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सोमवार, 27 जनवरी 2025

ऑटो रिक्शा के लिए कड़वा सच

 मैं यहां बहुत शॉर्ट में बताना चाहता हूं कि ऑटो वालों को लग रहा है कि ओला उबर रैपीडो इन लोगों को बिजनेस दे रही है लेकिन यह लोग auto वालों को धीरे-धीरे खत्म कर रहे हैं कितने कम से कम रेट में सवारियां छुड़वा रहे हैं । ऑटो वाले धीरे-धीरे कम होते चले जा रहे हैं उनकी गाड़ियां कंपनी खिंच रही है किस्त देने तक के पैसे नहीं है इन लोगों के पास। यह कैब कंपनियां कार वालों के लिए जमीन तैयार कर रही हैं और सरकार कुंभकरण की नींद सो रही है।

भोपाल जैसी जगह पर लोगों ने फाइनेंस में पांच-पांच लाख रुपए के ऑटो खरीद लिए हैं और यह कंपनियां बाइक से ₹2 या 4 ज्यादा में सवारियां छुड़वा रही हैं नाइट चार्ज के नाम पर ₹5 या 15 देती हैं नाइट में यह लोग एक तरफ से खाली चलते हैं स्टेशन और आईएसबीटी के लिए कैंसिलेशन तो लगभग बंद कर दिया है ना तो उन लोगों को कोई ड्राइवर के लिए कॉल सेंटर है और इन लोगों ने अपने लगभग ऑफिस भोपाल से बंद कर दिए हैं केवल कुछ लोग हैं जो गाड़ियां अटैच करते हैं वह कोई जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं होते बेचारे ऑटो वाले हर जगह परेशान हैरान।


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