हमें इतिहास में पढ़ाया जाता है और उसकी विश्व में पब्लिसिटी की जाती है कि हमारे ऋषि ने विमान संहिता लिखी थी ऐसी विमान संहिता का क्या मतलब जो हमारा इंडिया आज तक उसका सही उपयोग नहीं कर पाया। अगर एक पीढ़ी ने पढ़ी होती तो बच्चा-बच्चा विमान उड़aना सीख जाता है बनाना सीख जाता। कम से कम कक्षा 6 या 5 से आयुर्वेद पढ़ाई जाना चाहिए बच्चों को । कम से कम अपना इलाज खुद करना सीख जाएंगे। और फालतू प्रोजेक्ट बनवाया जा रहे है । इससे अच्छा गमले में आयुर्वेदिक पौधे लगाना सिखाए जाना चाहिए और उनकी पहचान करना। और कम से कम दसवीं के बाद ज्योतिष विज्ञान भी सिखाया जाना चाहिए। माता-पिता अपने बच्चों की कुंडली स्वयं बना सके कंप्यूटर से। आखिर कब तक इतने मूल्यवान ग्रंथ हम कबाड़े में रखकर इनका अपमान करते रहेंगे।
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