फेसबुक पर हम जो अंदर से हैं वैसा ही हम अपने फेसबुक फैंड्स को नजर आते हंै यदि हम फेसबुक पर ढोंग करते हैं अपने आपको गुरू या स्मार्ट शो करने की तो लोग जल्द ही हमारी असलीयत जान जाते हैं। इसलिये मै जैसा सोचता हँू वैसा ही फेसबुक पर नजर आने की कोशिश नही करता ये मै अपने फैंड्स पर ही छोड़ देता हूँ। रियल लाइफ में यदि हम किसी से दोस्ती करते हैं तो ये हमारे पहनावें, बोलचाल, हम कैसे दिखते हैं काले या गोरे, बुढे या जवान, साइकिल से चलते हैं या वाइक से या कार से। उसी हिसाब से हम जिसे दोस्त बनाते हैं वे हम से दोस्ती करते हैं क्योकि वे हमारे आंतरिक व्यवहार जो कि हमारी असली हकीकत होती से वाकिफ नही होते। फेसबुक पर हम पर इन सब दिखावे का प्रेशर नही होता यहाँ केवल हमारी आंतरिक सोच या असली हकीकत ही हमारी पहचान होती है। मै अक्सर फेसबुक फ्रेंडस् से मीटिंग को अवईड करता हँू(ये मै अहंकार या किसी शंकावश नही करता)। क्योकि इसके पीछे मेरी सोच होती है कि
जात न पूछो साधू की, पूछ लिजिए ज्ञान, तौल करो तलवार की पड़ी रहन दो म्यान।।
कृपया यहाँ मुझे ज्ञानी या साधु न समझें।
इसका एक दूसरा पहलू भी है जो लोग हमें रियल लाईफ में जानते हैं और जो हमारी रूटीन लाईफ में हमारे दोस्त हैं वे हमारी फेसबुक लिस्ट में भी होते हैं वे हमारी इस आंतरिक असली हकीकत को हमेशा दिखावा ही समझते हैं और अंदर ही अंदर सोचते हैं कभी कभी तो हमें मैसेज के माध्यम से कहते हैं - अरे यार तुम पूरे देश ही फिकर करते रहते हो अपनी लाइफ से बारे मै ही सोचा करों। 2-अरे यार तुम तो आजकल अंकलों जैसी बातें करते हो। 3- क्या यार दिनभर नेट से कॉपी पेस्ट कर पकाते रहते हो। 4- कुछ दोस्त तो इतना एरीटेड होते हैं वे कहते हैं कि फेसबुक पर ही कर लिया करो सबकुछ हमसे क्यो मिलते हो। 5- कुछ दोस्त तो अब अपने घर किसी कार्यक्रम में भी नही इन्वाईट करते पूछने पर कहते हैं कि बुलाने किस किस को जाते इसलिये फेसबुक पर सबको इंवाईट किया था शायद तुमने पढ़ा नही।
और बाकी आप सभी के अलग अलग अनुभव होंगे फेसबुक पर कृपया अपने कमेंट्स के माध्यम से बतायें ताकि लोग उससे लाभांवित हो सकें।
जात न पूछो साधू की, पूछ लिजिए ज्ञान, तौल करो तलवार की पड़ी रहन दो म्यान।।
कृपया यहाँ मुझे ज्ञानी या साधु न समझें।
इसका एक दूसरा पहलू भी है जो लोग हमें रियल लाईफ में जानते हैं और जो हमारी रूटीन लाईफ में हमारे दोस्त हैं वे हमारी फेसबुक लिस्ट में भी होते हैं वे हमारी इस आंतरिक असली हकीकत को हमेशा दिखावा ही समझते हैं और अंदर ही अंदर सोचते हैं कभी कभी तो हमें मैसेज के माध्यम से कहते हैं - अरे यार तुम पूरे देश ही फिकर करते रहते हो अपनी लाइफ से बारे मै ही सोचा करों। 2-अरे यार तुम तो आजकल अंकलों जैसी बातें करते हो। 3- क्या यार दिनभर नेट से कॉपी पेस्ट कर पकाते रहते हो। 4- कुछ दोस्त तो इतना एरीटेड होते हैं वे कहते हैं कि फेसबुक पर ही कर लिया करो सबकुछ हमसे क्यो मिलते हो। 5- कुछ दोस्त तो अब अपने घर किसी कार्यक्रम में भी नही इन्वाईट करते पूछने पर कहते हैं कि बुलाने किस किस को जाते इसलिये फेसबुक पर सबको इंवाईट किया था शायद तुमने पढ़ा नही।
और बाकी आप सभी के अलग अलग अनुभव होंगे फेसबुक पर कृपया अपने कमेंट्स के माध्यम से बतायें ताकि लोग उससे लाभांवित हो सकें।
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