaskar bhopal 1 dec11

3 dec11 bhaskar bhopal



4dec11
bhaskar bhopal 20 jan 2012 page no. 3
13feb12 bhaskar bhopal

13feb12 bhaskar bhopal


23apr12 right click and open in new window for zoom

17 june12
21 june12
28june12 bhaskar bhopal
30 july 12 (right click and open in new window for ZOOM)

6 sept 2012 DB STAR BHOPAL

11 sept 2012 bhaskar bhopal

2nd feb 2013 bhaskar bhopal
5th april 2013
18 april 2013
26 april 2013
26 april 2013
7 may 2013
29 MAY 2013
29 MAY 2013
29 MAY 2013
3rd june 2013
14 june 2013
18 june 2013
26 june 2013
5 july 2013
11 JULY 2013
27 july 2013
14 nov'2013

12 nov 2012






बुधवार, 14 सितंबर 2011

आज सब एक दूसरे से कह रहे हैं कि हिंदी बोलो,हिंदी में काम करो

आज सब एक दूसरे से कह रहे हैं कि हिंदी बोलो,हिंदी में काम करो, अख़बारों में भी लम्बे चौड़े लेख आयें हैं. एक दिन लोग हिंदी का राग अलापते हैं फिर अगले साल अलापेंगे. आप में से कितने लोग मुझे ये बता सकतें हैं कि यदि हमें पहली क्लास के बच्चों के लिए बारहखड़ी सिखानी हो तो हमारे पास आजके हाईटेक ज़माने में क्या उपलब्ध है. मैंने ऐसा कोई भी टीवी चैनल नहीं देखा जो बच्चो को घर पर पढने में मदद कर सके अपने प्रोग्राम के जरिये. दूरदर्शन का जो ज्ञानदर्शन चैनल है उस पर तो समझ में ही नहीं आता कि क्या पढ़ा रहे हैं और किसे पढ़ा रहे हैं. इस चैनल पर एक भी ऐसा प्रोग्राम नहीं है जो गांव-गांव मे बच्चो को हिंदी लिखने और उसकी व्याकरण समझने में मदद कर सके.  अगर प्रसार भारती इस चैनल का इस दिशा में उपयोग करे तो देश का साक्षरता स्तर सुधर सकता है. में जब अपने बच्चे के कोर्स में हिंदी कि १-२ बुक ही देखता हूँ तो मुझे बड़ी चिंता होंती है कि कही ये इंग्लिश मीडियम में हिंदी सिखने से बंचित न रह जाये. हिंदी सिखाने का उत्साह  किस कदर कम हो चुका है इसका सबसे बड़ा उदहारण है : आप youtube पर हिंदी बारहखड़ी के मुश्किल से १० विडियो भी नहीं सर्च कर पायेंगे.

सोमवार, 12 सितंबर 2011

भोपाल में एक बहुत बड़ी और नई बिजनेस अर्पोचुनिटी दस्तक दे रही है

Tiffin Service Business Opportunity in Bhopal
भोपाल में एक बहुत बड़ी और नई बिजनेस अर्पोचुनिटी दस्तक दे रही है वो है टिफिन सर्विस वो भी उसके लिये जो पहले से किसी ब्रांड बिजनेस को सफलता पूर्वक चला रहा हो और जिस पर लोग भरोसा कर सकें अच्छी क्वालिटी के मामले में। वैसे तो भोपाल में बहुत से टिफिन सर्विस बहुत ही छोटे स्तर पर चलते हैं। मैने एक टिफिन वाले से पूछा कि उसे बिजनेस कैसा मिलता है तो उसने बताया कि इतने फोन कॉल्स आते हंै कि 75-90प्रतिशत लोगों को हमें टिफिन के लिये मना करना पड़ता है क्योकिं हमारे पास मेनपावर उस लायक नही है और हम भोपाल के हर कोने के ये सर्विस नही दे सकते उसने बतया कि उसे सबसे ज्यादा कॉलेज स्टूटेंट और बडे बडे माल्स में काम करने वाले लोगों के टिफिन के लिये फोन आते है जो भोपाल के बाहर से यहाँ नौकरी करने आते हैं। अधिकतर लोग शाकाहारी खाने की माँग करते हैं कभी कभी तो लोग ट्रेन में सफर के दौरान भोपाल स्टेशन पर टिफिन प्रोवाइड करने के लिये रिक्युऐस्ट करते हैं लेकिन हमें उन्हें मना करना पड़ता है क्यो कि हमारे पास पैमेंट लेने के लिये हाईटेक जानकारी नही है। उससे मुझे एक नई बात पता पड़ी कि कुछ लोग अपने परिवार के सदस्यों को कुछ दिन भोपाल में छोडकर बिजनेस के सिलसिले में या शादी पार्टी में जाते है तो वे चाहते हैं कि टिफिन सर्विस उनके परिवार को मिल जाये। क्योकि होटल का खाना मँहगा पडता है और रोज नही खाया जा सकता।

एक प्रश्न जो हर उस बच्चे के दिमाग में जवानी तक रहता है जो आज तम्बाकू से परिचित है

  बहुत सी दवा कम्पनियाँ बीमारियों को दबाने वाली दवाएँ के लिये ही रिसर्च कर रही हैं और नई नई दवाएँ मार्केट में उतार रही हैं और खूब मुनाफा पीट रहीं हैं। ये कम्पनियाँ बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिये रिसर्च क्यों नही करतीं। अगर कर भी रहीं है तो इनका रिजल्ट क्यो नहीं आता क्यो सरकार अपने राजस्व के चक्कर में इनको इसके के लिये उत्साहित करने से हिचकती है। मुझे लगता है कि इससे इनकी दुकानदारी बंद हो जायेगी। एक बात ओर कि सरकार तम्बाकू विक्रेताओं से कहती है कि पैकेट पर लिखें और ये बीमारी के फोटो भी दर्शाये जिससे लोगों ये पता पडेÞ कि तम्बाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। क्या ये बात हमारे सरकार के समझ नही आती। माना कि सरकार इनकी बिक्री पर रोक नही लगा सकती तो कम से कम से तो कानून बना सकती है कि हर वो व्यक्ति जो तम्बाकू का सेवन करता है के लिये स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य हो। और जो तम्बाकू उत्पाद मार्केट में बिक रहे हैं उनकी क्वालिटी के लिये एक ग्रेड तय हो जिससे इसका सेवन करने वाले को ये पता हो कि वो किस स्तर का तम्बाकू उत्पाद ले रहा है। भगत सिंह पंथी

शनिवार, 10 सितंबर 2011

एम.पी. नगर, भोपाल में एक भी काम्प्लेक्स ऐसा नही जहाँ पीने के लिये पानी की व्यवस्था हो,

एम् पी नगर जहाँ 90% लोग जो लगभग भोपाल के हर कोने से यहाँ काम करने आते हैं पीने का पानी खरीद कर ही पीते हैं. मैने बहुत से आॅफिसों में देखा है कि शुरू में पानी सप्लाई करने वाले ब्रांडेड पानी के वॉटल सप्लाई करते हैं फिर धीरे से लोकल भोपाल की गली कूचों में पैक वाटल सप्लाई करने लगते हैं जिनमें कि हमें ये नही पता होता कि कितनी मात्रा केमिकल को गंदे पानी को फिल्टर करने के लिये मिलाया गया है। पर पीना पड़ता है क्योकि मजबूरी है। प्रेस कॉम्प्लेक्स और पूरे एम.पी.नगर में जितने भी फास्ट फूड के ठेले लगते हैं स्टूडेंट और लोकल लोग उनका पानी धडकल्ले से पी जाते हैं उनकों कोई मतलब नही होता कि ये पानी कहाँ से आया है। एम.पी. नगर में एक भी काम्प्लेक्स ऐसा नही जहाँ पीने के लिये पानी की व्यवस्था हो, इन काम्प्लेक्सों में टोयलेट बड़ी मुश्किल से मिलता है मिल भी जाता है तो पानी को अता-पता नही होता शासन को एम.पी. नगर में पीने के पानी के लिये उचित प्रबंध करना चाहिये और ये भी देखना चाहिये कि उस पीने के पानी का कोई व्यवसायिक यूस न करे। बड़े बड़े बिजनेस मेन अपने आॅफिस में आते हैं और प्यून उन्हे जो पानी पिलाता है उन्हें कोई मतलब नही कि उस प्यून ने पानी वाले से सेटिंग कर अपना कमीशन पक्का कर लिया है और पूरे आॅफिस को घटिया और केमिकलयुक्त पानी पिला रहा है
As per UN study conducted in 122 countries, in connection with water quality, India's number was dismal 120. In comparison to global standards India's bottled water segment is largely unregulated.
  Former President Dr. A.P.J. Abdul Kalam has urged youngsters on July 17, 2010 to be aware of water conservation techniques to avoid grave water crisis in future."It is so sad that today, people are forced to buy water in plastic bottles......"


According to a national-level study, there are more than 200 bottled water brands in India and among them nearly 80 per cent are local brands. In fact, making bottled water is today a cottage industry in the country. Leave alone the metros, where a bottled-water manufacturer can be found even in a one-room shop, in every medium and small city and even some prosperous rural areas there are bottled water manufacturers. 

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

वन स्टॉप ब्लॉग फॉर हिंदी ग्रामर one stop blog/website for learning hindi grammer

एक बेहतरीन ब्लॉग जहाँ आप अपने दोस्तों और jinhe  हिंदी नहीं आती को बता सकते हैं वन स्टॉप ब्लॉग फॉर लीर्निंग हिंदी ग्रामर (one stop blog/website for learning hindi grammer)
http://learnhindifree.blogspot.com/

कौन से न्याय की आस में इन आतंकवादियो को अदालतों में घसीट कर हमारे देश की अदालतों का टाइम खराब कर रहे हो।

  हमारी सरकार कह रही है कि ये आतंकवादियों की कायरतापूर्ण कार्यवाही है और हम आतंकवाद के आगे नही झुकेंगें, मेरा कहना ये है कि अगर आतंकवादियों को कायरतापूर्ण कार्यवाही करनी होती तो वे चाय की दुकान या किसी अन्य सुरक्षा रहित जगह को अपना निशाना बनाता न कि साहस दिखाते हुये हाईकोर्ट परिसर में विस्फोट करते है। सरकार कह रही है कि आतंकवादियों के सामने झुकेगें नही,तो क्या हमारी सरकार लोगो को बलि का बकरा बनाती जायेगी और जो आतंकवादी सरकारी मेहमान है,को केवल फाँसी का ख्वाव ही दिखायेगी या फाँसी पर भी चढ़ायेगी एक आतंकवादी के चक्कर में 12 लोगों का घर उजड़ गया। आप उन लोगों आतंकवादी भी मान चुके हो तो फिर कौन से न्याय की आस में इन आतंकवादियो को अदालतों में घसीट कर हमारे देश की अदालतों का टाइम खराब कर रहे हो। और क्यो उन देश पर मरमिटने वाले साहसी जवानों का मनोबल तोड़ रहे हो जो जान पर खेल कर इन्हे पकड़ते हैं।

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

यदि कोई अपने जीवन से निराश हो गया है और आत्महत्या करने की सोच रहा है तो कृपया ये पोस्ट पढ़े.

यदि  कोई अपने  जीवन से निराश हो गया है और आत्महत्या करने की सोच रहा है तो कृपया ये पोस्ट पढ़े.
महाभारत -5/180में मन्महर्षि श्रीकृष्ण दैपायन बादरायण ’वेदव्यास’ जी की वाणी को श्री गणेश जी ने अलपिबद्ध किया है कि पूर्वकाल में धन के मद से किसी धनिक व्यवसायी ने कठोर ब्रत का पालन करने वाले तपस्वी मरीचि कुमार महर्षि कश्यप को अपने रथ से धक्का देकर गिरा दिया। वे धरातल पर गिरने की पीड़ा से कराहते हुए आत्महत्या के लिए उद्यत कुपित स्वर में बोले–“अब मैं प्राण दे दूंगा, क्योंकि इस संसार में निंर्धन मनुष्य का जीवन व्यर्थ है।” उन्हें इस प्रकार मरने की इच्छा लेकर बैठे मन-ही-मन धन लोभ-मोह के मायाजाल में फंसे देख एक सियार ध्यान रहे ऐसी मान्यता रही है कि सतयुग में सभी प्राणी तथा वनस्पति भी बोलने- कहने लगा – मुनिवर । सभी प्राणी मनुष्य योनि पाने की इच्छा रखते हैं । उसमें भी ब्राह्मणत्व की प्रशंसा तो सभी लोग करते हैं । आप तो मनुष्य हैं, ब्राह्मण हैं और श्रोत्रिय भी हैं । ऐसा परम दुर्लभ मानव तन पाकर भी उसमें दोष देखकर आपके लिए आत्महत्या हेतु उद्यत होना अनुचित बात है ।जिनके पास मालिक के दिये दो हाथ हैं, उन्हें मैं कृतार्थ मानता हूं । इस जगत में जिसके पास एक से अधिक हाथ हैं, उनके जैसा सौभाग्य प्राप्त करने की आकांक्षा मुझे बारम्बार होती है। जिस प्रकार आपके मन में धन की लालसा है, उसी प्रकार हम पशुओं को मनुष्यों के समान हाथ पाने की अभिलाषा रहती है। हमारी दृष्टि में हाथ मिलने से अधिक अन्य कोई दूसरा लाभ नहीं। हमारे शरीर में कांटे गड़ जाते हैं, पर हाथ न होने के कारण हम उन्हें निकाल नहीं पाते । जो छोटे-बड़े जीव-जन्तु हमारे शरीर को डंसते हैं, उनकों भी हम हटा नहीं सकते, किन्तु जिनके पास सर्वेश्वर के दिये दस अंगुलियों से युक्त दो हाथ हैं, वे अपने हाथों से उन कीड़े-मकोड़ों को हटा देते अथवा नष्ट कर देते हैं । वे वर्षा, सर्दी और धूप से अपनी रक्षा कर लेते हैं, वस्त्राभूषण पहनते हैं, खाद्यान्न-जल –पान तथा स्वादिष्ट भोजन ग्रहण करते हैं, शय्या बिछाकर चैन की नींद सोते हैं तथा एकान्त स्थान का सुख पूर्वक उपभोग करते हैं ।हाथ वाले मनुष्य बैलों से जुती हुई गाड़ी पर चढ़कर उन्हें हांकते है और इस धरातर में उनका यथेष्ट उपभोग करते हैं तथा हाथ से ही अनेक प्रकार के उपाय करके अन्य प्राणियों को भी अपने वश में कर लेते हैं। जो दुःख बिना हाथ वाले आपको नहीं सहने पड़ते । अपना प्रारब्ध बड़ा श्रेष्ठ है कि आप गिद्ध, चमगादड़, सांप, छछुंदर,चूहा, मेंढक अत्यादि किसी अन्य पाप योनि में उत्पन्न नहीं हुए । आपको इतने ही लाभ से संतुष्ट रहना चाहिए । इससे अधिक लाभ की बात और क्या हो सकती है कि आप 84 लाख योनियों में सर्वश्रष्ठ ब्राह्मण हैं । मुझे ये कीड़े-मकोड़े खा रहे हैं, जिन्हें निकल फेंकने की शक्ति मुझमें नहीं है। हाथ के अभाव में होने वाली मेरी दुर्दशा को आप प्रत्यक्ष देख-परख लें । आत्महत्या करना पाप है, यह सोचकर ही मैं अपने इस शरीर का परित्याग नहीं करता हूँ । मुझे भय है कि मैं इससे भी निकृष्ट किसी अन्य पाप योनि में न गिर जाऊं ।यद्यपि मैं इस समय जिस श्रृगाल योनि में हूं , इसकी गणना भी पाप योनियों में ही होती है, तथापि अन्य अनेकानेक पाप योनियां इससे भी निम्न श्रेणी की है। कुछ मनुष्य देव पुरूष से भी अधिक सुखी हैं, और कुछ पशुओं से भी अधिक दुःखी लेकिन फिर भी मैं कहीं किसी व्यक्ति को ऐसा नहीं देखता, जिसको सर्वधा सुख ही सुख प्राप्त हो । मनुष्य धनी होकर राज्य पाना चाहते हैं, राज्य से देवत्व की इच्छा करते हैं और देवत्व से इन्द्रपद की कामना करते हैं । यदि आप धनी हो जाएं तो भी ब्राह्मण होने के कारण राजा नहीं हो सकते । यदि कदाचित राजा हो जाये तो ब्राह्मण देवता नहीं हो सकते । यदि आप राजर्षि और ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त कर लें तो भी इन्द्रपद प्राप्त नहीं कर पाते । यदि इन्द्रसन भी प्राप्त कर लें तो भी आप उतने से ही संतुष्ट नहीं रह सकेंगे क्योंकि प्रिय वस्तुओं का लाभ होने से कभी तृप्ति नहीं होती। बढ़ती हुई तृष्णा जल से नहीं बुझती ईँधन पाकर जलने वाली आग के समान वह और भी प्रज्वलित होती जाती है।आपके अंदर शोक भी है और हर्ष भी । साथ ही सुख और दुःख दोनों है, फिर शोक करना किस काम का ? बुद्धि और इन्द्रियां ही समस्त कामनाओं और कर्मो की मूल है। उन्हें पिंजड़ में बंद पक्षियों की भांति अपने काबू में रखा जाय तो कोई भय नहीं रह जाता । मनुष्य को दूसरे सिर और तीसरे हाथ के कटने का कभी भय नहीं रहता, जो वस्तुतः है ही नहीं । जो किसी विषय का रस नहीं जानता, उसके मन में कभी उसकी कामना भी नहीं होती । स्पर्श, दर्शन तथा श्रवण से ही कामना का उदय होता है। मद्य तथा मांस इन दोनों का आप कभी स्मरण नहीं करते होंगे, क्योंकि इन दोनों का आपने कभी पान तथा भक्षण नहीं किया है परन्तु सद्यप तथा मांसाहरी के लिए इन दोनों से बढ़कर कहीं और कोई भी पेय तथा भक्ष्य पदार्थ हैं, जिनका आपने पहले कभी सेवन नहीं किया है, उन खाद्य पदार्थ की स्मृति आपको कभी नहीं होगी । मेरी मान्यता है कि किसी वर्जित वस्तु को ग्रहण न करने,न छूने और न देखने का नियम लेना ही व्यक्ति के लिए कल्याणकारी है, इसमें संशय नहीं । जिनके दोनों हाथ बने हुए हैं निःसन्देह ही बलवान तथा धनवान हैं।कितने ही मनुष्य बारम्बार जीवन-मरण और बन्धन के क्लेश भोगते रहते हैं, लेकिन फिर भी वे आत्माहत्या नहीं करते । अन्य अनेक सबल, सम्पन्न, प्रबुद्ध मनस्वी भी दीन-हीन, निन्दित और पापपूर्ण वृत्ति से जीवन यापन करते हैं। भंगी अथवा चाण्डाल भी आत्महत्या करना नहीं चाहता, वह अपनी उसी जीविका से संतुष्ट रहता है। कुछ मनुष्य अंग-भंग, अनंग-अपंग, अपाहिज- लकवाग्रस्त तथा निरन्तर अस्वस्थ ही रहते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें हम धिक्कार के पात्र नहीं कह सकते । आपके सर्वग सही और निर्विकार है । आपका शरीर स्वस्थ और सुंदर है, इस कारण इस लोक में कोई भी आपको धिक्कार नहीं सकता । यदि आप पर दिवालिया, पदच्युत, जाति-समाज-संघ और धर्म –सम्प्रदाय-पंथ से बहिष्कृत तथा क्षेत्र बाहर अथवा देश निकाला विषयक कोई कलंक लगा हो तो भी आपको आत्माहत्या करने का विचार नहीं करना चाहिए । अतएव यदि आप मेरी बात मानें तो धर्मपालन के लिए दृढ़ संकल्प के साथ उठ खड़े होइये और सावधान होकर यम-नियम, सत्य-अहिंसा, दान-धर्म, स्वाध्याय और अग्निहोत्र का पालन कीजिए । किसी के साथ स्पर्धा मत कीजिए । जो ब्राह्मण स्वाध्याय में लगे रहते तथा यज्ञ करते और कराते है, वे भला किसी भी प्रकार की चिंता क्यों करेंगे और आत्माहत्या जैसी बुरी बात क्यों सोचेंगे ?पूर्वजन्म में मैं एक ब्राह्मण था और कुतर्क का आश्रय लेकर वेदवाणी की निंदा करता था प्रत्यक्ष के आधार पर अनुमान को प्रधानता देने वाली थोथी तर्क विद्या पर ही उस समय मेरा अधिक अनुराग था। मैं सभाओं में जाकर तर्क तथा युक्ति की बातें ही अधिक बोलता था। जहां अन्य ब्राह्मण श्रद्धापूर्वक वेद वाक्यों पर विचार करते, वहां मैं बलपूर्वक जाकर आक्रमण करके उन्हें खरी-खोटी सुना देता तथा स्वयं ही अपना तर्कवाद बका करता था । मैं नास्तिक, सब पर संदेह करने वाला तथा मूर्ख होकर भी अपने आप को पंण्डित मानने वाला था। यह श्रृगार योनि मेरे उसी कुकर्म का फल है। अब मैं सैकड़ों दिन-रात निरन्तर साधना करके भी क्या कभी वह उपाय कर सकता हूँ ? जिससे आज सियार की योनि में पड़ा हुआ मैं पुनः वह मनुष्य योनि पा सकूं । जिस मनुष्य योनि में मैं संतुष्ट तथा सावधान रहकर यज्ञ,दान तथा तपस्या में लगा रह सकूं, जिसमें मैं जानने योग्य वस्तु को जान सकूं और त्यागने योग्य वस्तु को त्याग सकूं । यह सुनकर महर्षि कश्यप अचंभित होकर बोले- “श्रृगाल । तुम तो बड़े कुशल निपुण और वेदज्ञ हो, विद्वान, प्रबुद्ध तथा विवेकी हो । मैं तुम्हारे अभिमत से पूर्णतः सहमत हूं कि आत्माहत्या करने का विचार नहीं करना चाहिए, क्योंकि आत्महत्या हेतु उद्यत होना भी उचित नहीं है। ऐसा कहकर कश्यप मुनि धर्म पालन हेतु उठ खड़े हुए और सियार से कृतज्ञता पूर्वक विदा होकर अपने गृहस्थ आश्रम की ओर प्रस्थान किए ।

सोमवार, 5 सितंबर 2011

इन्टरनेट पर हिंदी लिखने से संबंधित संपूर्ण जानकारी

इन्टरनेट पर हिंदी लिखने से संबंधित संपूर्ण जानकारी  के लिए यहाँ देखें

फेसबुक व अन्य किसी वेबसाइट में डायरेक्ट हिन्दी में टाइप करें (Type hindi online)

सबसे पहले ये वेबसाइट खोलें http://specials.msn.co.in/ilit/HindiWebInstall.aspx या यहाँ क्लिक करें
(now read the instruction and picture on that website) अब चित्र 1 के अनुसार राइट क्लिक करें,

PICTURE 1




एड टू फेवरिट पर क्लिक करें और जैसा इस वेबसाइट पर चित्रों के द्वारा बताया गया है अनुसार इसे फेवरिट बार में सेव करें।
अब जब भी आपको फेसबुक व अन्य किसी वेबसाइट पर टाइप करना हो तो जो (चित्र 3 के अनुसार) आपके इंटरनेट ब्राउसर में दिखाई दे रहा पर क्लिक कर टाइप करें जैसे यदि आप को आज टाइप करना है तो टाइप करें "AAJ" ये आॅटोमेटिक स्पेस बार की दबाने पर "आज" लिख जायेगा 
PICTURE 3

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

हिंदी शब्दकोष (hindi dictionary)

हिंदी शब्दकोष के लिए ये वेबसाइट देखें
hindi dictionary free download

हिंदी टाइपिंग सीखें

एक बहुत ही अच्छी वेबसाइट जहाँ आप टाइपिंग की प्रेक्टिस कर सकते हैं  
 
हिंदी टाइपिंग सीखें अधिक जानकारी के लिए ये ब्लॉग पढ़ें
या इस वेबसाइट पर हिंदी टाइपिंग सीखें ; http://kaulonline.com/uninagari/remington/