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सोमवार, 2 जनवरी 2012

व्यथा को कम करें व्यवस्था से

मै अपने आॅफिस से पहले अपने ठीये पर चाय पीने के लिये प्रतिदिन की तरह रूका तभी एक पुराना मित्र वहाँ मिल गया हाय हलो के बाद बातों ही बातों में ध्यान दिया कि मित्र की आँखें लाल दिखाई दे रही थी जैसे कि वह रातभर सोया न हो तो मैने पूछ डाला क्या बात है भाई रात भर सोये नही क्या? तब मित्र बोला नही यार ये जो हाथ पिछले हफ्ते टूट गया था कल अचानक देर रात बहुत दर्द करने लगा जिसके कारण मै सो नही पाया तब मैने कहा कि दर्द निवारण गोली खा सकते थे तब वह मित्र भावुक होकर बोला क्या करूँ यार मेरी वाइफ ने वह दर्द निवारक गोलीयाँ जो कि बहुत महँगी थी पता नही कहाँ रख कर भूल गई चंूकि रात बहुत ज्यादा हो गई थी इसलिये मुझे किसी मेडिकल स्टोर का इतनी रात सर्द मौसम में खुली होने की उम्मीद बहुत कम नजर आई इसलिये मैने रात भर दर्द सहा और सो नही पाया। तब उसने अपनी वाइफ की एक अजीब आदत के बारे में अपना दुखडा सुनाया कि मै अपनी पत्नी की भूलने और लापरवाही के कारण बहुत परेशान रहता हूँ कभी कभी तो वह पूरा राशन खत्म होने पर भी मुझे इंफोर्म नही करती जब उस चीज की आवश्यकता पड़ जाती है जैसे रोटी बनाने के समय वह कहती है आटा खत्म हो गया, चाय बनाते समय कहती है चाय पत्ती खत्म हो गई, जब मेरा आॅफिस आने को समय होता है और मै अलमारी में प्रेस किये हुये कपड़ो को तलाशता हूँ तो वह कहती है कि वह धुल चुके हैं लेकिन अभी प्रेस होना बाकी है फिर दूसरे दिन भी वही बहाना। इसके आगे उसने ये भी बताया कि इसके भुलने की आदत के कारण मुझे अपने माता पिता से भी कभी कभी माँफी मंगनी पड़ती है। जैसे एक दिन मेरे पिता जी ने फोन किया कि जो अपना नया घर है उसकी चाबी वो लेने आ रहें है निकाल कर रखना मैने अपनी वाइफ को बोला तो वह बोली निकाल कर रख ली है आयेंगे तो दे दूगीँ और मै बेफ्रिक होकर आॅफिस आ गया। तभी मेरे पिता को कॉल आया कि बहू पिछले आधे घंटे से चाबी ही ढंूढ रही है। और मुझे वापिस घर आना पड़ा चाबी ढंूढने के लिये। उसने आगे बताया कि कभी कभी तो वह बच्चों को खाना और नहलाना में लापरवाही बरतती है बच्चों को शाम को 4 बजे नहलाती है।
तब मैने उससे पूछा कि वह क्या माता पिता से अलग रहता है तब उसने बताया कि मेरी वाइफ की इन आदतों के कारण मेरे माता पिता ने हमें अल्टीमेटम दे दिया कि अपनी आदत सुधारों नही तो अलग रहों तब भी मेरी पत्नी पर कोई असर नही हुआ और अब हमें अलग रहना पड़ रहा है पहले मेरे माता पिता सहते थे अब मै अपनी पत्नी की इस भूलने की आदत को सह रहा हूँ।
तब मैने उसे मैने एक सुझााव दिया कि जैसे एक कबाड़ी वाला होता है जिसे किसी चीज को कोई वैल्यू नही होती जिसे वह केवल दोबारा बेचने तक ही सीमित रहता है और उस कबाड़ी की दुकान में हर चीज इधर उधर पड़ी रहती है यदि जरूरत के सामान का खरीदार वहाँ जाता है तो उस खरीदार को ही जरूरत की चीज ढंूढनी पड़ती है ऐसा ही हाल तुम्हारे घर का है। पहले तो अपनी वाइफ को यह समझाओं कि अपने घर को कबाड़ी की दुकान की तरह कबाड़खाना न बनायें। दूसरा यह कि वह धीरे धीरे अपनी आदत में सुधार करें क्योकि जिस घर में साफ सफाई और हर चीज सलिके से हो वहाँ लक्ष्मी निवास करती हैं। यदि हम आँख बंद कर भी कोई सामन किसी अलमारी में लेने जायें तो वह उस अलमारी में उस वस्तु के तय स्थान पर मिले। बड़ी बड़ी कम्पनियाँ तो इस तरह की व्यवस्था बनाने में लाखों रूपये खर्च करती है। तुम्हे भी धैर्य रखकर और बार बार अपनी पत्नि को समझाकर यह व्यवस्था बनानी होगी। इस तरह तुम्हारी व्यथा व्यवस्था के माध्यम से कम हो सकती है।

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