वोटर को मत सताईये, जाकी मोटी हाय ।
एक बटन के छुअन से सीट भस्म हो जाये।।
मै यहाँ भोपाल सिटी के नये हिस्से में निवास करता हँू यानि कि नये भोपाल में विचरण करता हँू चंूकि विचरण करना अनिवार्य है कर्म करने के लिये इसलिये घर से ऑफिस और ऑफिस से घर मात्र किसी अवकाश वाले दिन या संडे के दिन ही कुछ राहत मिलती है।
यहाँ यह स्पष्ट करना सही होगा कि राहत किस चीज या समस्या से मिलती है। चंूकि भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी है और हम राजधानी वासियों को भोपाल के राजधानी होने का कडवा फल भुगतना पड़ता है। आये दिन धरना प्रदर्शन, किसान सम्मेलन, रोड जाम वाला धरना, रैली, आदि से खासकर नये भोपाल के लोग इतने त्रस्त हो गये हैं कि सुबह घर से निकलने से पहले या बच्चों को सुदूर स्कूल भेजने से पहले न्यूज पेपर में पढऩा पढ़ता है कि रास्ते में आज कोई धरना प्रदर्शन, रैली, सम्मेलन या किसी पुल, सड़क या न बनने वाली सड़क का उद्घाटन तो नही है जिसमें कि पूरे नेताओं की जमात आती है ढेर सारी लाल बत्ती वाली गाडिय़ों के साथ पूरे नये भोपाल के मुख्य मार्गों को जाम लगाते हुये और तो ओर पूरे प्रदेश के कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रित किया जाता है भोपालवासियों को त्रस्त करने के लिये। उस दिन पूरे टे्रफिक के नियम तांक पर रख दिये जाते हैं, ट्रेफिक पुलिस को रू ४४० (जो कि ५० रू से बढ़कार ४४० कर दिया गया है बिना हेलमेट आदि के लिये) का चालान याद नही रहता। पहले पुराने भोपाल में लिली टॉकिज, जहाँगीराबाद में प्रदर्शन और रैलियाँ निकाली जाती थी, फिर रोशनपुरा चौराहे, न्यू मार्केट पर और अब पूरे बीएचईएल के दशहरा मैदान और आगे जाकर जम्बूरी मैदान में ये सब होता है। बीएचईएल के दशहरा मैदान के सामने तो एक मेडीकल कॉलेज कम हॉस्पिटल है मै तो सोचता हँू कि वहाँ भर्ती मरीजों और उनके परिजनों का क्या हाल होता होगा। बीएचईएल क्षेत्र के ही जम्बूरी मैदान के पास ही प्रमुख टेक्रिकल कॉलेजेस और टॉप के स्कूल्स हैं नन्हेें मुन्ने बच्चे और उनके अभिभावक बहुत ही त्रस्त होते जा रहे हैं। जितनी पुलिस इन धरना प्रदर्शन, रैलियों और नेताओं की सुरक्षा में लगी दिखाई देती है उतनी पुलिस अपराधों को रोकने में दिखाई नही देती। भोपाल में एक भी ऐसा दिन नही जाता कि न्यूज पेपर में ये पढऩे को न मिले कि आज फलां क्षेत्र में महिला के गले से चेन या हाथ से पर्स छीन कर बदमाश रफूरक्कर हो गये। भोपाल के पिपलानी और बीएचईएल क्षेत्र में रिकार्डतोड़ डकैतियाँ होती हैं। लेकिन किसी का सुराग लग जाये तो ये भोपाल पुलिस के लिये बड़े गर्व की बात होती है। लिखने को तो बहुत समस्याएँ हैं लेकिन अभी याद नही आ रही शायद कोई भोपालवासी ये पढ़े तो उसे और समस्याएँ याद आ जायें, यदि याद आ जायें तो कमेंट के माध्यम से बताऐं।
|
bhaskar bhopal 4 sept 2012 |
|
bhaskar bhopal 3 sept 2012 |
|
bhaskar bhopal 3 sept 2012 |
|
bhaskar bhopal 4 sept 2012 |
|
5 sept 2012 |
|
5 sept 2012 |
|
5 sept 2012 |
|
7 Sept 2012 |
|
7 Sept 2012 |
|
10 oct 2012 bhaskar bhopal |
|
1 dec 2012 bhaskar bhopal |
|
15 JAN 2013 |
|
29 march 2013 |
|
25 april 2013 |
|
28 april 2013 |
|
16 may 2013 |
|
2 june 2013 |
|
13 june 2013 |
|
11 JULY 2013 |
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
भोपाल ही नहीं ये पूरे देश में हो रहा है
संसद मौन है आदमी सड़क पर रो रहा है !
जब प्रादेश की राजधानी का यह हाल है तो.....
जवाब देंहटाएंवोटर ने नेता को सबक सिखाना ही चाहिये ।