तुम जब हंसती हो
तुम जब हंसती हो तो फूल झड़ते हैं
और न जाने कौन—से कयामत के पल पलते हैं।
तुम्हे देख देख कर कुछ सपने
मै भी बुन लेता हूं।
तुम मेरी लाइफ में न आओ तो अच्छा है
क्योकिं चांद के अनेक रूप जमीं से ही अच्छे लगते हैं।
तुम जब हंसती हो तो फूल झड़ते हैं
न जाने कौन कौन से विचार उमड़ते हैं।
—भगत सिंह पंथी
3 टिप्पणियाँ:
आपकी लिखी रचना बुधवार 19 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
प्यार में अक्सर ऐसा होता है ..
सहीं कहां कविता जी ने
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