ये पोस्ट लिखने का मै बहुत दिनों से सोच रहा था लेकिन इसे टालता आ रहा था क्यूकि मुझे आज तक इस बात की जानकारी नही लग पाई कि अपराधियों को कैमरे या जनता के सामने लाने से पहले क्यो एक काले कपड़े से उनका मुंह ढांक दिया जाता है। मेरे मन ये विचार आता था कि यदि इनका चेहरा पब्लिक देख ले तो कितना अच्छा हो ताकि अगली बार यदि यही अपराधी उनके मौहल्ले, कॉलोनी या शहर में कहीं दिखाई दें तो लोग सतर्क हो जायें कि ये अपराध करने की नियत से यहां घूम रहा है।
भोपाल मे हर साल कम से कम ५-६ बार कार्लगल्र्स और मसाज पार्लर की आड़ में देह व्यापार करने वाली महिलाओं का रैकेट पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है, लेकिन हर बार इन महिलाओं का चेहरा तो ढंका रहता है लेकिन बेचारे वो लोग जो इनके शिकार होते हैं जो किसी बेटी के पिता या किसी मां के बेटे या किसी बहन के भाई होते हैं जिनका नाम न्यूज में छपने पर उनसे जुड़ी कई जिन्दगियां प्रभावित होती हैं का नाम और फोटो वास्तविक नाम सहित छाप दिया जाता है। जैसे उन्होंने कोई रेप या बलात्कार किया हो। जबकि अपराध तो दोनों ने किया है मसाज पार्लर वाली महिलाओ ने और उनके ग्राहकों ने। तो इन न्यूजपेपर्स में केवल ग्राहकों का फोटो और नाम ही क्यो छापा जाता है। अभी पिछले साल भोपाल के कोहेफिजा क्षेत्र में एक देहव्यापार का भंडाफोड पुलिस द्वारा किया गया था जिसमें कि एक किशोर भी पकड़ा गया था जिसने कि बाद में एक सप्ताह बाद ही बदनामी होने पर आत्महत्या कर ली उसकी मां सदमें में पहुंच गई थी। मैने किताबों में पढ़ा है कि हमारा संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है तो फिर एक ही अपराध में लिप्त दो अपराधियों से भेदभाव क्यो।
यदि हमारा कानून या मानवाधिकार देह व्यापार के अपराध में लिप्त महिलाओं को ढंक रहें हैं ताकि उनका सामाजिक जीवन बर्बाद न हो, तो उस पुरूष को क्यों लोगों के सामने लाया जा रहा है जो इनके चंगुल में फंस गया आखिर इन अपराध में लिप्त महिलाओं को सीधे साधे आम आदमी को आकर्षित करने में कितना समय लगता होगा। क्या उन पुरूषों की कोई सोशल लाईफ नही है जो इनके चंगुल में फंस गये और इनकी की ही तरह पकड़े गये, क्या उसके परिवार में विवाह योग्य बेटी, बेटा या माता-पिता नही है जिन्होंने पूरे जीवन भर अपने परिवार के लिये समाज में अपनी प्रतिष्ठा कायम की है। जो केवल एक बार इनके किसी न्यूज पेपर या न्यूज चैनल में नाम और फोटो छपने या प्रसारित होने पर मिट्टी में मिल जाती है।
आये दिन न्यूज पेपर्स में फ्रेन्ड्स क्लब और मसाज पार्लर में वर्गीकृत विज्ञापन छपते रहते हैं उन पर भी तो कार्यवाही होनी चाहिये ।
यदि हमारा कानून या मानवाधिकार देह व्यापार के अपराध में लिप्त महिलाओं को ढंक रहें हैं ताकि उनका सामाजिक जीवन बर्बाद न हो, तो उस पुरूष को क्यों लोगों के सामने लाया जा रहा है जो इनके चंगुल में फंस गया आखिर इन अपराध में लिप्त महिलाओं को सीधे साधे आम आदमी को आकर्षित करने में कितना समय लगता होगा। क्या उन पुरूषों की कोई सोशल लाईफ नही है जो इनके चंगुल में फंस गये और इनकी की ही तरह पकड़े गये, क्या उसके परिवार में विवाह योग्य बेटी, बेटा या माता-पिता नही है जिन्होंने पूरे जीवन भर अपने परिवार के लिये समाज में अपनी प्रतिष्ठा कायम की है। जो केवल एक बार इनके किसी न्यूज पेपर या न्यूज चैनल में नाम और फोटो छपने या प्रसारित होने पर मिट्टी में मिल जाती है।
आये दिन न्यूज पेपर्स में फ्रेन्ड्स क्लब और मसाज पार्लर में वर्गीकृत विज्ञापन छपते रहते हैं उन पर भी तो कार्यवाही होनी चाहिये ।
4-5th may 13 bhaskar |
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