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शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

शांति की खोज नही शांति की संगत करें start meditation in your life


गर्ल फ्रेंड का हिंदी में अर्थ शांति होना चाहिए। क्यों की जब भी आप पत्नी से या माता पिता से ये कहकर जायेंगे की शांति की तलाश में जा रहा हूँ तो कोई कुछ नहीं पूछेगा . अपने अन्दर ये बात अच्छे से बैठा ले कि जब भी उससे मिलने जाना हो तो मुंह से निकले तलाश में जा रहा हूँ 

ये तो हो गया एक जोक या कहें चुटकुला। लेकिन वो शांति जो हम ढं़ूढते हैं हमारे परिवार में, जीवन में, पूरे दिनभर उसकी बात करते हैं-
जैसे शून्य से किसी संख्या को गुणा करने पर वह संख्या अपना महत्व या मूल्य खो देती है और इन दोनों के गुणा या संगत का परिणाम होता है शून्य जैसे-0x100=0
इसी तरह यदि किसी संख्या को १०० से गुणा करे तो उस संख्या का मूल्य या महत्व बढ़ जाता है जैसे-100x10=1000

ये जो ऊपर दोनों उदाहरण दिये हैं इनको हम कैसे अपने जीवन में लागू कर सकते हैं समझे- हमें स्वयं को सत्संग की ओर लगाना होगा । यहाँ सत्संग शून्य है और हम एक संख्या और जो परिणाम शून्य आयेगा वह होगी वही शांति जिसकी खोज में हम अपने जीवन में लगे हुए हैं लेकिन ये निरंतर प्रयास से ही संभव है प्रतिदिन के प्रयास से, आध्यात्मिक स्वाध्ययन से। अब यदि हम ये सोचे कि क्यो हम स्वयं को शून्य से गुणा करें या संत्सग में जाये तो उसका उत्तर है दूसरा उदाहरण। जैसे हमारे दिमाग में बचपन से ही यही प्रोग्रामिंग की गई है -हमें आगे बढऩा है, पैसा कमाना है, और पैसा कमाना है पैसा भगवान नही तो क्या हुआ भगवान से कम भी तो नही है आदि तो हम इस तरह कोल्हू के बेल बन कर स्वयं का ही तेल निकाल रहे है हमारी वेल्यू या मूल्य या महत्व १०० हो चुका है जिसे हम निरंतर बढ़ाने की ओर हम ही प्रयासरत है और अपनी दिमागी शांति खोते जा रहे हैं जो हमे अपने स्वयं के अभिमान जो कि १ को आगे रखता है और शांति यानि शून्य ०० को पीछे तो हम आज १०० की स्थिति में है जो जाहिर सी बात है हमें स्वयं को १०० से और गुणा करने से बचते हुए दिन में कुछ समय निकाल कर शून्य से भी स्वयं को गुणित करना होगा। शून्य की खोज हमारे देश में ही तो हुई है। हमारा आकार दुनिया में कितना ही बढ़ा हो हम कितने ही प्रसिद्ध हो या हम कितने ही धन, दौलत या जमीन जायदाद के मालिक हो शांति की खोज में इधर उधर भागते हैं जबकि सत्य ये है कि हमें अपने आकार के अंदर ही निराकार को आमंत्रित करना होगा तभी शांति मिलेगी। शांति खोई है परिवार में और हम भाग रहे हैं हरिद्वार की ओर। मन में जो विचार आते हैं उन्हें प्रात: काल कुछ समय एक आसन पर बैठकर अपने गुरू में मार्गदर्शन में विराम दें और शून्य की ओर चले। स्वयं को वृक्ष के रूप में सपनों में देखने से बचे पहले अपने अंदर शांति का अंकुर फूटे इस ओर चलें।


city bhaskar bhopal 5th march 2013

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