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गुरुवार, 15 सितंबर 2011

एक्स्ट्रा कमाई के क्या साधन है? extra income sources in bhopal

Extra Income?????????? 
3 dec11 bhaskar bhopal
मीडियम क्लास फैमली के मुखिया के एक्स्ट्रा कमाई के क्या साधन है। इस एक्स्ट्रा कमाई के चक्कर में लोग अपना पैसा शेयर मार्केट में इंवेस्ट करते हैं लेकिन  उस फिल्ड में जानकारी न होने के कारण बहुत जल्द उनका सूपढ़ा साफ हो जाता है और वह उस समय को कोसता है जब उसने उस शेयर मार्केट में पैसा लगाया। या फिर लोग जो पेपरों में वर्गीकृत विज्ञापन में जो डाटा एंट्री, उद्योग लगाएँ पैसा कमाएँ,एमएलएम कंपनियों में अपना पैसा बर्बाद कर देते हैं और ये ठग लोग इनको बेवकूफ बनाने के लिये दूसरे नाम से फिर विज्ञापन देते हैं और ये लोग फिर ठगे जाते हैं। जिस गति से मँहगाई या कहें के पेट्रोल के दाम बढ़ रहें हैं जिससे हर वो वस्तु मँहगाई की शिकार हो रही है जिसकी माँग मार्केट में ज्यादा होती है जाहिर सी बात है वो वस्तुएँ वे हैं जिसे हम राशन पानी कहते हैं। इन सब चीजों को खरीदने में पूरी सैलरी साफ हो जाती है। ऊपर से मँहगाई हर छह महिने में बढ़ जाती है लेकिन सैलरी नही बढ़ती इसी तनाव में लोग इन ठगों में चक्कर में पड़ कर कुछ एक्स्ट्रा कमाई जिससे कि वे अपने परिवार का खर्च चला सकें अपनी सेविंग झोंक देते हैं। कुल मिलाकर मै ये कहना चाहता हूँ कि आम आदमी ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में इन ठगों का शिकार हो रहा है तो क्यो न हमारी म.प्र. की सरकार हम जैसे आम आदमी को कुछ आमदनी बढ़ाने का मौका क्यों नही देती मेरा मतलब लॉटरी से है अन्य राज्यों में लाटरी चल रही है तो वह कौन सा कारण है कि म.प्र. में लॉटरी बंद है। लॉटरी में हारने बाद आदमी केवल रातभर टेंशन लेता है लेकिन इन ठगों के चक्कर में महिनों अपने लाभ के चक्कर में अपना तनाव परिवार वालों और शराब धूम्रपान कर निकालता रहता है और लडता झगता है उस व्यक्ति से जिसने इनका पैसा हजम कर जाता है। आजकल विभिन्न कम्पनियों के चेंन सिस्टम चल रहें है जिसमें लोग अपने फायदे के लिये अपनों का पैसा इंवेस्ट करवाते हैं और खुद भी बेबकूफ बनते हैं और अपनों से बुराई होती है सो अलग।

बैंकें एफडी पर इतना कम ब्याज देतीं हैं लोगों को कि लोग हंसने लगते हैं सुनकर कि फलां महीने बाद उन्हें इतना कम ब्याज मिलेगा इसलिये लोग चिटफंड, शेयर बाजार और ब्याज खोरों के चक्कर में अपना पैसा गंवाते हैं। और इसी जमा पैसों को बैंके जब लोन के रूप में लोगों को देती हैं तो ब्याज बहुत ज्यादा होता है। बैंकंे आम आदमी से नही बडे बडे व्यापारियों से जमा चाहती हैं जो कि करोडों में होता है।

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