मैने भोपाल में एक दुकान शुरू की कुछ लोगों ने मुझे इस हद तक धमकियां दी एवं मेरी बेइज्जती कि ताकि मै अपनी दुकान बंद कर दूं। मेरी मानसिक शांति भी भंग हुई लेकिन मैने स्वयं को नियंत्रित करते हुए केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित किया कि मुझे केवल अपने बिजनेस पर ध्यान देना है। मेरी पत्नी भी बहुत डर गई। वह भी नकारात्मक बातें करने लगी और आज भी करती है, कि ये दुकान बंद कर दुबारा जॉब क्यो नही करते बिजनेस केवल पैसे वाले लोग ही कर सकते हैं। मैने उस समय तो अपनी पत्नी की बातो को ध्यान से सुना लेकिन मैने बाद में उससे कह दिया कि दुकान बंद नही होगी। हमें अपने अच्छे समय एवं शत्रु के बुरे समय आने का इंतेजार करना चाहिये। यदि हमारे पास उससे निपटने का पावर नही है तो।
सोमवार, 1 मई 2017
नो एक्शन प्लीज
आज मै आपको इस पोस्ट के माध्यम से कायरता न सिखाते हुए ये प्रार्थना करना चाह रहा हूं कि किसी धूर्त, अपराधी या दूसरों को बेवजह परेशान करने वालो से हमें स्वयं को नियंत्रित करते हुए कैसे बचना चाहिये। व्यर्थ के कानूनी चक्रव्यूह में उलझने से।
मैने भोपाल में एक दुकान शुरू की कुछ लोगों ने मुझे इस हद तक धमकियां दी एवं मेरी बेइज्जती कि ताकि मै अपनी दुकान बंद कर दूं। मेरी मानसिक शांति भी भंग हुई लेकिन मैने स्वयं को नियंत्रित करते हुए केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित किया कि मुझे केवल अपने बिजनेस पर ध्यान देना है। मेरी पत्नी भी बहुत डर गई। वह भी नकारात्मक बातें करने लगी और आज भी करती है, कि ये दुकान बंद कर दुबारा जॉब क्यो नही करते बिजनेस केवल पैसे वाले लोग ही कर सकते हैं। मैने उस समय तो अपनी पत्नी की बातो को ध्यान से सुना लेकिन मैने बाद में उससे कह दिया कि दुकान बंद नही होगी। हमें अपने अच्छे समय एवं शत्रु के बुरे समय आने का इंतेजार करना चाहिये। यदि हमारे पास उससे निपटने का पावर नही है तो।
मैने भोपाल में एक दुकान शुरू की कुछ लोगों ने मुझे इस हद तक धमकियां दी एवं मेरी बेइज्जती कि ताकि मै अपनी दुकान बंद कर दूं। मेरी मानसिक शांति भी भंग हुई लेकिन मैने स्वयं को नियंत्रित करते हुए केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित किया कि मुझे केवल अपने बिजनेस पर ध्यान देना है। मेरी पत्नी भी बहुत डर गई। वह भी नकारात्मक बातें करने लगी और आज भी करती है, कि ये दुकान बंद कर दुबारा जॉब क्यो नही करते बिजनेस केवल पैसे वाले लोग ही कर सकते हैं। मैने उस समय तो अपनी पत्नी की बातो को ध्यान से सुना लेकिन मैने बाद में उससे कह दिया कि दुकान बंद नही होगी। हमें अपने अच्छे समय एवं शत्रु के बुरे समय आने का इंतेजार करना चाहिये। यदि हमारे पास उससे निपटने का पावर नही है तो।
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आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व हास्य दिवस - अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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