इन्हे आजाद करें, एक खुला आसमान इंतजार में है इनके पंखों से स्वयं को नापने के लिये । भले ही आप रात दिन पूजा पाठ करते रहें, कितने भी पुण्य करें, यदि आपने एक जीव को कैद कर रखा है तो वह निरंतर प्रतिदिन अपनी स्वतंत्रता और आपके अंत के लिये प्रार्थनारत होगा। प्रतिदिन आपको और उस मंहूस घड़ी को कोसता होगा जब वह आपके या किसी शिकारी के चंगुल में फंसा।
हमने भले ही कितने ही ऊंचे विश्वविद्यालय से ढ़ेरों डिग्रीयां हासिल की हों लेकिन यदि हमने थोड़ी सी भी संवेदना किसी जीव की आजादी के प्रति नही है तो हमारी वह डिग्रीयां किस काम की। और हमारे माता-पिता ने तो हमें यह संस्कार नही दिये कि अपने घर में किसी जीव को कैद कर रखने पर हमें कोई वित्तीय फायदा होगा। ये तो भेड़ चाल का नतीजा है जो हम इस तरह के कर्म में रत हैं।
यदि आपके पडोसी के यहां या किसी रिश्तेदार के यहां इस तरह का कोई जीव कैद हो तो उसे भी समझाये कि उसके पंख खुले आसमान में उड़ने को तरस रहे हैं। हम मनुष्य होकर भी सोने की जंजीर से बंधना पसंद नही करते जबकि हमें सोने के मूल्यवान होने को पता है तो फिर ये जीव क्यों एक लोहे के सड़े से पिंजरे में कैद रहकर खुश रह सकता है।
really good article keep it up
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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