हम भारतवासियों की मजबूरी है टीवी पर एड देखना और एड देखने के हर माह पैसे भी चुकाना। अरबों रूपयें का करोबार करने वाले ये लोग टीवी चैनल्स दिखाने वाली कंपनियों को सबक्रिप्शन प्राइस कम करने को भी नही कहते। और जो हमारे देश का सरकारी डीडी डायरेक्ट प्लस है वहां वे चैनल्स लिस्टिड ही नही है जिन्हे हम देखना चाहते हैं।
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