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मंगलवार, 18 नवंबर 2014

तुम जब हंसती हो

तुम जब हंसती हो तो फूल झड़ते हैं
और न जाने कौन—से कयामत के पल पलते हैं।

तुम्हे देख देख कर कुछ सपने
मै भी बुन लेता हूं।

तुम मेरी लाइफ में न आओ तो अच्छा है
क्योकिं चांद के अनेक रूप जमीं से ही अच्छे लगते हैं।

तुम जब हंसती हो तो फूल झड़ते हैं
न जाने कौन कौन से विचार उमड़ते हैं।

                                      —भगत सिंह पंथी

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