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बुधवार, 5 अप्रैल 2017

जिंदगी की एक सीख

एक वंदा आज से लगभग 3 साल पहले एक दुकान पर मात्र 3500 रू. प्रतिमाह की नौकरी करता था। मेरा लगभग हर दूसरेे दिन उससे मिलना होता था। उसने बताया कि वह केवल नाम के लिये नौकरी करता है पिता जी के पास कई एकड जमीन है लेकिन उसे खेती किसानी नही करना। इसलिये नौकरी कर टाइम पास कर रहा है। तो मैने लगभग एक साल तक उसे मोटिवेट किया स्वयं का बिजनेस शुरू करने के लिये। उसे अपने आफिस जहां मै जॉब करता था वहां 2—3 बार बुलाया उसके साथ कई तरह के बिजनेस के बारे में विस्तृत सर्च किया। अंतत: उसने उस दुकान से नौकरी छोड एक बिजनेस स्टॉर्ट कर ​दिया। लेकिन उसने मुझे बताया तक नही। मुझे तीन माह बाद पता पडा कि उसने एक दुकान ले कर एक बडा फायदा का बिजनेस शुरू कर दिया है। मैने उसे फोन लगाया उसने मेरा फोन नही उठाया। फिर लगभग एक साल बाद मुझे भी अपना बिजनेस स्टॉर्ट करना था। तो मैने सोचा उससे एक बार मिल कर देखना चाहिये कि उसमें बिजनेस करने पर क्या चेंज आया। मैने उसकी दुकान का पता ​​एक वंदे ​से लिया और उससे मिलने पहंुचा। उसके पास बात करने तक का समय नही था। उसने मुझे नेगलेक्ट किया मतलब मेरी उपेक्षा की। मुझे खुशी तो हुई कि मेरे मोटिवेशन का असर इस वंदे पर तो पडा।
आज अचानक वह वंदा रात 9:30 बजे मेरी दुकान पर आया उसे एक होडिंग डिजाईन करवाना था। क्योकि वह अपने समाज में एक पद पा गया था जिसकी कि उसे पब्लिसिटी करनी थी। होडिंग बहुत अर्जे्ंट था उसे पता ​था कि मै उसका काम मिनटो में कर दूंगा वह अपने साथ कुछ साथियों को भी लाया। लेकिन मैने उसे मना कर दिया उसका चेहरा देखने लायक था। उसने मुझसे बहुत विनती की और कहा मुंह मांगे पैसे देने को वह तैयार है  लेकिन मैने सख्ती से उसे मना कर दिया वह चुपचाप चला गया।

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