पिता कभी अहसान नहीं जताता
यह मेरा पर्सनल अनुभव भी है और मैं यह फील्ड में देखता भी रहता हूं और जो नाटक नौटंकी चलती रहती है उसमें भी देखता रहता हूं के पिता कभी भी यह नहीं बोलता अपने बच्चों को कि मैंने तुम्हारे लिए यह किया लेकिन मां बार-बार बच्चों को बोल-बोल के बताती है कि मैं तुम्हारे लिए यह किया और सब जगह डीडोरा पीटती है. यह सभी मां के बारे में नहीं बोल रहा हूं मैं. लेकिन अधिकतर यह मैंने देखा है. मेरी स्वयं की मां पूरे रिश्तेदारों में ढिंढोरा पीटती थी कि वह अपने बच्चों के लिए क्या कर रही है. और जब हम बड़े हुए हैं तब हमसे भी बोलती थी हमने तुम्हारे लिए यह किया हमने तुम्हारे लिए वह किया.
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