जटायु जिन्होंने नारी की रक्षा के लिए अपने प्राण गंवा दिए उन्हें प्रभु की गोद मिली । और एक भीष्म पितामह जिन्होंने नारी की आबरू लुटते हुए अपना क्रोध कंट्रोल किया और उन्हें बाणों की गोद मिली।
सही समय पर किया गया क्रोध पुण्य भी दिला सकता है और सही समय क्रोध न करना भी सजा दिला सकता है
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