सालों से जब हम छोटे थे तब से लेकर अभी तक आज हमारे बच्चे भी व्हाइट यूनिफॉर्म पहन रहे हैं। पहले बाहर की कंपनियों ने दिमाग लगाया था। कुछ बड़े स्कूलों में सफेद यूनिफॉर्म का चलन बढ़ाया गया जिस दिन स्पोर्ट्स day रहता था ताकि यूनिफॉर्म ज्यादा गंदी हो और लोगों को साबुन सोडा खरीदना पड़े। इसी चलन को छोटे स्कूल वाले भी अपनाते गए और आज उसका फायदा बड़ी-बड़ी कंपनियां उठा रही हैं। स्पोर्ट्स डे में काली टीशर्ट होती तो इनका साबुन सोडा कौन खरीदता। एक और भेड़ चाल देखने को मिलेगी अभी इतनी गर्मी में बच्चों को टाई पहन कर बुलाएंगे।
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शुक्रवार, 29 मार्च 2024
गुरुवार, 28 मार्च 2024
सतयुग और कलयुग
पहले के युगों में कोई कानून कायदा था नहीं रावण को मारो चाहे कंस को कोई कानून के चंगुल में नहीं फसता था। इस युग मे राम हो चाहे रावण सबको कानून के बंधन में रहना पड़ता है। अभी भी बहुत सारी सुपनखा मौजूद है लेकिन उनको टच करने में ही आप कानून के दायरे में आ जाएंगे। नाक काटने की तो बात बहुत दूर की है। बस एक चीज है कि दुशासन को कोई भी सजा दे सकता है। चलते-फिरते। उन युगों में बहुत सारी पत्नियां खून चूसने के लिए रहती थी यहां तो कानूनंन एक ही होती है। पहले एक ke तानो से छुटकारा पाना है तो दूसरी के पास चले आओ। यहाँ तो एक से छुटकारा पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे। लोग सतयुग की बातें करते हैं लेकिन उन्हें अपनाना कोई नहीं चाहता । कोई बेटा नहीं चाहता कि उसके पिताजी की चार पत्नियों हो।
शुक्रवार, 22 मार्च 2024
क्या यह सही है
बच्चे यदि ज्यादा मार्क्स ला रहे हैं परसेंटेज ला रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि सोशल मीडिया पर शेयर करना चाहिए क्योंकि और भी जो पेरेंट्स हैं. उनके बच्चे यदि पढ़ाई में कमजोर हैं तो कहीं ना कहीं वे लोग ईर्ष्या या ग्लानि महसूस करते हैं. जैसे रिन साबुन के ऐड में एक महिला दूसरी महिला को देखकर सोचती है कि इसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद कैसे. दूसरों को परेशानी हो न हो लेकिन जो रिश्तेदारी में लोग होते हैं उन्हें सबसे ज्यादा इर्षा होती है. बाकी आपकी मर्जी.