बुधवार, 4 मई 2011

कुछ मेरे अनुभव इनके साथ

for zoom click on image
 जब से मैने होश सम्भाला है मेरे माता-पिता को मैने अपना इलाज इन्हीं डॉक्टर महोदय से करवाते पाया। आज से लगभग 26 वर्ष पहले मेरे नाक में से गर्मी के मौसम में खून बहने लगा तो मेरे माता पिता मुझे भोपाल स्थित रेल्वे हॉस्पिटल में इलाज के लिये ले गये और उस हॉस्पिटल के डॉक्टर ने मुझे कुछ गोलियाँ खाने के लिये दी। घर आकर मेरी माता ने मुझे ये गोलियाँ खिलाई जिससे मेरी नाक से पानी के नल की तरह खून और ज्यादा बहने लगा मेरी माता ये देखकर बेहोश हो गई कुछ मौहल्ले वाले माता के साथ मुझे हमीदिया इलाज के लिये लेकर गये लेकिन वहाँ के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिये कहा कि वापस रेल्वे हॉस्पिटल में ही दिखवाओं मेरी नाक से लगातार खून बह रहा था। अंत में मेरी माता ने मुझे सिंघई क्लिनिक पर सिंघई डॉक्टर को दिखाया तब उन्होंने मेरी नाक से निकलते खून को मात्र 20 मिनिट में ही रोक दिया उस दिन से मै इन डाक्टर महोदय को भगवान का रूप मानता हूँ। आज जब मेरी शादी हो चुकी है मेरे दो बच्चे हैं मैं अपनी पूरी फैमली का इलाज यहीं करवाता हूँ। आप भी चाहे तो उस पूरे छोले नाके पर हर किसी से इन डॉक्टर महोदय का रिकार्ड पता कर सकते हैं।जब से होश संभाला है तब से देख रहा हूँ कि इन्होंने कैसे केवल छोले नाके में साइकिल से अपनी शुरूआत की और आज यहाँ के सभी लोग इन्हें सबसे विश्वसनीय डॉकटर मानते हैं।
आज भोपाल में हजारों की तादाद में झोला छाप डाक्टर लोगों को लूटने में लगे हैं लेकिन उन सब को छोड़ कर प्रशासन जब भी इन झोलाछाप डॉक्टरों के लिये मुहिम चलाता है सब क्लिनिकों को छोड़ कर केवल इन डॉक्टर महोदय की क्लिनिक ही खुली मिलती है। और प्रशासन इन डॉक्टर महोदय को जरूर समाचार की सुर्खियाँ मे जरूर लाता है।
मै अंत मे यही करना चाहता हूँ जो व्यक्ति लगभग 30 सालों से लोगों की कम से कम फीस में सेवा कर रहा हैं उसे क्या आप के हिसाब से यदि डिग्री न हो तो क्या उसे घर पर बैठा देना चाहिये या उसकी क्लिनिक बंद कर उस एरिये के लोगों को भगवान के भरोसे या उन लूटेरे झोलाछाप डाक्टरों के भरोसे छोड़ देना चाहते है जो इन डॉक्टर महोदय को फूटी आँख न सुहाते हों। मैं मानता हूँ कि ये गलत डिग्री से एलोपैथी का इलाज कर रहें हैं किंतु 30 सालों को अनुभव भी मायने रखता है जबकि यहाँ आने वाले लोगों कि भीड़ इनकी विश्वसनीयता को प्रकट करती हो।

लेबल: , , ,

3 टिप्पणियाँ:

यहां 6 मई 2011 को 8:15 am बजे, Blogger निशांत मिश्र - Nishant Mishra ने कहा…

मैं आपकी भावनाओं की कद्र करता हूँ और आपने कोई खराब बात नहीं की लेकिन यह सब नियमों के अधीन ही किया जाता है, इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता. यह तो सही है कि व्यक्ति का अनुभव कुछ मायने तो रखता है.

 
यहां 14 मई 2011 को 3:18 pm बजे, Blogger ZEAL ने कहा…

बहुत सार्थक लिखा है । ३० साल का अनुभव बहुत मायने रखता है।

 
यहां 15 मई 2011 को 10:33 pm बजे, Blogger Asha Joglekar ने कहा…

Wyakti ka anubhaw to mayane rakhta hai par prashikshan ko bhee kum nahee aankana chahiye.

 

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ