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बुधवार, 13 सितंबर 2017

लालच का फल

गूगल एडसेंस से इतना पैसा कमाना कि आपके मात्र एक माह का पॉकेट खर्च निकल सके। बडी टेढी खीर है। मैने पिछले लगभग 10 सालों में 1 लाख रूपये बर्बाद किये। बेबसाईट डिजाईनिंग होस्टिंग इत्यादि में। और कमाया मात्र लगभग 20 हजार। कुछ लोग इस क्षेत्र में बहुत लकी हैं जो माईल स्टोन क्रियेट कर रहे हैं।
पहले मै लोगों को बताता था कि कैसे आॅनलाईन असली तरीके से पैसा कमाया जा सकता है लेकिन कुछ वर्षों बाद मुझे लगने लगा कि मै लोगों को अधूरा ज्ञान दे रहा हूं। मैने अपने आप को कंट्रोल किया लोगों को इस तरह के प्रलोभन में डालने से। अब मै स्वयं ​ही इस अंधकार से निकल रहा हूं, मेरी जो बेवसाईट चल रही हैं उनके डोमेन मै अब रिन्यू नही कर रहा हूं और अब लिखना भी लगभग कम कर दिया है।

सोमवार, 1 मई 2017

नो एक्शन प्लीज

आज मै आपको इस पोस्ट के माध्यम से कायरता न सिखाते हुए ये प्रार्थना करना चाह रहा हूं कि किसी धूर्त, अपराधी या दूसरों को बेवजह परेशान करने वालो से हमें स्वयं को नियंत्रित करते हुए कैसे बचना चाहिये। व्यर्थ के कानूनी चक्रव्यूह में उलझने से।
मैने भोपाल में एक दुकान शुरू की कुछ लोगों ने मुझे इस हद तक धमकियां दी एवं मेरी बेइज्जती कि ताकि मै अपनी दुकान बंद कर दूं। मेरी मानसिक शांति भी भंग हुई लेकिन मैने स्वयं को नियंत्रित करते हुए केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित किया कि मुझे केवल अपने बिजनेस पर ध्यान देना है। मेरी पत्नी भी बहुत डर गई। वह भी नकारात्मक बातें करने लगी और आज भी करती है, कि ये दुकान बंद कर दुबारा जॉब क्यो नही करते बिजनेस केवल पैसे वाले लोग ही कर सकते हैं। मैने उस समय तो अपनी पत्नी की बातो को ध्यान से सुना लेकिन मैने बाद में उससे कह दिया कि दुकान बंद नही होगी। हमें अपने अच्छे समय एवं शत्रु के बुरे समय आने का इंतेजार करना चाहिये। यदि हमारे पास उससे निपटने का पावर नही है तो।

गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

आखिर ये लूट कब बंद होगी।

हम भारतवासियों की मजबूरी है टीवी पर एड देखना और एड देखने के हर माह पैसे भी चुकाना। अरबों रूपयें का करोबार करने वाले ये लोग टीवी चैनल्स दिखाने वाली कंपनियों को सबक्रिप्शन प्राइस कम करने को भी नही कहते। और जो हमारे देश का सरकारी डीडी डायरेक्ट प्लस है वहां वे चैनल्स लिस्टिड ही नही है जिन्हे हम देखना चाहते हैं।

बुधवार, 5 अप्रैल 2017

जिंदगी की एक सीख

एक वंदा आज से लगभग 3 साल पहले एक दुकान पर मात्र 3500 रू. प्रतिमाह की नौकरी करता था। मेरा लगभग हर दूसरेे दिन उससे मिलना होता था। उसने बताया कि वह केवल नाम के लिये नौकरी करता है पिता जी के पास कई एकड जमीन है लेकिन उसे खेती किसानी नही करना। इसलिये नौकरी कर टाइम पास कर रहा है। तो मैने लगभग एक साल तक उसे मोटिवेट किया स्वयं का बिजनेस शुरू करने के लिये। उसे अपने आफिस जहां मै जॉब करता था वहां 2—3 बार बुलाया उसके साथ कई तरह के बिजनेस के बारे में विस्तृत सर्च किया। अंतत: उसने उस दुकान से नौकरी छोड एक बिजनेस स्टॉर्ट कर ​दिया। लेकिन उसने मुझे बताया तक नही। मुझे तीन माह बाद पता पडा कि उसने एक दुकान ले कर एक बडा फायदा का बिजनेस शुरू कर दिया है। मैने उसे फोन लगाया उसने मेरा फोन नही उठाया। फिर लगभग एक साल बाद मुझे भी अपना बिजनेस स्टॉर्ट करना था। तो मैने सोचा उससे एक बार मिल कर देखना चाहिये कि उसमें बिजनेस करने पर क्या चेंज आया। मैने उसकी दुकान का पता ​​एक वंदे ​से लिया और उससे मिलने पहंुचा। उसके पास बात करने तक का समय नही था। उसने मुझे नेगलेक्ट किया मतलब मेरी उपेक्षा की। मुझे खुशी तो हुई कि मेरे मोटिवेशन का असर इस वंदे पर तो पडा।
आज अचानक वह वंदा रात 9:30 बजे मेरी दुकान पर आया उसे एक होडिंग डिजाईन करवाना था। क्योकि वह अपने समाज में एक पद पा गया था जिसकी कि उसे पब्लिसिटी करनी थी। होडिंग बहुत अर्जे्ंट था उसे पता ​था कि मै उसका काम मिनटो में कर दूंगा वह अपने साथ कुछ साथियों को भी लाया। लेकिन मैने उसे मना कर दिया उसका चेहरा देखने लायक था। उसने मुझसे बहुत विनती की और कहा मुंह मांगे पैसे देने को वह तैयार है  लेकिन मैने सख्ती से उसे मना कर दिया वह चुपचाप चला गया।

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

बैंकों में shift pattern में काम क्यों नही हो सकता

मै यहां एक ऐसा मुद्दा उठा रहा हूं जिससे हम सभी देशवासियों को फायदा हो सकता हैं समय बच सकता है और देश की अर्थव्यवस्था दुगनी रफतार से चल सकती है।
हमारे देश में रेल्वे जो कि अपने लगभग 99 प्रतिशत कर्मचारियों से shift pattern में काम लेती है। बीएचईएल भी अपने कर्मचारियों से shift में काम लेती है। और भी बहुत से विभाग हैं जो कि अपने कर्मचारियों से shift में काम लेते हैं। तो सरकार एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बैंको से shift में काम क्यो नही लेती? और shift का समय हो सकता है प्रात: 7 से सायं 3 बजे तक एवं सायं 3 से रात 11 बजे तक। इससे ये फायदा होगा कि जो प्राइवेट या सरकारी कर्मचारी हैं उन्हें बैंक के कार्य निपटाने के लिये अलग से समय नही निकालना होगा। आप ही सोचिए जब प्राइवेट और सरकारी कर्मचारी अपने कार्यालय में पहुंच कर कार्य शुरू करता है तब बैंक खुलते  हैं आपने भी देखा होगा कि अधिकतर लोग सुबह-सुबह बैंक के कार्य निपटाने के चक्कर में लेट हो जाते हैं या महिने में कम से कम 2 बार तो उन्हें आधे दिन बैंक में ही समय देना होता है। इससे रोजगार भी मिलेगा लोगों को। बैंक अपने संसाधनों को जो कि 24 घंटे लगातार यूज किये जा सकते हैं से ज्यादा काम ले सकता है। कर्मचारियों को एक साथ अवकाश न देते हुये उन्हें रेल्वे की तरह बीकली आॅफ दिया जा सकता है जिससे कि हम भारतवासियों को रविवार के दिन भी अपने बैंकिंग कार्य निपटाने का अवसर मिल सकता है आप ही सोचिये हमारे देश में कितना बडा चेंज आ सकता है।
जब महिलाएं अस्पतालों में सिक्योर अनुभव कर ​कार्य कर सकती हैं तो बैंको में भी उनसे कार्य कराया जा सकता है। या फिर उनके सामने आप्शन दिये जा सकते हैं।

सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

सफेद कमाई उर्फ कालाधन

मै यहां काले धन की परिभाषा न समझाते हुऐ आप सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि जो बडे—बडे मॉल्स में सेल लगती है या आॅनलाईन सेल होती है उनमें कीमते होती है 299, 399, 9999 इत्यादि जबकि हम लोगों को भुगतान करना होता है 300, 400, 10000 और बिल मिलता है 299, 399, 9999 का और आयकर विभाग भी इन बिलो के आधार पर ​ही टैक्स का आंकलन करता है मतलब जो प्रत्येक ​​सिंगल आइटस के बिल पर जो 1 रू की कमाई होती है उसका कोई रिकार्ड ही नही।
ऐसे ही हम देखते हैं पेट्रोल पम्प पर काम करने वाले कमाई करते हैं,  लोग सरकारी नौकरी करते हुए पंडिताई कर रहे हैं, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बना कर किराये से ही 30 से 50 हजार माह तक कमा रहे हैं। 
एक शादी में एक पंडित की कमाई तो आप जानते ही होंगे कितनी होती है।
सबसे ज्यादा खुली शक्तर में किराना दुकानदार कीमते कम ज्यादा होने पर लम्बा मुनाफा कमाते हैं। मै देखता हूं यहां भोपाल में ही महापौर और मुख्यमंत्री जी के नाक के नीचे अवैध पार्किंग शुल्क वसूला जाता है। नगर नि​गम के ठेकेदारों द्वारा जैसे मान लिजिए दोपहिया पार्किंग शुल्क है 5 रूपये तो कमार्इ् है 10 रूपये।
आपको लग रहा होगा कि मै यहां बहुत ही न ध्यान देने वाली बाते कर रहा हूं जिसे कि मुझे इंग्नोर कर देना चाहिये। लेकिन इंकम टैक्स वालो को नींद से जगाना जरूरी है।
और भी लिखना ​बाकी है लेकिन न आपके पास टाईम है पढने का न मेरे पास समय लिखने का।
21 feb 2017 bhopal bhaskar



शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

सोशल मीडिया पर बने ये जानलेवा रिश्ते

माना कि आप बडे हो गये हो लेकिन जीवन सा​थी चुनने में माता पिता की मध्यस्थता जरूरी है।

3-4 feb 2017 bhaskar bhopal


girl from Bengal's Bankura district, Akanksha Sharma 



4th feb 2017



बुधवार, 18 जनवरी 2017

धूर्त लोगों का भला सोच समझ कर करें

हमें किसी की सहायता या भला उसकी ​दीन हीन दशा देखकर तो करना ही चाहिये लेकिन अपना समय खराब कर किसी का भला बहुत बहुत और भी बहुत सोच समझ कर उसके चरित्र और उसके व्यवहार को कुछ समय तक निगरानी कर उसका का बडा भला करना या नही करना है इसका निर्णय करना चाहिये। मै ये इसलिये लिख रहा हूं क्योकि मैने अपने कुछ संडे के अवकाश, पूरे 5 घंटे हर संडे एक बंदे को दिये ताकि उसकी जॉब लग सके उसे नि:शुल्क Training दी। आज से 6 साल पहले की बात है। लोग जब बरसात में अपने घर में होते थे तो मै हर संडे उसे कम्प्यूटर सिखाने निकल पडता था। आज ये हालात हैं कि वह वंदा जब भी कभी मिलता है दुम दबा कर नजरे बचा कर निकल जाता है।

रविवार, 1 जनवरी 2017

आप सभी पाठकों को नववर्ष की शुभकामनाएं

आज मै यहां बहुत दिनों बाद लिख रहा हूं क्योकि मैने अपने ग्राफिक्स डिजाईनर की जॉब अक्टूबर 2015 में छोडकर, एक चाय की दुकान अपने घर के पास ही खोल ली है। पिछले 15—16 वर्षों से जॉब करते करते मुझे समझ आ गया कि भोपाल जैसी सिटी में ग्राफिक्स डिजाईनर के जॉब में सेलरी एक ​सीमित आंकडे तक ही मिल सकती है यदि अच्छी जगह जॉब मिल गया तो। पेरेन्ट्स का बेक सपोर्ट बिलकुल नही है तो सोचा कुछ रिस्क लिया जाये, फंड बिलकुल नही ​था। इसलिये एक बेकवर्ड कॉलोनी में सस्ती सी दुकान किराये पर ले कर चाय की दुकान शुरू की। पूरी जमापूंजी से छ: आठ माह घर का खर्च चलाया अब कहीं जा कर कुछ आमदनी होने लगी है। आगे की कहानी बाद में...
आज मै यहां दैनिक भास्कर के नबवर्ष 2017 अंक की कुछ खास बातें संजो रहा हूं मुझे तो इस में बहुत कुछ सकारात्मक लगा।