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बुधवार, 18 जनवरी 2017

धूर्त लोगों का भला सोच समझ कर करें

हमें किसी की सहायता या भला उसकी ​दीन हीन दशा देखकर तो करना ही चाहिये लेकिन अपना समय खराब कर किसी का भला बहुत बहुत और भी बहुत सोच समझ कर उसके चरित्र और उसके व्यवहार को कुछ समय तक निगरानी कर उसका का बडा भला करना या नही करना है इसका निर्णय करना चाहिये। मै ये इसलिये लिख रहा हूं क्योकि मैने अपने कुछ संडे के अवकाश, पूरे 5 घंटे हर संडे एक बंदे को दिये ताकि उसकी जॉब लग सके उसे नि:शुल्क Training दी। आज से 6 साल पहले की बात है। लोग जब बरसात में अपने घर में होते थे तो मै हर संडे उसे कम्प्यूटर सिखाने निकल पडता था। आज ये हालात हैं कि वह वंदा जब भी कभी मिलता है दुम दबा कर नजरे बचा कर निकल जाता है।

1 टिप्पणी:

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति हरिवंश राय 'बच्चन' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

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