बहुत से कर्मचारी ऐसे होते हैं कि वे तनाव में अपने कार्यस्थल पर नौकरी कर रहें होते हैं क्योंकि मैनेजमेंट उनसे अत्यधिक आशा रखता है, बिना इंक्रीमेंट के । शुरू में जब कर्मचारी जॉव ज्वाइन करता है तो उसे ये कहा जाता है कि आपका वर्क ये रहेगा कुछ समय तो ठीक रहता है फिर उसी कर्मचारी का जो बॉस या टीम लीडर होता है वह अपने स्वार्थ सिद्धी के लिये उसे अतिरिक्त कार्यभार सौपते हुये कहता है कि आप अपने कार्य के अलावा ये कार्य भी कर लिया करों। शुरू शुरू में इस तरह के आदेश तो कर्मचारी मान लेता है लेकिन इन आदेशों की जब अति हो जाती है और टीम लीडर उस कर्मचारी का इंक्रीमेंट भी नही कराता तब वह कर्मचारी तनाव में रह कर कार्य करता है। और कुछ कर्मचारी यदि प्रेक्टिकल होते हैं तो वे इसका समाधान अपने धूर्त व्यवहार से देते है कामचोरी करके, जो एक्स्ट्रा वर्क दिया जाता है उसे च्यूंगम की तरह खींच कर, टीम लीडर को कोसकर, बुराईकर और गलत व्यवहार से, बिजनेस को दूसरी कम्पनी में डायवर्ड करके। कुछ कर्मचारी दूसरी नौकरी की तलाश कर इस समस्या से मुक्त हो जाते है। यदि हम किसी कम्पनी के सर्वेसर्वा हैं तो हमें इस चीज पर ध्यान देना चाहिये जैसे शरीर में मस्तिष्क होता है जो एकदम सचेत रहता है यदि एक मच्छर या चींटी भी हमें कही भी काटती है तो हमारा मस्तिष्क सेकंड में ही एक्शन में आकर उससे निपटता है। इसी तरह यदि कही बारीक सी सुई भी चुभ जाती है तो मस्तिष्क उस बारीक घाव जहां से खून निकल रहा होता है के लिये हमें निर्देशित करता है। उसी तरह यदि आप अपने बिजनेस को बढ़ाने में जो कर्मचारी लगे हैं से डायरेक्ट कांटेक्ट में रहें तो आप इस बारीक बीमारी को ट्यूमर होने से रोक सकते हैं जिससे की हानि किसी भी रूप में भले ही दीर्घकाल में हो आपको ही भुगतना होगी। बिजनेस को ग्रो करने में तो आपको सफेद हाथी पालने पड़ते हैं जो कि केवल कुर्सी तोड़कर मैनेजर की पोस्ट पर बैठकर आपके पुराने और वफादार कर्मचारियों का खून चूस रहें होते हैं और आपको लगता है कि कम्पनी ग्रोथ कर रही है। जैसे हम किसी जानवर से उसे मारकर एक निश्चित अवधि तक ही कार्य करा सकते हें उसके बाद तो वह जानवर अधमरा हो जायेगा या हिंसक होकर पलटवार करेगा या भाग जायेगा। लेकिन यदि हम ऐसे अधिकारियों को या मैनेजर्स को रखेंगें जो कि कर्मचारियों के साथ केवल आईक्यू लेवल यूस कर कर्मचारियों के ईक्यूलेवल को दबाने और खत्म करने की कोशिश करगें तो कब तक कम्पनी या संस्था बेहतरीन तरीके से अपना अस्तित्व बना रख पायेगी। ये जरूरी नही कि केवल अधिकारी ही कर्मचारियों का खून चूसें कुछ साथी कर्मचारी भी अपने साथी कर्मचारियों और मैनेजमेंट के बीच हरिनाम नाई की तरह गलत बातें जो कि आधारहीन होती है फैला कर मैनेजमेंट को उसके विरूद्ध कार्यवाही के लिये उकसाता है। मैनेजमेंट को चाहिये की वह एक तरफा निर्णय न लेकर उस कर्मचारी जो की मैनेजमेंट के प्रति वफादारी शो करता है को आश्वस्त कर संबंधित कर्मचारी को ओवजर्व (निगरानी द्वारा) कर सही गलत का पता लगाये। क्योंकि अधिकतर कर्मचारी कम्पनी की पॉलिसी से परिचित होते हैं यदि वे कम्पनी के विरूद्ध कोई कार्य कर रहें हैं या अवरोद्ध पैदा कर रहें हैं तो अवश्य ही कोई कारण है जिससे वे संतुष्ट नही हैं। एक ओर कारण होता है कि कुछ कर्मचारी मैनेजमेंट में अपनी पहचान बना कर नियम कायदों को तांक पर रख कम्पनी में मौज कर रहें होतें है जैसे लेट आना, जल्दी जाना, अपना व्यस्तता का बहाना बनाकर मैनेजर से कहना कि फलां कर्मचारी से मेरा कार्य में हेल्प करवाईये क्योकि उसका काम जल्दी हो जाता है या वह खाली बैठा रहता है कहकर। ऐसे कर्मचारीयों को डिडेक्ट कर उन्हें सुधरने के लिये टाईम देकर हम कुछ हद तक कर्मचारियो के हितों का ध्यान रख सकते हैं। हम अक्सर पुरानी या नई फिल्मों में देखते हैं कि प्रत्येक आॅफिस में एक कर्मचारी ऐसा होता है जो टाइम से आता है टाइम से जाता है अपना काम कल पर नही टालता भले ही उसकी पोस्ट कुछ खास मायने न रखती हो (इसका मतलब ये न समझें कि मै चपरासी या आॅफिस वॉय की बात कर रहा हूंू।)किसी की मदद भी नहीं मांगता बल्कि स्वयं दूसरों की नि:स्वार्थ भाव से मदद भी करता है। मैनेजमेंट से डरता है। लेकिन फिर भी ऐसा कर्मचारी खोया खोया या चिंतित रहता है डरा रहता है। यदि हम एक गंभीर और दूरगामी सफल बिजनेसमेन बनना चाहते हैं तो हमें अपनी संस्था में ऐसे दुर्लभ कर्मचारी को हर संभव मदद के लिये आॅफर करना चाहिये जिससे कि कम्पनी को एक दूरगामी उत्तरोतर तरक्की के लिये संस्था को पूरी तरह से अपना समझने वाला कर्मचारी मिले।
इस पूरे पैरे का सार यही है कि आदमी घर से ये सोच कर निकलता है कि वह पैसा कमाने निकल रहा है लेकिन यदि कहीं उसका शोषण होने लगता है तो वह अपना सौ प्रतिशत नही देता बल्कि 1 प्रतिशत भी बेमन से देता है। और यदि आप कोई बिजनेस रन कर रहें है तो आपको आपको कर्मचारियों रूपी मशीन में बारीक से बारीक कलपुर्जे रूपी हर कर्मचारी का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योकि यदि कोई इलेक्ट्रानिक या मैकेनिकल बारीक से बारीक गड़बड़ी भी यदि मशीन में आती है तो पूरी मशीन बंद करनी पड़ सकती है। जरूरी नही कि आप कोई बड़ी या मध्यम लेवल की संस्था चला रहे तो तभी ये सोचना चाहिये यदि आप कोई छोटा सा शोरूम भी चला रहें है तो यह सावधानी रखनी अत्यंत आवश्यक है क्योकि जब आपके कर्मचारी के अटपटे व्यवहार से कोई ग्राहक टूटता है या चला जाता है तो नुकसान होगा ही। यदि आप इस समस्या को टालते हो या कल पर छोड़ते हो तो आप अपनी संस्था में जो दीमक लग रही है उसे और समय दे रहें हैं। और जो दीमक लगती है वह जड़ से ही शुरू होती है जो जमीन के अंदर जड़ों को इतना खोखला कर देती है कि आंधी तूफान में बड़े से बड़ा पेड भी एक दो थफेंडों या झोंको में ही गिर जाता है। भले ही पेड़ गगनचुंबी, विशाल और पुराना ही क्यो न हो। पेड़ तो मरता ही है अपने साथ पंक्षियों के घोसलों को भी ले गिरता है। और ये भी याद रखें कि किसी विशाल पार्क की शोभा के लिये या भारी और महत्वपूर्ण कार्य के लिये जो जो हाथी पाल लिये जाते हैं वे मस्त होजाने पर नियंत्रण खो कर उसी पार्क के पेड़ पौधों या कार्य को करवाने वाले के लिये परेशानी बन जाते हैं।
इस पूरे पैरे का सार यही है कि आदमी घर से ये सोच कर निकलता है कि वह पैसा कमाने निकल रहा है लेकिन यदि कहीं उसका शोषण होने लगता है तो वह अपना सौ प्रतिशत नही देता बल्कि 1 प्रतिशत भी बेमन से देता है। और यदि आप कोई बिजनेस रन कर रहें है तो आपको आपको कर्मचारियों रूपी मशीन में बारीक से बारीक कलपुर्जे रूपी हर कर्मचारी का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योकि यदि कोई इलेक्ट्रानिक या मैकेनिकल बारीक से बारीक गड़बड़ी भी यदि मशीन में आती है तो पूरी मशीन बंद करनी पड़ सकती है। जरूरी नही कि आप कोई बड़ी या मध्यम लेवल की संस्था चला रहे तो तभी ये सोचना चाहिये यदि आप कोई छोटा सा शोरूम भी चला रहें है तो यह सावधानी रखनी अत्यंत आवश्यक है क्योकि जब आपके कर्मचारी के अटपटे व्यवहार से कोई ग्राहक टूटता है या चला जाता है तो नुकसान होगा ही। यदि आप इस समस्या को टालते हो या कल पर छोड़ते हो तो आप अपनी संस्था में जो दीमक लग रही है उसे और समय दे रहें हैं। और जो दीमक लगती है वह जड़ से ही शुरू होती है जो जमीन के अंदर जड़ों को इतना खोखला कर देती है कि आंधी तूफान में बड़े से बड़ा पेड भी एक दो थफेंडों या झोंको में ही गिर जाता है। भले ही पेड़ गगनचुंबी, विशाल और पुराना ही क्यो न हो। पेड़ तो मरता ही है अपने साथ पंक्षियों के घोसलों को भी ले गिरता है। और ये भी याद रखें कि किसी विशाल पार्क की शोभा के लिये या भारी और महत्वपूर्ण कार्य के लिये जो जो हाथी पाल लिये जाते हैं वे मस्त होजाने पर नियंत्रण खो कर उसी पार्क के पेड़ पौधों या कार्य को करवाने वाले के लिये परेशानी बन जाते हैं।
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