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मंगलवार, 17 जून 2025

हमारे देश की सरकार को सुझाव

वर्तमान परिदृश्य में जो घटनाएं सामने आ रही हैं एवं न्यायपालिका में जो केसेस के ढेर लग रहे हैं जिसमे कि तलाक शामिल है उन सबको ध्यान मे रखते हुए मैं यहां सरकार को कुछ सुझाव देना चाहता हूं यदि इन कानून में कुछ चेंज हो जाए तो हमारे देश में कुछ सुधर जाए

 पहले तो यह है कि गुजारे भत्ते के लिए पत्नी तभी हकदार होगी जब कम से कम उसने 15 साल पति के साथ गुजार बसर की हो जिसमें की सल के कम से कम 200 दिन शामिल हो एवं पति को बीच में दो तीन सल के लिए छोड़कर मायके में ना रही हो. आजकल हर कोई महिला या लड़की अपने प्रेमी पर रेप केस डाल देती है और उसकी जिंदगी सलाखों के पीछे निकल रही है सालों तक केस चलते हैं और कभी-कभी तो 10 सालों बाद व्यक्ति निर्दोष साबित होता है या लड़की अपने बयान से पलट जाती है मेरा देश की न्यायपालिका से हाथ जोड़कर निवेदन है कि महिला या प्रेमिका यदि अपने प्रेमी के साथ होशो हवास में होटल में जाकर या किसी पिकनिक स्पॉट में जाकर या अपने घर में या उसके घर में सहमति से सेक्स कर रही है तो उस रेप केस की श्रेणी में ना डालकर आपसी विवाद की श्रेणी में डालना चाहिए क्योंकि वह उससे सेक्स करने के बाद शादी का प्रेशर डालती है.

 दूसरा यह जो पर्यटन होटलस है एवं जो नॉर्मल शहरों में होटल है वहां पर यह कानून लागू कर दिया जाए कि यदि व्यक्ति पत्नी या पति के साथ होटल में चेक इन कर रहा है तो चेक आउट के समय दोनों का होना अनिवार्य है अन्यथा होटल मैनेजमेंट पुलिस को सूचित करेगा यदि किसी कारणवश पति या पत्नी को अकेले चेकिंग करना हो तो उन्हें संबंधित थाने में सूचित करना होगा इससे जो मर्डर मिस्ट्री और हनीमून मिस्ट्री हो रही है उसने कमी आएगी. 

 तीसरा यह के माता-पिता  लड़के के हो या लड़की के दोनों के माता-पिता को शादी के समय यह शपथ पत्र देना होगा कि वह अपने बच्चों की शादी उन पर प्रेशर डालकर नहीं करवा रहे हैं मतलब लड़की या लड़के के मर्जी के खिलाफ. जैसा कि अभी सोनम रघुवंशी के केस में सामने आया जिसने अपने पति को हिल स्टेशन पर ले जाकर शिलांग में मारा. यदि कोई क्रिमिनल केस होता है जिसमें पति या पत्नी एक दूसरे को मारते हैं और उसमें यह सिद्ध होता है की माता-पिता ने प्रेशर डालकर शादी करवाई तो उनको भी आरोपी बनाया जा सकता है.

 चौथ वाहन से संबंधित है यदि कोई व्यक्ति बाइक कार या छोटा कमर्शियल वाहन खरीद रहा है तो उसे शहर में पूल बनाकर या किसी दूसरे तरीके से इंश्योरेंस के अमाउंट में कमी लाकर लाइफटाइम इंश्योरेंस का पैसा लिया जाना चाहिए ताकि जो एक्सीडेंट के केस चल रहे हैं उन्हें कमी आए और जो ऑटो रिक्शा शहरी इलाकों में और छोटे शहरों में चल रहे हैं उनके लिए परमिट के अनिवार्यता खत्म कर दी जाए और इसी तरह छोटे कमर्शियल वाहनों का फिटनेस सर्विस सेंटर हवाले कर दिया जाए जिसमे की ब्रेक और प्रदूषण के आधार पर ही फिटनेस दिया जाए क्योंकि आरटीओ में वाहन फिटनेस के लिए वहां के अधिकारी चक्कर लगवाकर परेशान कर देते हैं. और लोग दलालों के भरोसे रहते हैं और जो ऑटोमेटिक फिटनेस मशीन लगी है वहां फिटनेस नहीं हो पता लोग दूसरी जगह फिटनेस कराने जाते हैं जैसा कि भोपाल जिले में हो रहा है चीजों को टिपिकल कर दिया गया है ना कि उन्हें प्रैक्टिकल और सबसे बड़ा सुझाव में हमारे देश की सरकार को देना चाहता हूं की ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है आदमी गाड़ी चलाते-चलाते उसको भूलता नहीं है आदमी गाड़ी चला चला कर और उसमें एक्सपर्ट होता है तो ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू कराने की जरूरत क्या है.

 अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 50 साल के रिकॉर्ड के अनिवार्यता लागू की गई है मध्य प्रदेश में जिसमे की लोगों के पैसा समय बहुत खर्च होता है और पता नहीं कितने लोगों के सिग्नेचर करवाने पड़ते हैं तब जाकर जाति प्रमाण पत्र बनता है तो मेरा भारत सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन है कि आधार कार्ड के आधार पर ही स्कूलों में छात्रवृत्ति प्रदान की जाए. 

 एक अन्य सुझाव है जो कि साइबर ठगी और जो आए दिन समाचार की भरमार रहती है कि ऑनलाइन ठगी हो गई तो हमारे देश के वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री जी से निवेदन है कि यूपीआई ट्रांजैक्शन या ऑनलाइन पेमेंट में यह लिमिट कर देनी चाहिए की एक महीने में केवल आदमी एक लाख या मात्र ₹50000 ही ऑनलाइन ट्रांसफर कर सकता है यदि उसे बड़ा अमाउंट किसी को पेमेंट करना है तो उसे चेक से पेमेंट करना होगा इस तरह से साइबर ठगी या डिजिटल अरेस्ट वाली घटनाएं कम हो सकती हैं और यदि यह कानून कुछ सालों के लिए ही लागू कर दिया जाए तो साइबर ठगों के हौसले ठंडे पड़ जाएंगे. 

 मैंने किसी तरह की कोई कानूनी पढ़ाई नहीं की है लेकिन मैं अपने आम आदमी की तरह सरकार को सुझाव दे रहा हूं.  

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