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रविवार, 20 अप्रैल 2025

फास्ट्रेक कोर्ट की जरुरत यहां भी है

 पृथ्वी माता मतलब जमीन वहीं की वहीं, वैसी की वैसी उतने की उतनी है. लोग सालों तक केस लड के ऊपर पहुंच चुके हैं और उनके जो वंशज हैं वह भी केस लड़ रहे हैं और कुछ तो खून बहा कर स्वर्ग या नरक गए. लेकिन एक रत्ती भर जमीन भी अपने साथ नहीं ले जा पाए और हमारे देश की सरकार सालों तक उन केसों को पेंडिंग रखती है. जबकि इस चीज के लिए अलग से कोर्ट बना देनी चाहिए. इसमें सब कुछ जब क्लियर है तो इतने साल क्यों लग रहे हैं यह कोई मर्डर केस तो है नहीं. 30 सल तक जमीनओं के केस लोग लड़ लड़ के बुढ़े हो चूके हैं और कुछ मकान तो खंडर. इस चक्कर मे वकीलों की बिल्डिंग बन गई.

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

विचारों की विकृति

जैसा कि मैं वीडियो देखता रहता हूं और मुझे ज्ञात हुआ है की बंगाली लैंग्वेज में सबसे खतरनाक सब्जेक्टों पर फिल्म बन रही है मतलब आदमी की बुद्धि कहां जाकर विकृत हो जाती है और वह सब्जेक्ट है सेक्स. जब उन फिल्मों के में हिंदी में रिव्यू देखता हूं तो मुझे लगता है ऐसा तो आदमी सोच भी नहीं सकता. बाकी वह फिल्में मिलती हिंदी में कहीं पर भी नहीं है. कुछ महिलाएं एवं बच्चे तो घर से पुरुषों के निकलने के बाद दिनभर ott पर वेब सीरीज देख देख कर अपना दिमाग का दही और शातिर दिमाग़ होते जा रहे हैं. 

मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

स्वर्ग यहां नरक कहां

 अधिकतर महिलाएं अपने मायके में और आसपास की महिलाओं में पति को विलन इसलिए साबित करती हैं ताकि भगवान भी कंफ्यूज हो जाए और उनको नरक भेज दें अन्यथा यदि स्वर्ग पहुंच गए तो वहां अप्सराओं के साथ ऐश करेंगे. और कुछ महीलाये  तो अपने पति को धरती पर ही स्वर्ग का एहसास कराती हैं आज से बहुत साल पहले एक महिला को मैंने देखा था करवा चौथ पर अपने पति के पैर धोखे पी रही थी जबकि अच्छी खासी पढ़ी लिखी थी लेकिन थी संस्कारवान गांव की. और उसका पति देखने में लललू छाप था मुझे लग रहा था काश ये मेरी वाइफ होती