एक जरा सी शादी दहेज के चक्कर में लोग लड़कियों को बोझ समझने लगते हैं। जबकि उनकी लिए बोझ तब हो जाती है जब वह लड़कियों की लाइन लगा लेते हैं लड़के के चक्कर में। जगत का सत्य यह है की लड़कियां पिता की सबसे बड़ी शुभचिंतक होती हैं और माता की भी। एक तरह से लड़कियां पिता की असिस्टेंट साबित हो रही है। उनकी हर चीज का ध्यान रहता है । पिताजी की पानी की बोतल टिफिन तैयार करना है। पिताजी के कपड़ों तक का ध्यान रखती है। जबकि हमारी जो कुरीतियां चली आ रही हैं सालों से उसके चक्कर में महिलाएं महिलाएं की दुश्मन हो चुकी हैं और बच्ची के पैदा होने पर ऐसे शो करती है जैसे घर में कुछ अशुभ हो गया।
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