बचपन में हम लोग टॉकीज में मम्मी पापा के साथ फिल्म देखने जाते थे और दूरदर्शन पर भी फिल्म देखते थे । और रात को मोहल्ले में वीसीआर आता था जिसमें रात भर में ढाई फिल्में चलती थी क्योंकि आधी फिल्म में तो वीडियो कैसेट खराब हो जाती थी। और होता ये था कि हर फिल्म में जब शादी होती थी हीरो हीरोइन की तो उसके बाद द एंड लिखा हुआ आता था । बाद में मैं सोचता था की फिल्म के लास्ट में ही हीरो हीरोइन की शादी होती है जब बड़ा हुआ तब समझ में आया शादी के बाद लाइफ वाकई में the end होती है। फिल्म में दिखाने लायक कुछ बचता ही नहीं है क्योंकि सब की कहानी एक जैसी
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