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बुधवार, 20 मार्च 2013
शुक्रवार, 8 मार्च 2013
एक किताब में ये पंक्तियाँ पढ़ी
तुझे पा लेने में यह बेताब कैफियत कहाँ
जिंदगी वो है, जो तेरी जुस्तजू में कट जाये
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तुझको बर्वाद तो होना ही था 'खुमार'
नाज कर कि उसने तुझे बर्वाद किया
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किस कदर हुस्ने-नजर है तेरे दीवानोंमें
कलियां दामन की सजाई है गरेबानों में
हुस्न को खींच के लाई मुहब्बत की कशिश
आके खुद शमा को जलना पडा परवानों में
सोमवार, 4 मार्च 2013
यह लेख पढ़ मन में परमात्मा के प्रति श्रद्धा द्रवित हो उठी
यह लेख पढ़ मन में परमात्मा के प्रति श्रद्धा द्रवित हो उठी
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लेबल: अध्यात्म