9th OCT 2014 BHASKAR BHOPAL |
जिस स्कूल को ये दान दिया गया है ये अवधपुरी भेल में भव्य स्कूल संचालित करता है इस स्कूल में अगर बच्चा kg -2 से 1st क्लास में जाता है तो re admission के नाम पर पैसा बसूल किया जाता है, हर साल यूनीफोर्म में change किया जाता है, जैसे यदि स्कूल का लोगो शर्ट पर था तो इस बर्ष शर्ट की बाह पर. किताबों का publication हर साल change कर दिया जाता है ताकि बच्चे का बहन या भाई उस कोर्स को use न कर सके. १५ अगस्त और २६ जन. को झंडा वंदन के नाम पर बच्चों से २०-५० रुप्पे तक बसूल किये जातें हैं. और उन्हें दिया जाता है १ लड्डू और २ choclate . जिसके कीमत होती है १० रुप्पे. fees के रूप में और अन्य खर्चों जिससे बच्चों का कोई लेना देना नहीं होता बसूल किया जाता है. इस स्कूल को देख कर नहीं लगता की इसे पैसो की जरुरत है. राम और कृष्ण के नाम पर धंधा जोरों पर है. यदि कोई अभिभावक प्रबंधन से इन खर्चो का हिसाब मागता है तो उसे कहा जाता है की नहीं पढ़ा सकते तो अपने बच्चो का नाम कटा लो. इन ९ लाख रुप्पे में तो इस स्कूल के सभी बच्चो का इस साल का course आ जाता. फीस भी भरा जाती. एक पुस्तिका जिसमे फीस की details और फॉर्म होता है जिसकी प्रिंटिंग के बाद कीमत अधिक से अधिक २० रुप्पे पड़ती है को बच्चों के अभिभावक को ५० रुप्पे में दी जाती है.
इस स्कूल में पहली क्लास के बच्चों को वह इंग्लिश पढ़ाई जाती है (डायरेक्ट लम्बी-लम्बी स्टोरिज) जो हमने अपने स्कूल टाइम में 6वीं या 7वीं क्लास में पढ़ी थी। नो स्पेलिंग नो ग्रामर डायरेक्ट पंचतंत्र की कहानियाँ वो भी इंग्लिश में। यदि हम स्कूल प्रबंधन से ये जाकर बोले कि आप हमारे बच्चें को कम से कम बेसिक तो पढाईये कम से कम हिंदी की बाराखड़ी तो सिखाईये जब बाराखड़ी ही बच्चों को नही आयेगी तो ये लम्बी लम्बी किताबे कैसे पढ़ेंगे। तो जबाब मिलता है टीचर्स मीटिंग में आना। और टीचर्स मीटिंग में यदि आप जाओ तो केवल प्रींसिपल ही बोलता है बाकि तो केवल सुनते हैं और यदि कोई अपने बच्चों की पढ़ाई से रिलेटिड कुछ कह दे तो समझो उस मीटिंग में सबसे बड़ा मूर्ख वही है।
इस स्कूल का एक और शोषण करने का तरीका है : हर दूसरे माह में अभिभावको को दो माह की फीस भरना पड़ती है और अगले माह एक महीने की और जब स्कूल दुबारा खुलता है तो एनुअल चार्जेस के नाम पर एक भारी भरकम एमाउंट फिर बसूला जाता है। और मान लिजिए की आप मार्च माह की फीस इस स्कूल के रूल के हिसाब से गत बीते हुए महिनों में भर चुके है और यदि मार्च माह में किसी और माह की फीस आपको भरनी है और आप लेट हो गये तो 70 से 50 रूपये तक लेट फीस चार्ज वसूला जाता है। हर तीन माह में परीक्षा फीस, और हर टेस्ट में लगभग हर बच्चे के परीक्षा परिणाम में कॉपी पर लिख कर भेजतें हैं वेरी पूयर, 10 में से 00। हम अभिभावक लोग ये खून का घूँट इसलिये पी लेते हैं ताकि हमारे बच्चों की पढ़ाई और भविष्य पैसों की बजह से बर्बाद न हो लेकिन कभी कभी ये इस तरह का शोषण हमारे घर और मन की शांति भंग कर देता है।
इस लेख को पढ़ कर आप ये ना सोचे कि मेरी इस स्कूल से कोई जाति दुश्मनी है मै तो अपने अनुभवों से भोपाल में स्कूलों द्वारा कैसे गरीब अभिभावकों का खून चुसा जा रहा है बताने की एक छोटी सी कोशिश कर रहा हूँ।on 29 june12
रामकृष्ण मिशन का आश्रम प्रेस कॉम्प्लेक्स एमपी नगर मे हैं होशंगाबाद मेनरोड पर है वहाँ पिछले साल स्टेट बैंक आॅफ इंडिया द्वारा इनके द्वारा जो स्कूल अवधपुरी बीएचईएल में संचालित किया जाता है के लिये एक स्कूल बस दान दी गई थी जो केवल आश्रम में ही खड़ी रहती है। स्कूल से 6 कि.मी. दूर और जो स्कूल के बच्चे हैं वे अपने साधन से ही स्कूल आते हैं। इसके पहले जो 9 लाख रू. का दान दिया गया था एसबीआई द्वारा बच्चों के लिये लाइब्रेरी बनवाने के लिये इसी स्कूल को उस लाइब्रेरी का लाभ किसे मिल रहा है या बनी भी नही पता नही। इनका जो हेड है जिन्हें स्कूल का प्रिंसीपल महाराज कहता हैं उससे मिलना किसी वीआईपी से मिलने के बराबर है। इस आश्रम द्वारा संचालित स्कूल द्वारा टीसी के लिये 1500-2000 रू की वसूली की जाती है। राम और कृष्ण के नाम पर ये लोग भोपालवासियों को लूट रहे हैं।
29 may 2014 bhaskar |
विचलित करने वाली खबर है । इन स्कूल संचालकों ने तो धंधा बना रखा है इतनी तिकड़में तो कोई कंपनी भी अपना माल बेचने के लिए नहीं करती । माता-पिता की मजबूरी का किस कद़र नाजायज फायदा उठाते हैं ये लोग। प्रशासन द्वारा इनके खिलाफ कारर्वाही की जानी चाहिए।
जवाब देंहटाएंSarkari schoolon ka hal bura hai .Wahan padhaee to hoti nahee. Kuch apwad chod kar bachche bhagwan bharose hee hote hain. vfpr mdktn fmr yel ke fayada uthate hain .
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