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बुधवार, 25 मार्च 2020

इस लोक डाउन में सरकारी कर्मचारी यदि घर बैठे वेतन पा सकते हैं तो रोजमर्रा कमाने वाले क्यों नहीं

प्रधानमंत्री महोदय के आह्वान पर 1 दिन का जनता कर्फ्यू सभी ने सहमति से स्वीकार किया . अगले ही दिन 24 तारीख तक का लॉक डाउन की खबर आते ही लोगों ने अपने घर में 31 तारीख तक का राशन भर लिया लेकिन जब प्रधानमंत्री महोदय ने 21  दिन के loukdown की घोषणा की तो विचारा रिक्शा चलाने वाला, चाय की दुकान पर काम करने वाला होटलों पर काम करने वाला साप्ताहिक दुकान लगाने वाला और बहुत से ऐसे लोग जिनको डेली बेसिस पर सैलरी मिलती है बहुत बुरी तरीके से डर गए अब यदि वे फुटपाथ पर रहते तो उनको डर कम होता क्योंकि कोई ना कोई उन्हें खाना देगा. लेकिन जब एक छोटा सा घर किराए पर लेकर रह रहे हैं झोपड़ी में रह रहे हैं अपनी छोटी फैमिली के साथ और उनके पास पैसे नहीं है तो यह केंद्र की सरकार जैसे सरकारी कर्मचारियों को घर बैठे सैलरी दे रही है क्या इनके बारे में नहीं सोच सकती यह भी तो देश के नागरिक हैं जो देश के विकास में अपना खून पसीना एक करते हैं प्रधानमंत्री महोदय के दिल में इन लोग लिए कहीं भी सॉफ्ट कॉर्नर नहीं दिखता . कुछ नहीं तो मोहल्ले मोहल्ले or कॉलोनी कॉलोनी यदि राशन कार्ड के बिना लोअर मीडियम क्लास को राशन बांटा जाता तो कितना अच्छा होता लेकिन यह ये विचारे लोक डाउन को अपने लिए एक आपदा समझकर रोज एक ही दिन गिन गिन कर पोस्टिक आहार ना खाकर केवल दाल रोटी खाकर गुजारा कर रहे हैं पोस्टिक आहार आप जानते ही हैं कितना जरूरी होता है एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए और यदि 21दिन आदमी  रोटी खाएगा बिना सब्जी के केवल दाल से तो आप सोचे उसका स्वास्थ्य कहां जाएगा कोरोना भारत तो बाद में मारेगा उसे भय और कुपोषण पहले मारेगा एक छोटा सा बच्चा जो जो जिद करता है मैगी नूडल चिप्स चॉकलेट के लिए उसका पिता उसके बोलता है 21 दिन तक कुछ नहीं मिल पाएगा क्योंकि घर में पैसे कम है प्रधानमंत्री महोदय ने  1 दिन का कर्फ्यू  21 दिन कर दिया यदि व्यक्ति ₹500 per day भी कमाता है तो 21 दिन में कम से कम उसे ₹10000 का नुकसान है और ऊपर से कर्जा सर पर हो रहा है है जैसे मकान मालिक का किराया किसी गाड़ी की किस्त . वह तो पहले ही 21 दिन अपनी जिंदगी में पीछे हो चुका है मेरी प्रधानमंत्री महोदय से निवेदन है उस गरीब तबके और मिडिल क्लास के बारे में भी सोचे आपके सरकारी कर्मचारी तो आराम से 21 दिन निकाल लेंगे  तो पूरा  साल भर  खा सकते हैं यदि इनको घर बैठे सैलरी मिले तो .
मेरा प्रधानमंत्री महोदय से निवेदन है कि कृपया प्राइवेट जॉब वालों की कम से कम 1 महीने की किस्त गाड़ी की या मकान की माफ करें एवं राशन पानी हेतु उनके खाते में आधार कार्ड के आधार पर कुछ रकम या भत्ता देने का कष्ट करें आपने जो lockdown  किया है मुझे लगता है आपने इन लोगों के बारे में बिल्कुल नहीं सोचा केवल सरकारी कर्मचारियों के बारे में सोचा जो बिना कुछ किए घर बैठे सैलरी पा रहे हैं तो इन लोअर मिडिल क्लास वालों का भी हक है जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं जैसे ऑटो रिक्शा वाले और स्किल्ड पर्सन उन्हें भी गवर्नमेंट कुछ दे और प्रधानमंत्री महोदय से एक निवेदन और है कि पुलिस प्रशासन जो लोगों को बिना पूछे डंडे बरसाए जा रही है उस पर रोक लगे. प्यार से भी समझाया जा सकता है लोगों को पुलिस वाले बिना पूछे लोगों को लट बरसा रहे हैं. भोपाल में ही एक बहुत बड़े सरकारी हॉस्पिटल द्वारा जबरदस्ती लोगों को डिस्चार्ज किया जा रहा है गंभीर मरीजों को ना तो एंबुलेंस मिल रही है ना टैक्सी ऑटो रिक्शा उन लोगों को लोग बाइक पर बैठा बैठा कर घर ला रहे हैं क्या यह सही है यदि ऑटो रिक्शा टैक्सी की फैसिलिटी होती तो लोग गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग जिनको हॉस्पिटल जबरदस्ती डिस्चार्ज कर रहे हैं उन्हें घर ले आते कुछ बुजुर्ग लोग हैं जो रेगुलर चेकअप के लिए हॉस्पिटल जाते हैं परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं होने से वह घर पर कैद है छोटे व्यापारी जो मार्केट से सब्जी खरीद लाना चाहते हैं किराना खरीद के लाना चाहते हैं बेचने के लिए उनको साधन नहीं मिल रहा कौन से साधन से माल लेकर अपनी दुकान तक लाएं. प्रधानमंत्री से एक निवेदन और करना चाहूंगा कि जो लोग शहरों में किराए से रह रहे हैं उन लोगों को मकान मालिक किसी भी तरह से किराए देने के लिए के लिए परेशान ना करें.

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