शांति पाना है लेकिन पायें कैसे? सबसे पहले तो इस उदाहरण को समझें जैसे जब आप किसी मोमबत्ती या गलती से गर्म तबे पर अंगुलियां छू देने पर जलन का अनुभव करते हैं तो आप उस पर ठंडा पानी डालते हैं या अत्यधिक ठंडा यानि बर्फ का पानी ही डालने लग जाते हैं जिससे कि आपको शांति और शुकुन का अनुभव होता है और आपका दर्द कम हो जाता है। इसी तरह यदि कोई हल्की सी चिंगारी भी हमारे घर में किसी चीज को जलाने लग जाती है तो हम उस पर पानी डालते हैं। और वह बुझ जाती है। इसी तरह गर्मियों में हम जब दोपहर में बाहर से घर में आतें है और हमारे शरीर से पसीना बह रहा होता है तो हम ठंडे पानी को पीने के लिये प्रवृत्त होते हैं। इसी तरह हम भी हमारे जीवन में यही तरीका अपनाकर अपने दिमाग को शांत कर सकते हैं अंतर बस इतना है कि हमें पानी से नही अपने मस्तिष्क को सततÞ शांत रख कर पूरे शरीर को शुकुन और हानिकारक हार्मोन्न उत्पन्न करने से बचाके रखना है जिससे कि हमारे शरीर के शैल नष्ट होते हैं । जब भी कोई कार्य हमारे अनुसार न हो रहा हो तो पहले उसके आपके
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