पृथ्वी माता मतलब जमीन वहीं की वहीं, वैसी की वैसी उतने की उतनी है. लोग सालों तक केस लड के ऊपर पहुंच चुके हैं और उनके जो वंशज हैं वह भी केस लड़ रहे हैं और कुछ तो खून बहा कर स्वर्ग या नरक गए. लेकिन एक रत्ती भर जमीन भी अपने साथ नहीं ले जा पाए और हमारे देश की सरकार सालों तक उन केसों को पेंडिंग रखती है. जबकि इस चीज के लिए अलग से कोर्ट बना देनी चाहिए. इसमें सब कुछ जब क्लियर है तो इतने साल क्यों लग रहे हैं यह कोई मर्डर केस तो है नहीं. 30 सल तक जमीनओं के केस लोग लड़ लड़ के बुढ़े हो चूके हैं और कुछ मकान तो खंडर. इस चक्कर मे वकीलों की बिल्डिंग बन गई.
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