यह भी एक तरह का भ्रष्टाचार है बचपन में जब सदा लिफाफा पोस्ट किया जाता था तो उसकी गारंटी नहीं होती थी कि पहुंच जाएगा लेकिन यदि उस पर टिकट लगा दिए जाते थे तो थोड़ी गारंटी रहती थी पहुंच जाएगा लेकिन रजिस्टर डाक से भेजा जाता था तो पूरी गारंटी रहती थी पहुंच जाएगा । आज की डेट में भी यही हो रहा है स्पीड पोस्ट से कंफर्म होता है कि पहुंच जाएगा यही हाल सिस्टम का है पैसा फेंको और तमाशा देखो। उस समय गरीब आदमी सादा लिफाफा पोस्ट करता था। और अमीर टिकट लगाकर।
जब देश में गरीब आदमी जनरल डब्बे में यात्रा करता है और अमीर एसी में तो फिर जब गरीब आदमी वोट देता है तो उसे वोट को 25% माना जाना चाहिए जब चार गरीब वोट दें तब उसको एक वोट माना जाना चाहिए और जब एक अमीर वोट दे तो उसे पूरा एक वोट ही मनना चाहिए।
जब हर तरह से कभी गरीब और अमीर में अंतर और सुविधाओं में अंतर किया जाता है तो वोट को एक क्यों माना जाता है वोट भी गरीब का अलग होना चाहिए आमिर का अलग।
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