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शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

पलायन

यहां सबसे पहले मैं आपको पलायन का मतलब अपनी भाषा में समझा देता हूं। पलायन का मतलब होता है जब परिस्थितियों को हम भारी कोशिशें के बावजूद अपने पक्ष में नहीं कर पाते या अपने विरुद्ध होने से नहीं रोक पाते मतलब परिस्थिति को चेंज नहीं कर पाते और अपनी हार मानकर अपना बारूद ना खर्च करते हुए वहां से निकल जाते हैं उसे हम पलायन कहते हैं यदि कोई आपके लिए विपरीत परिस्थितियों पैदा कर रहा है तो वह उस सूअर की भांति है जो कीचड़ में आपको लड़ने के लिए आमंत्रित कर रहा है क्योंकि उसे तो आदत है उस कीचड़ में रहने की और लड़ने की लेकिन आपको डर लगता है कि आपके कपड़े गंदे हो जाएंगे और लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे तो पलायन की कुछ यहां पर मैं संक्षिप्त में सच्ची कहानियां लिख रहा हूं जिससे हमें अपने जीवन में कुछ मार्गदर्शन या आपको कुछ मार्गदर्शन मिल जाएगा

पहली कहानी

तीन भाई बहन होते हैं जिन्होंने अभी-अभी होश संभाला है उनके पिता कड़ी मेहनत करते हैं शहर से बाहर टूर रहते हैं और उनकी मां शहर में रहकर बच्चों के देखभाल करती है एक शातिर दिमाग व्यक्ति उनकी मां को अपने प्रेम जाल में फंसा लेता है और मां चरित्रहीनता की हद पार करके अपने पति को धोखा देने लगती है जब उनके पिता को यह सब बात पता पड़ती हैं तो वह अपने पत्नी को आजाद करते हुए उसे तलाक की मांग करते हैं पत्नी एक शर्त पर ही तलाक देने को तैयार होती है की तीनों बच्चे मुझे ही दो मैं उन्हें पाल लूंगी पिता उन छोटे-छोटे बच्चों को तलाक के खातिर छोड़ देते हैं फिर वह चरित्रहीन औरत अपने प्रेमी के साथ मिलकर दो भाइयों और एक बहन को पालते हैं लेकिन उन्हें नौकरों की तरह। उन्हें फ्री में नौकर मिल जाते हैं धीरे-धीरे यह लोग बड़े होते हैं किसी तरह अपनी पढ़ाई करते हैं लेकिन उन्हें पता पड़ जाता है कि चरित्रहीन मां ने हमें नौकर बना कर रखा हुआ है सौतेले पिता के बारे में तो फिल्मों में आपने देखा ही होगा ठीक उसी तरह उन तीनों भाई बहनों पर अत्याचार होते हैं जो सबसे बीच का भाई होता है वह विद्रोह करते हुए वहां से अपना बोरिया बिस्तर समेट कर पढ़ाई बीच में छोड़कर निकल जाता है और दर दर की ठोकरे खाते हुए किसी तरह सेल्फ डिपेंट बनता है भले ही वह रूखी सूखी रोटी खाता है लेकिन पलायन करके वह अपने आप को स्वतंत्र महसूस करता है।


दूसरी कहानी

एक किशोर जवानी की दहलीज पर कदम रखते हुए एक लड़का शहर की कम सैलरी की जॉब छोड़कर अपने दोस्तों के कहने में आकर गांव खेड़े में स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री में जॉब करने निकल पड़ता है क्योंकि वह जिंदगी भर शहर में रहा है तो उसे गांव के एरिया में रहने में उसे बहुत परेशानी आती है ना तो वहां मन की चीज खाने को मिलती हैं ना वहां शहर जैसा माहौल । गांव में हरियाली तो है ताजी हवा भी है लेकिन कोलू के बैल की तरह दिनभर फैक्टरी में काम करके घर पर आकर दाल रोटी सब्जी इसी तरह लगभग 1 साल तक उस लड़के ने उसे इंडस्ट्रियल एरिया में किसी तरह जॉब करते हुए निकाला लेकिन उस फैक्ट्री में उसकी कोई तरक्की नहीं हुई क्योंकि वहां कोई तरक्की होती भी नहीं थी । अफसर सुपरवाइजर कैटेगरी के लोग सब शहर से नियुक्ति पर आते थे मजदूरों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था अब बेचारा शहर से अपना बोरिया बिस्तर समेट कर गांव आया था और शहर में दोबारा सेटल होने के लिए मकान किराए पर लेने के लिए ढेर सारे पैसे की जरूरत होती है वह ऐसे ही 1 साल और निकाल देता है लेकिन उसका बिल्कुल भी मन फैक्ट्री के काम में नहीं लगता क्योंकि वहां पढ़ा लिखा होता है। वह तरक्की और ज्यादा सैलरी के लालच में फैक्ट्री में जॉब करने के लिए आया था उसके जो दोस्त उसके साथ आए थे धीरे-धीरे करके वह सभी शहर में वापस चले गए क्योंकि उनके मां-बाप रहते थे उनको कोई परेशानी नहीं आई शहर में वापस जाने में इसलिए वह चले जाते हैं लेकिन यह बेचारा जो की वन मैन शो था शहर में कोई नहीं था उसका उसको पैसे की जरूरत शहर में शिफ्ट होने के लिए होती है लेकिन उस जमाने में लगभग यह बात है सन 1999 2000 की थी उसके पास पैसे जुड़ नहीं पाते। फिर वह ठान लेता है कि भले शहर में भीख मांगने पड़े अब यहां नहीं रहना फिर वह गांव में पूरा सामान अपना वैसे का वैसे ही छोड़कर फैक्ट्री की नौकरी वैसे की वैसी छोड़कर एक बस में सवार होकर शहर निकल जाता है शहर में आकर नौकरी करता है वही सो जाता है धीरे-धीरे करके अपना बंदोबस्त कर लेता है लेकिन उसके लिए उसे पलायन करना पड़ा।


तीसरी कहानी

एक व्यक्ति जो की हुनरमंद था अच्छी नौकरी कर रहा था लेकिन अच्छी लाइफस्टाइल के चक्कर में धीरे-धीरे में कर्जे में फसता चला गया उसे अपने जॉब में जो सैलरी मिलती थी वह कर्ज चुकाने के बाद हाथ में सेविंग के नाम पर कुछ नहीं आती थी । छोटी फैमिली थी बीवी बच्चे तो वहां कुछ नया करने का सोचने लगा फिर एक दिन जॉब छोड़ दी और जो छोटी-मोटे बचत थी उसे अपना बिजनेस स्टार्ट किया लेकिन एक महीने में ही उसे समझ में आ गया के बिजनेस एक टीमवर्क है जो कि बिना गॉडफादर के नहीं हो सकता फिर उसने एक छोटी सी दुकान स्टार्ट की दुकान चलने लगी लेकिन जो कर्जा नौकरी छूटने के बाद चुक नहीं पा रहा था । बिजनेस में भी नहीं चुक रहा था धीरे-धीरे वह बिजनेस के चक्कर में कर्ज को अपने से ऊपर करता गया और एक दिन यह स्थिति आई उसे लगने लगा कि अब उसे सुसाइड करना पड़ेगा फिर उसमें थोड़ी हिम्मत आई और उसने बिजनेस बंद करने की ठानी और लाखों का सामान कवाड़े में बेच दिया। दुकान खाली कर दी बीवी के गहने बेच दिए लेकिन कर्ज खत्म नहीं हुआ कर्जदार घर पर चक्कर लगाने लगे फिर उसने उस एरिया को छोड़कर और कर्जदारों के हाथ पैर जोड़कर किसी तरह एक बाइक खरीदी और उस पर ऑनलाइन टैक्सी चला कर अपने परिवार को पालने लगा लेकिन उसेअपने सपनों से पलायन करना पड़ा और एक नॉर्मल जिंदगी जो कि नॉर्मल से भी बत्तर थी गुजर करनी पड़ी। लेकिन अब उसकी हाय तौबा खत्म हो चुकी थी और उसे अब थोड़ा सुकून मिला।


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