मंगलवार, 18 नवंबर 2014

तुम जब हंसती हो

तुम जब हंसती हो तो फूल झड़ते हैं
और न जाने कौन—से कयामत के पल पलते हैं।

तुम्हे देख देख कर कुछ सपने
मै भी बुन लेता हूं।

तुम मेरी लाइफ में न आओ तो अच्छा है
क्योकिं चांद के अनेक रूप जमीं से ही अच्छे लगते हैं।

तुम जब हंसती हो तो फूल झड़ते हैं
न जाने कौन कौन से विचार उमड़ते हैं।

                                      —भगत सिंह पंथी

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3 टिप्पणियाँ:

यहां 18 नवंबर 2014 को 12:45 pm बजे, Blogger yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना बुधवार 19 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

 
यहां 19 नवंबर 2014 को 11:08 am बजे, Blogger कविता रावत ने कहा…

प्यार में अक्सर ऐसा होता है ..

 
यहां 19 नवंबर 2014 को 10:45 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

सहीं कहां कविता जी ने

 

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