आज प्रात: मेरे गुरूजी द्वारा बताया गया कि हमारे शरीर में जो मेरूदंड अर्थात रीड की हड्डी हमारे शरीर का पावर हाउस होती है इसमें से होकर अनेक नाड़ियां होकर गुजरती हैं। इन नाड़ियों के जो जंक्शन यानी जहां ये नाड़ियां एक दूसरे को क्रॉस करती हैं वे हमारे चक्र होते हैं। जिन्हे प्राणायाम एवं योग द्वारा जागृत किया जाये तो हमारे अंदर अनेक तरह की शक्तियां प्रवाहित होने लगती हैं। हमारी मेरू जितनी लचीली होगी हमारे शरीर में रोगों से लडने की जीवनी शक्ति उतनी ही पावरफुल होती जायेगी। इसलिये प्रतिदिन कुछ आसान करना चाहिये। सबसे पहले कुछ आसान उसके बाद प्राणायाम।
यदि विज्ञान और मेडिकल साइंस के क्षेत्र में देखें तो जब आदमी रोगमुक्त नही हो पा रहा होता है तो डाक्टर्स अंत में बोनमेरू हमारी मेरू से लेते हैं और रक्त को मिलाकर, पूरे शरीर को वायरस और बेक्टिरिया मुक्त कर शरी में इंजेक्ट करते हैं जिससे शरीर का नवनिर्माण शुरू हो जाता है।
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